संसद के दोनों से सदनों से पारित हो चुके मोदी सरकार के तीनों कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने ऐलान किया है कि सरकार अगर हठधर्मिता पर कायम रही तो 25 सितंबर को पूरे देश का किसान इन कृषि बिलों के विरोध में सड़कों पर उतरेगा और प्रदर्शन करेगा। और जब तक सरकार अपने फैसले पर गौर नहीं करती, तब तक पूरे देश का किसान सड़कों पर रहेगा।
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राज्यसभा से रविवार को कृषि बिल पारित किये जाने के खिलाफ आज भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने उत्तर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया। बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि संसद के इतिहास में रविवार का दिन एक काले अध्याय के तौर पर दर्ज होगा। यह पहली दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जब अन्नदाता से जुड़े तीन कृषि विधेयकों को पारित करते समय न तो कोई चर्चा की गई और न ही इस पर किसी सांसद को सवाल करने का अधिकार दिया गया। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए भी काला दिन है।
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राकेश टिकैत ने कहा कि देश की सरकार पीछे के रास्ते से किसानों का समर्थन मूल्य का अधिकार छीनना चाहती है, जिससे देश का किसान पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा। टिकैत ने कहा कि मंडी के बाहर खरीद पर कोई शुल्क न होने से देश की मंडी व्यवस्था ही समाप्त हो जाएगी। ऐसे में सरकार धीरे-धीरे फसल खरीद से हाथ खींच लेगी। बीकेयू नेता ने कहा कि किसान को बाजार के हवाले छोड़कर देश की खेती को मजबूत नहीं किया जा सकता।
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राकेश टिकैत ने कहा कि मोदी सरकार बहुमत के नशे में चूर है। टिकैत ने चेतावनी देते हुए कहा कि किसान यूनियन इस लड़ाई को पूरी मजबूती के साथ लड़ेगी और सरकार अगर हठधर्मिता पर अडिग रहेगी तो देश का किसान भी पीछे हटने वाला नहीं है। टिकैत ने ऐलान किया कि 25 सितंबर को पूरे देश का किसान कृषि बिलों के विरोध में सड़क पर उतरेगा और जब तक कोई समझौता नहीं हो जाता, तब तक देश का किसान सड़कों पर ही रहेगा और विरोध करेगा।
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