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योगी सरकार के 25 हजार होमगार्ड हटाने के फैसले के बाद ‘भीख मांगते’ दिखे जवान, कई जिलों में किया प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश में होमगार्ड्स की ड्यूटी को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं कई बड़े अफसर इन्हें अपने निजी नौकर और ड्राइवर की तरह इस्तेमाल भी करते रहे हैं साथ ही विभाग में भ्रष्टाचार भी बहुत है। 

फोटो: आस मोहम्मद कैफ 
फोटो: आस मोहम्मद कैफ  

मुजफ्फरनगर में मंगलवार को अचानक दर्जनों होमगार्ड्स हाथों में कटोरा लेकर पहुंचे और भीख मांगने लगे। इन्होंने ही बताया कि सरकार ने नौकरी से निकाल दिया है अब इनके पास बच्चे पालने के लिए भीख मांगने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। कुछ लोगों द्वारा इनके कटोरे में कुछ पैसे भी रखे गए। वैसे तो यह होमगार्ड्स का प्रदर्शन कर सरकार की और अपनी परेशानी बढ़ाने की और ध्यान खींचने का तरीका था मगर इससे उनका दर्द आसानी से समझा जा सकता था। बता दें कि मंगलवार की शाम को योगी सरकार ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि किसी भी होमगार्ड की नौकरी नहीं जाएगी।

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वहीं प्रदर्शन कर रहे होमगार्ड नेता देवेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी रोजी रोटी छिन गई और अब उनके हाथ मे कटोरा आ गया है। सिर्फ मुजफ्फरनगर के कुल 1200 होमगार्ड्स में से 574 की सेवा समाप्त कर दी गई थी। जबकि पूरे प्रदेश में एक झटके में 25 हजार होमगार्ड्स बेरोजगार करने का फैसला लिया गया था। इस फैसले से एक महीने पहले 17 हजार होमगार्ड्स की ड्यूटी 25 दिन से घटाकर 15 दिन की गई थी। यह आदेश पुलिस मुख्यालय से एडीजीपी बीपी जोगदंड के माध्यम से मंगलवार को जारी किया गया था। हालांकि इसकी भूमिका 28 अगस्त को पूर्व मुख्य सचिव अनूप चन्द्र पांडेय की एक बैठक में बन गई थी।

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फोटो: आस मोहम्मद कैफ

मुजफ्फरनगर जैसा प्रदर्शन सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, गाजियाबाद और मेरठ सहित तमाम जनपदों में भी हुआ है जहां होमगार्ड्स ने विभिन्न तरीके से अपना विरोध दर्ज कराया है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस पर त्वरित प्रतिक्रिया दी।

बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक होमगार्ड्स के 172 रुपये रोजाना बढ़ा दिए गए थे। इससे होमगार्ड्स को काफी राहत मिली थी। इससे पहले होमगार्ड्स को एक दिन के 500 रुपये मिलते रहे हैं। अब यह रकम 672 हो गई थी। इस 172 रुपये के बढ़ने से उत्तर प्रदेश के पुलिस विभाग का बजट गड़बड़ा गया है। यूपी में कुल 99 हजार होम गार्ड्स है, जिन्हें महीने में 25 दिन ड्यूटी देना अनिवार्य था। लेकिन विभाग ने पहले तो 17 हजार होमगार्ड्स की ड्यूटी 10 काटकर 15 दिन कर दी और फिर बाद में काम नहीं चला तो अब 25 हजार होमगार्ड्स को पूरी तरह घर बैठाने का फैसला ले लिया।

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उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री चेतन चौहान के मुताबिक, ऐसा बजट की कमी के कारण हुआ है। हम 500 रुपये के बजट के साल भर के हिसाब जो भी गणित बनता है काम देंगे मगर हमारा उद्देश्य किसी को नौकरी से निकालकर उसकी दिवाली खराब करने का नही है।

हालांकि इससे साफ है कि सरकार बजट नहीं बढ़ाने नही जा रही है। बकौल मंत्री वो रोटेशन प्रणाली लागू करेंगे। इससे ड्यूटी लगाने में भ्रष्टाचार के बढ़ने की संभवना है और नेताओं और अफसरों के चहेते लाभ लें सकते हैं।

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उत्तर प्रदेश में होमगार्ड्स की ड्यूटी को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं कई बड़े अफसर इन्हें अपने निजी नौकर और ड्राइवर की तरह इस्तेमाल भी करते रहे हैं साथ ही विभाग में भ्रष्टाचार भी बहुत है। इसे लेकर होमगार्ड्स में आईजी रहे एक आईपीएस अफसर ने विभाग के तत्कालीन डीजी और मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था बाद में उन्हें ही हटा दिया गया।

बजट के जिस बहाने को बनाकर इन होमगार्ड्स की सेवा समाप्त की गई थी। उसके गणित को भी समझ लेते है। यूपी में होमगार्ड्स के कुल 1 लाख 19 हजार पद है। इनमें से 19 हजार की भर्ती के लिए प्रकिया शुरू की गई थी नियुक्ति अब तक नहीं हुई है। 99 हजार अभी अवैतनिक काम कर रहे हैं। जिन्हें एक महीने में 25 दिन ड्यूटी देनी होती है। यह रकम 500 रुपये के हिसाब से 123 करोड़ 57 लाख बनती है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 42 करोड़ लगभग भार (मासिक) और अधिक बढ़ जाएगा। अब इस पैसे को बचाने के लिए सरकार ने लगभग 42 हजार होमगार्ड्स के पेट पर लात मारने की तैयारी में है। यहां यह बताना जरूरी है कि उत्तर प्रदेश पुलिस का नया हेडक्वॉर्टर 816 करोड़ में तैयार हुआ है जो किसी आलीशान होटल से कम नही है।

यहां यह समझ लेते है कि 25 हजार होमगार्ड्स को नौकरी से बाहर रखने पर विभाग को 42 करोड़ का फायदा होगा। इससे पहले वो 17 हजार होमगार्ड की ड्यूटी 15 दिन कर ही चुके है जिससे विभाग को 11 करोड़ का लाभ हुआ है। कुल मिलाकर वो 53 करोड़ रुपये इससे बच जाएंगे हैं।

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होमगार्ड नेता देवेंद्र सिंह के मुताबिक, एक महीने में किसी भाग्यशाली होमगार्ड को ही 25 दिन काम मिलता है वरना ज्यादातर जगह बिना पैसा लिए ड्यूटी नही लगती। अब 20 दिनों को अगर औसत मान लें तो एक होमगार्ड महीने भर में 10 हजार पा रहा था जिसमें उसका परिवार चल रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने जो पैसा बढ़ाया था इससे होमगार्ड इसलिए खुश हुए थे कि इस बढ़े हुए पैसे से वो अपने बच्चों को अच्छी जगह पढ़ा लेंगे मगर इन्होंने तो मुंह से निवाला ही छीन लिया।

देवेन्द्र के मुताबिक, सच तो यह है कि हम होमगार्ड न हो तो पुलिस विभाग की व्यवस्था एक सप्ताह में ही पटरी से उतर जाएगी। यह सरासर अन्याय हो रहा है। हम शांत नहीं बैठने वाले हैं।

पिछली सरकार में होमगार्ड मंत्री रहे अनीस मंसूरी के मुताबिक किसी भी होमगार्ड की सेवा समाप्ती का फैसला सही विकल्प नहीं है बल्कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला होमगार्ड हित को जस्टिफाई करता है। वो बहुत पहले से इसके लिए लड़ रहे थे। होमगार्ड विभाग का बजट बढ़ाए जाने की जरूरत है। वार्षिक बजट की बढ़ोतरी बड़ा मसला नही है।

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