राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ की भी कांग्रेस सरकार ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर रोक लगाने के मकसद से बड़ा फैसला लिया है। सीएम भूपेश बघेल की सरकार के ताजा फैसले के मुताबिक प्रदेश में महिला उत्पीड़न और महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपियों को अब सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी। इससे कुछ दिन पहले राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने भी ऐसा ही आदेश जारी करते हुए महिला उत्पीड़न के आरोपियों को सरकार नौकरी के अयोग्य घोषित कर दिया था।
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छत्तीसगढ़ सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि बालिकाओं और महिलाओं से छेड़छाड़, दुष्कर्म आदि के आरोपियों को सरकारी नौकरियों से प्रतिबंधित किया जाता है। ऐसा कोई भी उम्मीदवार जो महिलाओं के विरुद्ध किसी अपराध का दोषी ठहराया गया हो, किसी सेवा या पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा।
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इतना ही नहीं आदेश में कहा गया है कि किसी उम्मीदवार के विरुद्ध न्यायालय में ऐसे मामले लंबित हों तो उनकी नियुक्ति का मामला आपराधिक मामले का अंतिम निर्णय होने तक लंबित रखा जाएगा। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से सभी विभाग अध्यक्षों के अलावा कमिश्नर और कलेक्टर को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
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इसके लिए छत्तीसगढ़ सिविल सेवा की सामान्य शर्त अधिनियम 1961 के नियम 6 के उपनियम चार में यह तय किया गया है कि शासकीय सेवा में नियुक्ति हेतु ऐसे अभ्यर्थी जिनके विरुद्ध बालिकाओं और महिलाओं से छेड़छाड़, दुष्कर्म आदि से संबंधित नैतिक अधोपतन की श्रेणी में आने वाला अपराध दर्ज हो, उदाहरण के तौर पर अपराध भारतीय दंड संहिता 1960 की धारा 354, 376, 376क, 376ख, 376ग, 376घ, 509, 493, 496 और 498 और पॉक्सो एक्ट 2012 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज हो, ऐसे व्यक्ति शासकीय सेवाओं एवं पदों पर नियुक्ति हेतु प्रकरण के अंतिम निर्णय तक प्रतिबंधित किया जाए।
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