संसद के विशेष सत्र के दौरान बुधवार को लोकसभा से महिला आरक्षण बिल पास हो गया। इस बिल को आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जहां इस पर चर्च होगी। विधेयक पर चर्चा के लिए साढ़े सात घंटे का समय तय किया गया है। अगर यह बिल राज्यसभा में भी पास हो गया तब इसे जनगणना और परिसीमन होने के बाद लागू किया जाएगा।
संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फिसदी आरक्षण देने वाला 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' बिल के समर्थन में लोकसभा में 454 और दो वोट विरोध में पड़े। इसके साथ ही यह बिल नए संसद भवन में पेश होने और पास होने वाला पहला विधेयक बन गया।
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महिला आरक्षण बिल के पास होने के बाद मौजूदा लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इसी तरह उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल 403 सीटों में से 133 सीटें महिलाओं के हिस्से में आएंग, और दिल्ली की बात करें तो दिल्ली विधानसभा में कुल 70 में से 23 सीटें महिलाओं के लिए होंगी। इस विधेयक के अनुच्छेद 239 एए के तहत राज्य विधानसभाओं में भी महिला आरक्षण की व्यवस्था का प्रावधान है।
जो बिल लोकसभा से पास हुआ है, उसके मुताबिक महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण फिलहाल 15 सालों के लिए दिया जाएगा और उसके बाद भी उसे जारी रखने के लिए फिर से बिल लाना पड़ेगा।
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इस बिल को लेकर कई राजनीतिक दलों की मांग थी कि इसमें एससी-एसटी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था हो, लेकिन इस बिल में मौजूदा आरक्षण के भीतर ही महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। यानी लोकसभा और विधानसभाओं में फिलहाल जितनी सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं, उन्हीं में से महिलाओं के लिए भी 33 फीसदी सीटें होंगी।
मसलन वर्तमान में लोकसभा की 84 सीटें अनुसूचित जाति यानी एससी और 47 सीटें अनुसूचित जनजाति यानी एसटी के लिए आरक्षित हैं। महिला आरक्षण बिल आने के बाद एससी की 84 में से 38 सीटें और एसटी की 47 में से 16 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। लोकसभा में फिलहाल ओबीसी के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं है और वर्तमान में ओबीसी उम्मीदवारों को एससी-एसटी सीटें हटाने के बाद यानी कुल बची 412 सीटों में ही चुनाव लड़ना होता है।
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