कश्मीर घाटी में पाकिस्तान की ओर से जारी छद्म युद्ध से भारत और इसका सुरक्षा तंत्र लगातार जूझ रहा है, हमारे सुरक्षा बल के हजारों जवान शहीद हो चुके हैं।
घाटी में युवाओं को मानसिक रूप से तैयार करने के लिए इंटरनेट और अज्ञात ऑनलाइन गतिविधियों का तेजी से इस्तेमाल किए जाने और उनको सलाफी जेहादी की तरफ मोड़ने की दिशा में चल रहे कार्य हमारी खुफिया एजेंसियों से छिपी नहीं है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि हमारा सुरक्षा बल देश के बाकी हिस्सों को नजरंदाज कर सकता है।
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भारत में विशाल आतंकरोधी नेटवर्क में पूरी तरह समर्पित अन्वेषण कौशल, निरंतर सूचनाओं की रिपोर्टिग और आपके विरोधियों के संबंध में जमीनी स्तर पर गुप्त सूचनाओं का संकलन और उसका प्रसंस्करण शामिल है। आतंकी घटना 26/11 के मद्देनजर ऐसी घटनाओं को रोकने और ऐसी गतिविधियों को नाकाम करने के लिए जांच के त्रिस्तरीय दृष्टिकोण का अनुकरण करते हुए इसे ज्यादा मजबूत नेटवर्क बनाया गया है।
रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) बाहरी सूचनाएं प्रदान करती है और खुफिया विभाग (आईबी) घरेलू खुफिया जानकारी मुहैया करवाता है, एनटीआरओ (नेशनल टेक्निकल रिसर्च आर्गेनाइजेशन) भी नजर रखता है। इसके अलावा, राज्यों की पुलिस और सीआईडी (अपराध अन्वेषण विभाग), तमिलनाडु में क्यू शाखा व अन्य राज्यों में विशेष शाखा द्वारा प्राप्त सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई की जाती है। महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों में कथित तौर इन अन्वेषणकर्ताओं को अनेक घटनाओं में बड़ी सफलताएं मिली हैं।
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रॉ और आईबी के तहत आतंकनिरोधक दस्ता बनाया गया है और अब पूरी एनआईए की टीम है जो निरंतर सूचना शेयर करती है और एक अग्रणी जांच एजेंसी के रूप में कार्रवाई करती है। गृह मंत्रालय के पास अब आतंक निरोध और उग्रवाद निरोध संभाग है।
यही मजबूत ढांचा और इसकी महत्वपूर्ण रणनीति है जिसके आधार पर भारत श्रीलंका को अहम जानकारी मुहैया करवा पाया है।
जमात इनायत अंसुरल मोमीन (जेआईएएम) शुरू से ही केरल में सक्रिय रहा है और वह भारत के सुरक्षा बलों के राडार पर रहा है। यह पूरी तरह लश्करे तैयबा (एलईटी) की विचारधारा पर चलता है। लश्कर के जनक ने भारत में तबाही मचाने के लिए श्रीलंका, बांग्लादेश और मालदीव की जमीन का इस्तेमाल करने की बड़ी योजना बनाई थी, जिसके तहत भारत में तबाही मचाने के लिए मुज्जामिल भट जेआईएएम का इस्तेमाल करके श्रीलंका आना चाहता था और वहां प्रशिक्षण लेकर वापस भारत में फिदायीन हमला करना चाहता था।
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एक मामला 2009 में आया जब एक मलयाली मुस्लिम को संदिग्ध के रूप में कश्मीर में घूमता पाया गया जिसे बाद में सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया। केरल में सांप्रदायिक हिंसा का इतिहास रहा है और मराड का नरसंहार काफी चर्चित रहा है जब कोझीकोड जिला स्थित मराड बीच पर दो मई 2003 को मुसलमानों की एक भीड़ ने आठ हिंदुओं की हत्या कर दी थी।
शाम के समय मुसलमानों की एक भीड़ ने बीच पर आठ हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिए थे। इसके बाद हत्यारे भागकर एक स्थानीय मस्जिद में छिप गए। मराड जांच आयोग (न्यायमूर्ति थॉमस पी. जोसेफ) की रिपोर्ट में कोझीकोड के तत्कालीन पुलिस आयुक्त टी. के. विनोद कुमार ने कहा कि हमलावरों को पकड़ने के लिए गई पुलिस को मस्जिद में प्रवेश करने से रोकने के लिए सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं ने मस्जिद को घेर लिया था।
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टीके कुमार ने कहा, "यह एक सुसंगठित संगठन द्वारा चलाया गया ऑपरेशन था। यह अचानक किया गया हमला था जो 10 मिनट तक चला। हमला एक समुदाय विशेष द्वारा किया गया था। एक हमलावर मोहम्मद अश्कर भी घटना के दौरान मारा गया। पुलिस ने हत्या के दो दिन बाद मस्जिद से विस्फोटक व हथियार बरामद किए। केरल की अपराध शाखा ने इस अपराध में शामिल 147 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए। कुछ लोगों ने इसमें जेआईएएम का हाथ होने का भी संदेह जताया।"
आतंक के केंद्र के रूप में सामान्यतया उत्तर भारत को माना जाता है लेकिन महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में कई वर्षो से इनकी गतिविधियां रही हैं।
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आतंक का केंद्र हमेशा उत्तर भारत रहा है, लेकिन असलियत में यह महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों में वर्षो से रहा है। इसकी वंशावली का संकेत जेआईएएम में देखा जा सकता है। मध्य-पूर्व आतंकी नेटवर्क को जेएआईएम के रूप में जाना जाता है और शाहिद बिलाल के बाद कर्नाटक में भटकल उभरा और हैदराबाद में खतरनाक अमजद एलईटी ने आतंकी गुट को प्रमोट किया जिसका भांडाफोड़ 2010 में उसकी गिरफ्तारी के साथ हुआ।
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