कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने बुधवार को मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एफसीआरए के नवीनीकरण की अस्वीकृति पर ध्यान नहीं देने के लिए सरकार और मीडिया को आड़े हाथों लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमानों के बाद अब ईसाई हिंदुत्व ब्रिगेड के नए 'टारगेट' हैं।
चिदंबरम ने आरोप लगाया कि मुख्यधारा की मीडिया ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी से संबंधित गृह मंत्रालय की कार्रवाई की खबर को अपने पन्ने से हटा दिया। उन्होंने कहा कि यह दुखद और शर्मनाक है। कांग्रेस नेता ने ट्विटर पर कहा, "मिशनरीज ऑफ चैरिटी के नवीनीकरण से इनकार भारत के 'गरीब और वंचित वर्गों' के लिए जनसेवा कर रहे गैरसरकारी संगठनों पर सीधा हमला है।"
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देश के पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, "मिशनरीज ऑफ चैरिटी के मामले में, यह ईसाइयों के धर्मार्थ कार्य के खिलाफ पूर्वाग्रह को दर्शाता है। मुस्लिमों के बाद, अब ईसाई हिंदुत्व ब्रिगेड का नया निशाना हैं।" उन्होंने आगे कहा कि गृह मंत्रालय का दावा है कि उसे 'कुछ प्रतिकूल इनपुट' मिले हैं। गृह मंत्रालय को अपने शरलॉक होम्स जैसे कौशल का इस्तेमाल सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए करना चाहिए, न कि ईसाई दान और मानवीय कार्यों को रोकने के लिए।
एक अन्य ट्वीट में चिदंबरम ने लिखा कि साल 2021 के खत्म होते ही यह साफ हो गया है कि मोदी सरकार ने अपने बहुसंख्यकवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक और लक्ष्य बना लिया है, जो 'ईसाई' समुदाय है।
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वहीं केंद्र के एफसीआरए नवीनीकरण से इनकार को 'चौंकाने वाला' बताते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने कहा, "मिशनरीज ऑफ चैरिटी के खातों को फ्रीज करने की सरकार की कार्रवाई से हैरान हूं। क्रूर, असंवेदनशील और अमानवीय निर्णय की निंदा करता हूं, जो बीमार और पीड़ित गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। पीएम के हस्तक्षेप और तत्काल फैसला उलटने की मांग करता हूं।"
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इस बीच, केंद्र ने सोमवार को स्पष्ट किया कि उसने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बैंक खातों को फ्रीज नहीं किया है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि एफसीआरए 2010 और विदेशी अंशदान नियमन नियम (एफसीआरआर) 2011 के तहत पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करने के लिए एमओसी के एफसीआरए नवीनीकरण आवेदन को 25 दिसंबर को अस्वीकार कर दिया गया था। इसमें कहा गया है कि नवीनीकरण से इनकार की समीक्षा के लिए एमओसी से कोई अनुरोध या संशोधन आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है।
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