बिहार में पड़ रही कड़ाके की ठंड के बीच मकर संक्रांति यानी 15 जनवरी के बाद कई नेताओं के दलबदल की चर्चा से सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है। चर्चा है कि कई नेता अपने लिए नए घर की तलाश में हैं और वे खरमास के बाद यानी 15 जनवरी के बाद नए राजनीतिक घर में जाएंगे। माना जाता है कि खरमास में कोई नया कार्य या शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
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इस बार बिहार की राजनीति के लिए संक्रांति पर चूड़ा-दही भोज खास रहेगा। पाला बदलने को बेताब कई नेताओं को खरमास खत्म होने और शुभ मुहूर्त के आने का बेसब्री से इंतजार है। इस बीच, सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से एक ही दिन दो भोज की घोषणा की गई है। पहला भोज आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर होगा। वहीं, दूसरा चूड़ा-दही का न्यौता जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा दे रहे हैं।
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राज्य के दो नेता तो पार्टी छोड़ नई पार्टी में जाने के लिए भी खरमास समाप्त होने का इंतजार कर रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे राजीव रंजन ने पार्टी छोड़ दी है और नए ठिकाने में जाने को बेताब हैं। इसी तरह एलजेपी प्रमुख और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने श्रवण कुमार को पार्टी से निकाल दिया है। दोनों के दोनों वर्तमान में किसी भी दल में नहीं है। माना जा रहा है कि राजीव रंजन अपने पुराने घर यानी जेडीयू में जाएंगे जबकि श्रवण कुमार को अब तक ठिकाना नहीं मिला है।
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इधर, बीजेपी के नेता और विधान पार्षद सम्राट चौधरी ने दावा किया है कि खरमास के बाद जेडीयू में भगदड़ मचेगी। जेडीयू के कई नेता पार्टी छोड़ेंगे। उनका कहना है कि इन नेताओं को पता है कि नीतीश कुमार के पास अब जमीनी पकड़ समाप्त हो गई है। हालांकि ये देखने वाली बात होगी कि खरमास के बाद किधर भगदड़ मचती है।
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