अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा सेबी चीफ माधवी पुरी बुच लगाए गंभीर आरोप के बाद कांग्रेस पार्टी ने एक बयान जारी किया है। केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस जानी जारी कर कहा, "अडाणी महाघोटाले की जांच करने में सेबी की आशचर्यजनक अन्चिछा लंबे समय से सबके सामने है। सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमेटी ने इसका विशेष रुप से संज्ञान लिया था। उसने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि सेबी ने 2018 में विदेशी फंड्स के अंतिम लाभकारी (यानी वास्तविक स्वामित्व) से संबंधित रिपोर्टिंग की जरूरतों को कमजोर कर दिया था और 2019 में इसे पूरी तरह से हटा दिया था। कमेट के अनुसार, ऐसा होने से प्रतिभूति बाजार नियामक के हाथ इस हद तक बंध गए कि उसे गलत कार्ययों का संदेह तो है, लेकिन उसे संबंधित विनियमों में विभिन्न शरतों का अनुपालन भी करना होता है। यही वह विरोधाभा है, जिसके कारण सेबी इस मामले में किसी नतीजे तक नहीं पहुंचा।"
कांग्रेस ने कहा, "जनता के दवाब में अडाणी मामले में काफी नुकसान हो जाने के बाद, सेबी बोर्ड ने 28 जून 2023 को एक्सपर्ट कमेट को बताया कि वह 13 संदिग्ध लेने-देन की जांच कर रहा है, लेकिन इसमें कोई सफलता हाथ नहीं लगी।"
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कांग्रेस पार्टी ने ताजा खुलासे का जिक्र करते हुए कहा, "हिनडनबर्ग रिसर्च के कल के खुलासे पता चलता है कि सेबी की चेरयपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति ने उन्हीं बरमूडा और मॉरीशस स्थित ऑफशोर फंड में निवेश किया था, जिसमें विनोद अडाणी और उनके करीबी सहयोगी चांग चुंग-लिंग और नासिर अली शाबान अहली ने बिजली उपकरणों के ओवर-इनवॉइसिंग से अर्जित धन का निवेश किया था। ऐसा माना जाता है कि इन फंड्स का इस्तेमाल सेबी के नियमों का उल्लंघन करते हुए अडाणी ग्रुप की कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए भी किया गया था। यह बेहद चौकाने वाली बात है कि बुच की इन्हीं फंड्स में वित्तिय हिस्सेदारी होगी।"
पार्टी ने आगे कहा, "यह सेबी चेयरपरसन बनने के तुरंत बाद माधवी पुरी बुच के साथ 2022 में गौतम अडाणी की लगातार दो बैठकों को लेकर नए सवाल खड़े करता है। याद करें कि उसी समय सेबी कथित तौर पर अडाणी के लेन-देन की जांच कर रहा था।"
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कांग्रेस पार्टी ने कहा, "सरकार को अडाणी की सेबी जांच में सभी हितों के टकरवा को खत्म करने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। तथ्य यह है कि देश के सरवोच्च अधिकारियों की जो मिलीभगत दिख रही है उसे अडाणी महाघोटाले की व्यापक जांच के लिए एक जेपीसी का गठन करके ही सुलझा जा सकता है।"
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अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने ताजा खुलासा करते हुए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच पर गभीर आरोल लगाए हैं। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति के पास कथित अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी।
हिंडनबर्ग ने अदाणी पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 महीने बाद एक ब्लॉगपोस्ट में आरोप लगाया, "सेबी ने अदाणी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है।"
शॉर्ट-सेलर ने (मामले से पर्दा उठाने वाले) “व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों” का हवाला देते हुए कहा, "सेबी की वर्तमान प्रमुख माधवी बुच और उनके पति के पास अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी।"
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