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UN प्रमुख, कनाडाई पीएम के बाद ब्रिटेन के सांसद आए किसानों के साथ, बताया चिंता का विषय, अपने मंत्री को लिखा पत्र

भारत में जारी किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस के बाद अब ब्रिटेन के विभिन्न दलों के 36 सांसद भी उतर आए हैं। इन सांसदों ने अपने मंत्री को पत्र लिखकर भारत के समक्ष इस मुद्दे को उठाने के लिए कहा है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन पर सिर्फ देश ही नहीं, दुनिया भर की निगाह लगी हुई है और दुनिया के कई देशों के लोग और नेता किसानों के समर्थन में बयान दे रहे हैं। हाल ही में कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रुडो के किसानों के समर्थन में बयान देने पर मचे बवाल के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता ने भी किसानों का समर्थन किया और अब ब्रिटेन के करीब 36 सांसद किसानों के समर्थन में उतर आए हैं। इन सांसदों ने अपने मंत्री को पत्र लिखकर इस मुद्दे को भारत के समक्ष उठाने के लिए कहा है।

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इन सांसदों ने कहा है कि लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार है और अधिकारियों को उन्हें यह करने देना चाहिए। ब्रिटेन के विभिन्न दलों के 36 सांसदों के समूह ने विदेश मंत्री डॉमिनिक राब को लिखे पत्र में कहा कि भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का ब्रिटिश पंजाबी लोगों पर होने वाले प्रभाव के बारे में वह अपने भारतीय समकक्ष को अवगत कराएं। यह ब्रिटेन के सिखों और पंजाब से जुड़े लोगों के लिए एक चिंता का विषय है। पत्र में कहा गया है कि कई ब्रिटेन में कई पंजाबी लोगों ने अपने सांसदों के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है, क्योंकि वे पंजाब में अपने परिवार और अपनी जमीन से सीधे जुड़े हुए हैं।

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शुक्रवार को जारी यह पत्र लेबर पार्टी के सिख सांसद तनमनजीत सिंह धेसी द्वारा तैयार किया गया है और इस पर भारतीय मूल के सांसदों समेत कई ब्रिटिश सांसदों के भी हस्ताक्षर हैं। इन नेताओं में वेलेरी वाज के साथ ही जेरेमी कॉर्बिन के नाम शामिल हैं। सांसदों के इस पत्र में मंत्री से कहा गया है कि वह स्थिति पर चर्चा करने के लिए तत्काल उनके साथ बैठक बुलाएं। साथ ही इस मुद्दे पर भारत सरकार के साथ किसी भी संवाद के बारे में जानकारी देने की मांग की गई है।

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बता दें कि इससे पहले भारत में किसानों के आंदोलन को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी चिंता जताई थी और शांतिपूर्ण प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया था। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने भी इस बारे में बयान में कहा कि लोगों को शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का अधिकार है और अधिकारियों को उन्हें यह करने देना चाहिए। हालांकि ट्रुडो के बायन पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी, जिसके बाद भी ट्रुडो ने किसानों के प्रति समर्थन दोहराया था।

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बता दें कि भारत में केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान पिछले करीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार द्वारा मांगें नहीं सुने जाने पर 26 नवंबर को किसानों ने राजधानी दिल्ली की ओर कूच कर दिया था, जिसके बाद सीमाओं पर रोके जाने के चलते हजारों किसान दिल्ली की कई सीमाओं पर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों को मनाने के लिए सरकार अब तक पांच दौर की वार्ता कर चुकी है, जो अब तक बेनतीजा रही है। अब अगली बातचीत 9 दिसंबर को होगी।

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