मजार-ए-शरीफ का बचाव कर रहे प्रमुख अफगान लड़ाकू (वार लार्ड्स) मार्शल अब्दुल राशिद दोस्तम और अत्ता मुहम्मद नूर तालिबान के हाथों शहर हारने के बाद अपने लड़ाकों और बेटों के साथ उज्बेकिस्तान भाग गए। एक फेसबुक पोस्ट में, नूर ने कहा कि मजार-ए-शरीफ का पतन एक साजिश थी और उन्हें व दोस्तम को सरेंडर करवाने के लिए ऐसा किया गया था।
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अफगानिस्तान के उत्तर में एकमात्र प्रांत, बल्ख, तालिबान के अधीन हो गया, जिसने पूरे उत्तरी क्षेत्र को तालिबानियों के नियंत्रण में ला दिया। तालिबान ने प्रांतीय राजधानी मजार-ए-शरीफ पर भारी हमले किए और अफगान बलों और सशस्त्र विद्रोह के साथ अपेक्षाकृत भारी टकराव के बाद शहर को अपने कब्जे में ले लिया।
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अफगान सरकार ने अभी तक बल्ख प्रांत के पतन पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने अपने ट्विटर पर लिखा कि प्रांतीय कार्यालय, पुलिस मुख्यालय, एनडीएस स्थानीय कार्यालय, और 209वीं शाहीन वाहिनी लड़ाकों के पास चली गई है।
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मुजाहिद ने कहा कि केंद्रीय जेल को भी तोड़ दिया गया है और कैदियों को रिहा कर दिया गया है। इससे पहले, नूर ने कहा था कि वह कभी भी तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा और प्रांत में उसे कोई गिरफ्तार नहीं कर सकता। दोस्तम ने यह भी कहा था कि बल्ख अफगानिस्तान का द्वार है और वे प्रांत को कभी भी तालिबान के हाथों में जाने नहीं देंगे।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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