लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार को 'एक राष्ट्र एक चुनाव' के मुद्दे पर केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई 8 सदस्यीय रामनाथ कोविंद कमेटी में शामिल होने का निमंत्रण ठुकरा दिया। उन्होंने एक पत्र में कहा कि आम चुनावों से कुछ माह पहले और अतार्किक औय़र गैर व्यवहार्य विचार देश पर थोपना सरकार के गुप्त उद्देश्यों के बारे में गंभीर चिंता पैदा करता है।
अधीर रंजन की यह प्रतिक्रिया केंद्र की मोदी सरकार द्वारा एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा को मूर्तरूप देने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई 8 सदस्यीय समिति के ऐलान के बाद सामने आई है। इस समिति में गृहमंत्री अमित शाह के अलावा गुलाम नबी आज़ाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी के नाम शामिल हैं।
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समिति के सदस्यों के नामों का ऐलान करने वाली गजट अधिसूचना जारी होने के बाद अधीर रंजन चौधरी ने पत्र जारी किया है। उन्होंने लिखा है कि, "मुझे अभी मीडिया के माध्यम से पता चला है और एक गजट अधिसूचना सामने आई है कि मुझे लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की गुंजाइश बनाने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है।"
उन्होंने कहा, "मुझे उस समिति में काम करने से इनकार करने में कोई झिझक नहीं है, जिसके संदर्भ की शर्तों को इसके निष्कर्षों की गारंटी देने के लिए तैयार किया गया है। मुझे डर है कि यह पूरी तरह से धोखा है। आम चुनाव से कुछ महीने पहले राष्ट्र पर गैर-व्यवहार्य और तार्किक रूप से लागू न होने वाला विचार थोपना सरकार के गुप्त उद्देश्यों के बारे में गंभीर चिंता पैदा करता है।"
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उन्होंने आगे लिखा है कि, “इसके अलावा, मुझे लगता है कि राज्यसभा में मौजूदा नेता विपक्ष को समिति से बाहर रखा गया है। यह संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था का जानबूझकर किया गया अपमान है। इन हालात में मेरे पास आपके निमंत्रण को अस्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।"
ध्यान रहे कि केंद्र सरकार शुक्रवार (01 सितंबर 2023) को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति बनाने का ऐलान किया था, जो देश में लोकसभा, विधानसभाओं और यहां तक कि पंचायत चुनावों को भी एक साथ कराए जाने की संभावनाओं पर विचार करेगी। इसके बाद शनिवार को सरकार ने इस समिति के सदस्यों के नामों का ऐलान और समिति के कार्य की रूपरेखा की घोषणा की।
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रोचक बात यह है कि यह पहला मौका है जब कि किसी पूर्व राष्ट्रपति को सरकार की समिति में लाया गया है।
(आईएएनएस इनपुट के साथ)
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