अडानी ग्रुप ने अपना एफपीओ 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ को रद्द करने का फैसला किया है। कंपनी का 20,000 करोड़ रुपए का एफपीओ 27 जनवरी को खुला और 31 जनवरी को बंद हुआ था। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने इसे कैंसल करने का फैसला लिया है। निवेशकों के पैसे वापस होंगे। कंपनी ने एफपीओ वापस लेने के पीछे बाजार के वर्तमान हालात को वजह बताया है।
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अडानी एंटरप्राइजेज की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने आज बैठक में अपने ग्राहकों के हित में निर्णय लिया कि इक्विटी शेयरों के 20,000 करोड़ रुपए तक के इक्विटी शेयरों के एफपीओ के साथ आंशिक रुप से पेड-अप आधार पर 1 रुपए प्रत्येक के अंकित मूल्य के साथ आगे नहीं बढ़ेंगे।
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गौरतलब है कि अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी को झटके पर झटका लगता जा रहा है। बुधवार को एक ओर जहां देश का बजट पेश हो रहा था, वहीं दूसरी ओर अडानी समूह की नेटवर्थ में एक बार फिर बड़ी गिरावट आई, जिससे गौतम अडानी अरबपतियों की लिस्ट में खिसककर सीधे 15वें नंबर पर पहुंच गए।
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अडानी समूह द्वारा एफपीओ पर वापस कदम खींचने के पीछे हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से लगे झटके को ही वजह माना जा रहा है। इस रिपोर्ट के आने के बाद से ही अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट का दौर जारी है। इस रिपोर्ट पर अडानी ग्रुप की सफाई का भी कोई असर होता नहीं दिख रहा है। फिलहाल उन्हें कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। अडानी की नेटवर्थ में बीते 24 घंटे में 13.1 अरब डॉलर की कमी आई है और अब उनकी कुल संपत्ति महज 75.1 अरब डॉलर रह गई है। हालांकि कंपनी ने एफपीओ वापस लेने के पीछे बाजार के वर्तमान हालात को वजह बताया है।
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