देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के तीन मूर्ति भवन में सरकार ने देश के सभी प्रधानमंत्रियों का एक संग्रहालय बनाने का फैसला किया है। गुरुवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एनएमएमएल की 43वीं वार्षिक बैठक में यह फैसला लिया गया। इस बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ कई दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान खड़गे ने तीन मूर्ति भवन के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ का कड़ा विरोध किया। उन्होंने यह दलील दी कि तीन मूर्ति भवन पंडित जवाहरलाल नेहरू की धरोहर है। खड़गे ने कहा कि तीन मूर्ति भवन के अंदर किसी भी तरीके का निर्माण करना ठीक नहीं होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर सरकार देश के बाकी प्रधानमंत्रियों के लिए संग्रहालय बनाना चाहती है तो वह किसी दूसरी जगह पर बना सकती है।
नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय के निदेशक शक्ति सिन्हा ने कहा कि तीन मूर्ति भवन की खाली पड़ी जगह पर एक नई इमारत बनाने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि नई इमारत पर 280 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सरकार इस नई इमारत के लिए पहले ही फंड का निर्धारण कर चुकी है।
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बताया जा रहा है कि तीन मूर्ति भवन के अंदर सरकार जिस संग्रहालय का निर्माण कराने जा रही है, उसमें पंडित नेहरू की मूर्ति नहीं रखी जाएगी। बैठक में यह तर्क दिया गया कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि पूरा परिसर ही पंडित नेहरू के नाम पर है। उनके नाम पर पहले से बना संग्रहालय वैसा ही बना रहेगा। ऐसे में नए संग्रहालय में उन्हें जगह देने की जरूरत नहीं है। हालांकि, बैठक में कई दूसरे पक्षों ने इस बात से असहमति जाताई। दूसरे पक्षों ने यह मांग की कि नए संग्रहालय में भी पंडित नेहरू को जगह दी जानी चाहिए। इसमें उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।
बता दें कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू तीन मूर्ति भवन में ही रहते थे। उनके निधन के बाद उनके आवास को संग्रहालय-सह-पुस्तकालय में तब्दील कर दिया गया था। इसका संचालन एक स्वायत्त सोसायटी करती है। यह सोसायटी केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करती है।
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