बिहार की नीतीश सरकार में कोरोना जांच के आंकड़ों में घोटाले का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग का नया कारनामा सामने आया है। ताजा कारनामे में स्वास्थ्य विभाग ने एक मृत चिकित्सक को शेखपुरा जिले के सिविल सर्जन के रूप में पदस्थापित कर दिया। इस मामले के सामने आने के बाद विधानमंडल के दोनों सदनों में विपक्ष ने इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को सफाई देनी पड़ी।
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क्या है पूरा मामला
दरअसल बिहार में सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के कई सारे पदाधिकारियों और चिकित्सकों का स्थनातंरण किया गया था। विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में डॉ. रामनारायण राम को शेखपुरा का सिविल सर्जन बनाया गया है। लेकिन हैरत की बात ये है कि डॉ. रामनारायण राम का करीब एक महीना पहले ही निधन हो गया है। वे प्राथमिक चिकित्सका केंद्र, विक्रमगंज, रोहतास में पदस्थापित थे।
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विपक्ष ने सरकार को घेरा
स्वास्थ्य विभाग के इस हैरतअंगेज मामले के सामने आने के बाद यह मामला मंगलवार को बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों विधानसभा और विधान परिषद में गूंजा। विधानसभा में आरजेडी के विधायक मुकेश रौशन ने इस मामले को उठाते हुए इसे गंभीर मामला बताया। विधान परिषद में भी आरजेडी के सदस्यों ने इस मामले को जोरदार तरीके से उठाया।
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स्वास्थ्य मंत्री को देनी पड़ी सफाई
विपक्ष के हंगामे के बीच विधान परिषद में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सफाई देते हुए कहा कि स्थानांतरण की प्रक्रिया लंबी है। इसकी संचिका बनाने में करीब एक महीने का समय लग जाता है। उन्होंने कहा कि यह मामला गंभीर है और इसकी जानकारी मिलने के बाद स्थानांतरण प्रक्रिया में शामिल जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने कहा जवाब आने के बाद, जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही मंत्री ने बताया कि शेखपुरा जिले में दूसरे सिविल सर्जन की नियुक्ति कर दी गई है।
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सरकार के जवाब से विपक्ष असंतुष्ट
वहीं, मंत्री के जवाब को लीपापोती बताते हुए आरजेडी इस मामले को लेकर सरकार को घेरने में जुटी है। आरजेडी विधायक मुकेश रौशन ने कहा कि मृत डॉक्टर को सिविल सर्जन के रूप में पदस्थापित करना बताता है कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। स्वास्थ्य विभाग की ऊपर से नीचे तक बदहाल स्थिति का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है।
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