देश की आधुनिक राजधानी नई दिल्ली को बने 87 साल हो गए हैं। नई दिल्ली के बीचो-बीच बना भव्य रायसीना हिल्स परिसर इसका गवाह है। रायसीना हिल्स परिसर में ग्रेनाइड से बनी
इमारतों का 1931 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने उद्घाटन किया था।
भारत की राजनीति की दशा और दिशा तय करने वाली राजधानी के इस हिस्से से कई इतिहास जड़े हुए हैं। रायसीना हिल्स परिसर में इमारतों को बनाने के लिए रायसीना गांव के 300 परिवारों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया था और करीब 4000 एकड़ जमीन पर इमारतें बनाई गईं। इमारतों को बनाने के लिए 4 साल का समय निर्धारित किया गया था। लेकिन विश्वयुद्ध के चलते इसे बनाने में लगभग 20 साल लग गए। भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए रायसीना हिल्स के बाकी के इलाके का अधिग्रहण किया गया और नए प्रशासनिक भवन बनाए गए, जिनमें नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक भी शामिल है।
23 जनवरी, 1931 को पहली बार तत्कालीन वॉयसरॉय ऑफ इंडिया लॉर्ड इरविन यहां रहने आए। 1950 के पहले तक इसे वॉयसरॉय हाउस के नाम से जाना जाता था। और इस इलाके का नाम लुटियंस था। रायसीना हिल्स पर वॉयसरॉय हाउस बना हुआ था और अंग्रेजों का शासन वहीं से चल रहा था। 12 दिसंबर, 1911 को ब्रिटिश महाराजा जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली स्थातांरित करने की घोषणा की थी। विशाल गुंबद और मजबूत खंबों पर खड़ा राष्ट्रपति भवन और नार्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक की इमारतें दिल्ली के इतिहास का अहम हिस्सा हैं। इन इमारतों का डिजाइन मशहूर वास्तुशिल्पी सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ड ने तैयार किया था।
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