उत्तराखंड के हरिद्वार में नफरती भाषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को चिट्ठी लिखी है। इन वकीलों ने सीजेआई से नफरती भाषणों पर संज्ञान लेने की अपील की है। 17 से 19 दिसंबर के बीच हरिद्वार में हुई साधु संतों की बैठक में देश के संवैधानिक मूल्यों और सांप्रदायिक सौहार्द के खिलाफ लगातार भाषण हुए थे। अल्पसंख्यकों के खिलाफ हथियार उठाने तक की बात कही गई थी। हैरानी की बात यह है कि हरिद्वार में धर्म संसद आयोजित करने वालों और नफरती भाषण देने वालों का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया।
Published: 27 Dec 2021, 8:46 AM IST
वरिष्ठ वकीलों ने चीफ जस्टिस को लिखी चिट्ठी में कहा है कि पुलिस कार्रवाई न होने पर तुरंत न्यायिक हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है, ऐसे में मौजूदा समय में ऐसी कार्रवाई बेहद आवश्यक हो जाती है। चिट्ठी के मुताबिक, दिल्ली और हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में न सिफ नफरती भाषण दिए गए, बल्कि एक समुदाय के नरसंहार की खुला आह्वान किया गया। वकीलों के खत में कहा है कि यह न सिर्फ भारत की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि लाखों मुस्लिम नागरिकों की जिंदगी को खतरे में डालने का मामला है।
Published: 27 Dec 2021, 8:46 AM IST
चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र में दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, वृंदा ग्रोवर, सलमान खुर्शीद और पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज अंजना प्रकाश जैसे बड़े वकीलों के भी नाम हैं।
नरसंहार की बातों और नफरती बयानबाजी को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी आलोचना हुई थी। चार दिन पहले एक पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन इसमें सिर्फ एक व्यक्ति को नामजद किया गया है. बाद में दो अन्य व्यक्तियों धर्म दास और साध्वी अन्नपूर्णा का नाम भी इसमें शामिल किया गया।
Published: 27 Dec 2021, 8:46 AM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 27 Dec 2021, 8:46 AM IST