महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के कहर को रोकने लिए जारी लॉकडाउन के दौरान मुंबई में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। मुंबई एंटी टेररिस्ट स्क्वाड की नागपाड़ा यूनिट ने 7.10 किलोग्राम रेडियोधर्मी प्राकृतिक यूरेनियम जब्त करके दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। जब्त सामग्री को भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र को भेजा गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह प्राकृतिक यूरेनियम है जो कि अत्यधिक रेडियोधर्मी है और मानव जीवन के लिए बहुत खतरनाक है।
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लगभग 21.30 करोड़ रुपये के प्राकृतिक यूरेनियम की जब्ती के बाद एटीएस ने परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और अन्य कानूनों के तहत आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है और आगे की जांच चल रही है। एटीएस के अनुसार, 14 फरवरी को पुलिस इंस्पेक्टर संतोष भालेकर को एक गुप्त सूचना मिली कि ठाणे का एक व्यक्ति, 27 वर्षीय जिगर जयेश पंड्या कथित तौर पर यूरेनियम के कुछ टुकड़ों का सौदा करने की योजना बना रहा है।
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सूचना की पुष्टि करने के बाद, भालेकर और अन्य एटीएस अधिकारियों ने एक जाल बिछाया और पांड्या को पकड़ने में सफल रहे। पूछताछ के बाद, पंड्या ने खुलासा किया कि यूरेनियम के टुकड़े उसे एक अबू ताहिर अफजल चौधरी द्वारा दिए गए थे। चौधरी उत्तर-पूर्व मुंबई के मानखुर्द उपनगर से है, जो ट्रॉम्बे में बार्क के अनुशक्ति नगर से बमुश्किल 3 किमी दूर है। इसके तुरंत बाद, एटीएस की टीम ने चौधरी को दबोचा और मानखुर्द से एक पंचनामा के तहत रेडियोधर्मी सामग्री को जब्त कर लिया गया।
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बार्क से विश्लेषण रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद और परमाणु खनिज निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर मुंबई एटीएस नागपाड़ा यूनिट ने 5 मई को पहली सूचना रिपोर्ट दर्ज की जिसमें परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और अन्य कानून की धारा शामिल हैं। आरोपी पांड्या और चौधरी को मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया और 12 मई तक एटीएस की हिरासत में भेज दिया गया है।
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एटीएस यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि चौधरी ने कहां से इतनी बड़ी मात्रा में प्राकृतिक यूरेनियम जैस खतरनाक और रेडियोधर्मी पदार्थ हासिल किया और इस षड़यंत्र या साजिश में कितने लोग शामिल थे। एटीएस यह भी पता लगाने में जुटी है कि आखिर किस मकसद से इतनी बड़ी मात्रा में खतरनाक यूरेनियम को मुंबई लाया गया था।
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