लोकसभा चुनाव का पहला चरण दो दिन बाद यानी 11 अप्रैल को है। लेकिन इसी बीच देश के 66 पूर्व नौकरशाहों ने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है। पूर्व नौकरशाहों के द्वारा लिखे गए पत्र में आर्दश आचार संहिता के पालन के प्रति चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर गहरी चिंता जताई है। बता दें कि पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पंजाब के पूर्व डीजीपी जुलियो रिबेरो, प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार और ट्राई के पूर्व चेयरमैन राजीव खुल्लर जैसे पूर्व नौकरशाह ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा।
पूर्व नौकरशाहों ने अपने पत्र में देश में लागू आचार संहिता के पालन के प्रति चुनाव आयोग की भूमिका को कठघरे में रखा है। नौकरशाहों ने चुनाव आयोग की शिकायत करते हुए ‘मिशन शक्ति’ के दौरान एंटी सैटेलाइट मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद पीएम मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन पर सवाल उठाए हैं। इतना ही नहीं इस पत्र में नरेंद्र मोदी पर बनी बायोपिक फिल्म, नमो टीवी, वेब सीरीज और बीजेपी के कई नेताओं के आपत्तिजनक भाषणों का जिक्र भी किया गया है।
पूर्व नौकरशाहों ने पत्र में लिखा है कि आचार संहिता का खूब उल्लंघन हो रहा है लेकिन इसमें चुनाव की भूमिका सवालिया है। चुनाव आयोग ने सिर्फ दिखावे की कार्रवाई की है। जबकि मौजूदा मोदी सरकार के नेता अपने रुतबे का मनमाने ढंग से उपयोग कर आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उनके ऐसे मनमाने कामकाज से साफ है कि चुनाव आयोग के प्रति भी उनके मन में कोई सम्मान नहीं है।
बता दें कि पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखने से पहले चुनाव आयोग को भी पत्र लिखकर आचार संहिता के उल्लंघन को रोकने की बात कही थी। इस पत्र में उन्होंने मोदी बायोपिक फिल्म समेत कई और मुद्दों पर चिंता जताई थी। खबरों के मुताबिक, अब यही शिकायत उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी की है।
बता दें कि इस समय चुनाव आचार संहिता लागू है, लेकिन बीजेपी नेताओं द्वारा इसका जमकर उल्लंघन किया जा रहा है। हाल ही में पीएम मोदी ने एंटी सैटेलाइट वेपन की लॉन्चिंग पर चुनाव आचार संहिता लागू होने के बावजूद देश को संबोधित किया था। इसके अलावा विपक्षी लॉन्च हुए नमो टीवी को लेकर भी विपक्ष ने चुनाव आयोग से सवाल किया था। इसके अलावा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और मोदी के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने चुनावी रैली में भारतीय सेना को मोदी की सेना कहा था। इन सभी मुद्दों को लेकर विपक्ष उठा चुकी और चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग भी कर चुकी है।
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