केंद्र की बीजेपी सरकार ने पाकिस्तान से फौरी तौर पर हर किस्म का संबंध तोड़ा हुआ है। कूटनीति से लेकर सामाजिक स्तर तक पाकिस्तान से भारत के रिश्ते एकदम टूटे हुए हैं। तनाव के इस गहरे धुंधलके और लगभग घोषित 'पाकिस्तान बहिष्कार' के बीच पंजाब के 60 कबड्डी खिलाड़ी पाकिस्तान में होने वाले विश्व कप कबड्डी टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए 8 फरवरी से पाकिस्तान पहुंचे हुए हैं।
पाकिस्तान एमेच्योर सर्किल कबड्डी फेडरेशन के महासचिव मोहम्मद सरवर बट्ट का एक वीडियो सामने आने पर इस सनसनीखेज मामले का खुलासा हुआ और इसके बाद दिल्ली में जबरदस्त हड़कंप मच गया। इसलिए भी कि बीजेपी की ओर से 'बहिष्कृत पाकिस्तान' की सरजमीं पर जाकर भारत का झंडा लहराने वाले 60 कबड्डी खिलाड़ी जिस पंजाब कबड्डी एसोसिएशन (पीकेए) से जुड़े हुए हैं, उस पर बीजेपी के सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल का एकमुश्त कब्जा है।
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पंजाब कबड्डी एसोसिएशन (पीकेए) के अध्यक्ष शिरोमणि अकाली दल के बड़े नेता और पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका हैं और औपचारिक रूप से पाकिस्तान गए खिलाड़ियों का नेतृत्व करने वाले तजिंदर सिंह मिट्ठूखेड़ा, सुखबीर सिंह बादल के बेहद करीबी हैं। पाकिस्तान गए पंजाब कबड्डी एसोसिएशन के खिलाड़ी वहां भारतीय ध्वज तले खेल रहे हैं।
पाकिस्तान जाने के लिए वीजा केंद्र सरकार की विशेष अनुमति और कई तरह की जांच के बाद मिलता है। लेकिन पाकिस्तान गए 60 खिलाड़ियों की अति गंभीर घटना से केंद्रीय गृह मंत्रालय, खेल मंत्रालय और विदेश मंत्रालय पूरी तरह 'अनजान' है। 60 खिलाड़ियों के पाकिस्तान पहुंच जाने के बाद अब केंद्रीय एजेंसियां और सरकार 'जांच' के दावे कर रही हैं।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने सोमवार को चंडीगढ़ में इस पूरे 'खेल' का विस्तृत खुलासा किया तो केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्री किरन रिजिजू ने स्पष्टीकरण दिया कि, "किसी भी भारतीय कबड्डी खिलाड़ी को टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं दी गई है। वीजा देने का मामला किसी देश का संप्रभु विशेषाधिकार है। इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है, लेकिन देश या भारत के ध्वज के नाम पर खेलने के मामले की जांच की जाएगी।"
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भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा ने इस सनसनीखेज मामले के खुलासे के बाद कहा, "हम पाकिस्तान में टूर्नामेंट में भाग लेने वाली कबड्डी टीम के खिलाफ शिकायत दर्ज करेंगे। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के ढांचे के तहत इस प्रकार की गतिविधियों की अनुमति नहीं है। यह भारत के लिए राजनीतिक रूप से अतिसंवेदनशील मुद्दा है। लाहौर पहुंची टीम में भारत की ओर से कोई अधिकारी नहीं है। इसलिए वे अपने बैनर तले 'भारत' शब्द का उपयोग नहीं कर सकते।" जबकि एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एकेएफआई) के प्रशासक जस्टिस एसपी गर्ग ने कहा कि वे कानूनी कार्रवाई करेंगे।
इस अतिसंवेदनशील मामले के सामने आने के बाद पंजाब के खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने कहा कि पाकिस्तान गए खिलाड़ियों का राज्य सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। वहां गए खिलाड़ी राज्य का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे। पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ के मुताबिक, "जब भारत ने पाकिस्तान के टूर्नामेंट के लिए टीम भेजी ही नहीं तो यह 60 खिलाड़ी किस आधार पर वहां भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। मोदी सरकार एक तरफ राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ा रही है और पाकिस्तान को 10 दिन में धूल चटाने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल की सरपरस्ती वाले संगठन से जुड़े खिलाड़ी इतनी बड़ी तादाद में चुपचाप पाकिस्तान पहुंच जाते हैं।”
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सुनील जाखड़ ने आगे कहा, “जगजाहिर है कि पंजाब कबड्डी एसोसिएशन सुखबीर सिंह बादल की जेबी संस्था है। राज्य के सांसदों की अनुमति और फेडरेशन के लेटर हेड पर लिखी मंजूरी खिलाड़ियों को वीजा दिला सकती है। पंजाब से दो बीजेपी सांसद सोम प्रकाश और हरदीप पुरी और अकाली सांसद हरसिमरत कौर बादल सहित तीनों सांसद केंद्र सरकार में मंत्री हैं। ये सब अच्छा रसूख रखते हैं। जांच की जानी चाहिए कि यह पूरा प्रकरण कैसे हुआ और इसमें पंजाब के अकाली-बीजेपी गठबंधन के सांसदों और सुखबीर सिंह बादल की क्या भूमिका है। पूरे मामले की जांच एनआईए से कराई जाए।”
सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान गए पंजाब के 60 खिलाड़ी शिरोमणि अकाली दल के वर्चस्व वाले पीकेए की सहमति के बाद ही पाकिस्तान गए हैं। पूरे मामले का बड़े स्तर पर खुलासा न होता तो पंजाब कबड्डी एसोसिएशन के प्रधान, अकाली सरकार में मंत्री रहे और बादल परिवार के करीबी सिकंदर सिंह मलूका भी पाकिस्तान जाने वाले थे। पाकिस्तान गए खिलाड़ियों का नेतृत्व करने वाले तजिंदर सिंह, सुखबीर सिंह बादल की 'किचन कैबिनेट' के सदस्य हैं और उनके पोलिंग एजेंट रह चुके हैं। उधर सिकंदर सिंह मलूका अब कह रहे हैं कि खिलाड़ी व्यक्तिगत रूप से पाकिस्तान गए हैं। वह मानते हैं कि उन्हें टूर्नामेंट की जानकारी थी और बाकायदा निमंत्रण पत्र भी मिला था।
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ऐसे में अहम सवाल यह है कि इस बाबत भारत सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय, खेल मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, भारतीय ओलंपिक संघ, एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया और पंजाब सरकार को नियमानुसार औपचारिक जानकारी क्यों नहीं दी गई? क्या सुखबीर सिंह बादल की सरपरस्ती और सिकंदर सिंह मलूका की अध्यक्षता वाले पंजाब कबड्डी एसोसिएशन से जुड़े खिलाड़ी केंद्र सरकार की अनुमति के बगैर पाकिस्तान चले गए और वहां भारतीय झंडे तथा बैनर का इस्तेमाल कैसे किया? जब करतारपुर कॉरीडोर के अलावा भारत ने पाकिस्तान से हर स्तर पर संबंध तोड़े हुए हैं। फिर ऐसा कैसे संभव हुआ?
पंजाब कबड्डी एसोसिएशन अपनी सक्रिय भूमिका से किनारा नहीं कर सकता। एसोसिएशन के महासचिव अमरप्रीत सिंह मल्ही ने पिछले साल 28 नवंबर को पाकिस्तान कबड्डी संघ को पत्र लिखकर निमंत्रण के लिए धन्यवाद दिया था और सूचित किया था कि हमने तैयारी शुरू कर दी है, हम भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए उत्साहित हैं और जल्द ही खिलाड़ियों की सूची उपलब्ध करवा देंगे। पाकिस्तान कबड्डी एसोसिएशन को लिखा अमरप्रीत का यह पत्र सोशल मीडिया पर उपलब्ध है।
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गौरतलब है कि हाल ही में पंजाब के तीन मंत्रियों को केंद्र सरकार ने पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब जाने की इजाजत नहीं दी थी, जबकि खुद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष इस मसले पर ठोस पैरवी की थी। ऐसे में 60 कबड्डी खिलाड़ी भारत का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हुए पाकिस्तान कैसे पहुंच गए! वह भी तब जब जिस कबड्डी विश्व कप में शिरकत के लिए 60 भारतीय खिलाड़ी पाकिस्तान गए हैं, उसकी आयोजक पाकिस्तान सरकार है।
वहीं, खबर है कि कनाडा समेत कबड्डी खेलने वाले कई देशों ने इस विश्व कप में शिरकत करने से इंकार कर दिया था तो पाकिस्तान ने भारत के 60 खिलाड़ियों को बुला लिया। पाकिस्तान एमेच्योर सर्किल कबड्डी फेडरेशन के महासचिव सरवर बट्ट इसका विरोध कर रहे हैं और इसके खिलाफ उन्होंने इस्लामाबाद कोर्ट में स्टे आर्डर के लिए रिट भी दायर की थी। इस मामले में उनका एक वीडियो भी सामने आया है। बट्ट के मुताबिक भारतीय पासपोर्ट धारक खिलाड़ियों को विभिन्न देशों की टीमों में मिलाकर टूर्नामेंट को अंतरराष्ट्रीय रूप देने के लिए यह सारी कवायद की गई है।
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सुनील जाखड़ इस पूरे मामले के पीछे गहरी साजिश देखते हैं। उधर पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस विंग के एक आला अधिकारी ने कहा कि पंजाब लौटते ही पाकिस्तान गए पंजाबी कबड्डी खिलाड़ियों से पूछताछ की जाएगी। बाहरहाल, यह बेहद संगीन मामला है और केंद्र सरकार, बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल के लिए यकीनन कई मुश्किलें खड़े करेगा। उन्हें कदम दर कदम बेशुमार सवालों के जवाब देने होंगे। सरकार में रहते हुए सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब में बड़े पैमाने पर कबड्डी मेलों के आयोजनों का सिलसिला शुरू कराया था, लेकिन उनकी सरपरस्ती वाली संस्था से 60 खिलाड़ियों का बिना आधिकारिक सूचना के पाकिस्तान जाना बड़ सवाल तो खड़े करता ही है।
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