मणिपुर में पूरे एक महीने से जारी हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए आज केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने 3 सदस्यीय जांच आयोग का गठन कर दिया। गुवाहाटी हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अजय लांबा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एक जांच आयोग का गठन किया गया है। पूर्व आईएएस अधिकारी हिमांशु शेखर दास और पूर्व आईपीएस अधिकारी आलोक प्रभाकर आयोग में सदस्य बनाए गए हैं।
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गठन के बाद जांच आयोग ने अपना काम शुरू कर दिया है। इस आयोग का हेडक्वार्टर इंफाल में रखा गया है। कमेटी 6 महीने में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगी। इस दौरान कोई भी शख्स पर्याप्त सबूत के आधार पर अपनी शिकायत इस आयोग में दर्ज करा सकता है। आयोग इस बात की जांच करेगा कि मणिपुर में विभिन्न समुदायों के सदस्यों को टारगेट कर हिंसा क्यों की गई।
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यह आयोग इस बात का भी पता लगाएगा कि किन परिस्थितियों में मणिपुर में हिंसा भड़की और कैसे स्थिति और बिगड़ती चली गई? आयोग जांच करेगा कि हिंसा के वक्त सरकारी कर्मचारियों या जिम्मेदार लोगों ने अपनी ड्यूटी सही तरीके से निभाई या नहीं, या फिर उनकी भूमिका उस वक्त कैसी थी। साथ ही क्या किसी भी जिम्मेदार की ओर से कोई चूक या कर्तव्य की अवहेलना हुई या नहीं। साथ ही आयोग देखेगा कि हिंसा को रोकने और उससे निपटने के लिए किए गए प्रशासनिक उपायों की पर्याप्तता कितनी थी।
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इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को इंफाल-दीमापुर एनएच-2 हाईवे पर लगाए गए अवरोधों को हटाने की अपील की। अमित शाह ने ट्वीट में कहा कि मणिपुर के लोगों से मेरी विनम्र अपील है कि इंफाल-दीमापुर एनएच-2 हाईवे पर लगे अवरोधों को हटा लें, ताकि खाना, दवाइयां, पेट्रोल/डीजल और अन्य आवश्यक वस्तुएं लोगों तक पहुंच सकें। उन्होंने कहा कि मैं यह भी अनुरोध करता हूं कि नागरिक समाज संगठन आम सहमति बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। हम सब मिलकर ही इस खूबसूरत राज्य में सामान्य स्थिति बहाल कर सकते हैं।
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