सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले हफ्ते एक सूची तैयार की है, जिसके अनुसार घाटी में कुल 273 आतंकी सक्रिय हैं। 273 सक्रिय आतंकियों में से 158 दक्षिण कश्मीर से, 96 उत्तर कश्मीर से और 19 मध्य कश्मीर से हैं। 107 विदेशी आतंकवादियों की तुलना में स्थानीय आतंकवादियों की संख्या कुल 166 है।
ये आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिजबुल मुजाहिदीन (एचयूएम), जैश-ए-मुहम्मद (जेईएम) और अल बद्र संगठनों से संबद्ध हैं। लश्कर-ए-तैयबा 112 आंतकियों के साथ के सूची में शीर्ष पर है। इसके बाद हिजबुल मुजाहिदीन (100), जैश-ए-मुहम्मद (58) और अल बद्र (3) का स्थान है।
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सूत्र बताते हैं कि पांच अगस्त से अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने और जम्मू एवं कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद सीमा पार से घुसपैठ की कई सफल कोशिशें हुई हैं, और घुसपैठ की घटनाएं भी बढ़ गई हैं।
सूत्रों के अनुसार, संचार माध्यमों को बंद किए जाने के बाद से जहां एक ओर पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका उन्हें आगे के लिए निर्देश नहीं दे पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसके चलते आतंकवाद रोधी अभियान में भी दिक्कतें आ रही हैं। पांच अगस्त के बाद से कुछ आतंकवाद रोधी अभियान चालाए गए हैं, लेकिन वह प्रौद्योगिकी की सहायता से कम और स्थानीय सूचना के आधार पर अधिक रहे हैं।
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सूत्रों का कहना है कि शांति के कारण आतंकियों को एकत्रित होने और घाटी में फैलने के लिए समय मिल गया है। उन्होंने आगे कहा कि काफी देर से शांत रहने के बाद जैसे ही आतंकियों को सीमा पार से निर्देश मिलेंगे, वे तुरंत सुरक्षा बलों पर कोई बड़ा हमला कर सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, आने वाले कुछ दिनों और हफ्तों में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच कई मुठभेड़ देखने को मिल सकती है। आतंकी पुलवामा हमले की तरह ही किसी बड़े हमले को अंजाम देने के फिराक में हो सकते हैं।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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