पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में घायल राज्य के लोगों से मुलाकात करने मंगलवार को कटक पहुंची और वहां के एससीबी मेडिकल कॉलेज और अन्य अस्पतालों में इलाज करा रहे घायलों से मिलीं। कटक में मीडिया से बात करते हुए ममता ने कहा कि ट्रेन में पश्चिम बंगाल से बहुत सारे लोग यात्रा कर रहे थे। अब तक 103 शवों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें से 83 शव परिजनों को सौंपे जा चुके हैं। अन्य शव सौंपे जाने की प्रक्रिया चल रही है, अभी भी राज्य के 31 लोग लापता हैं।
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वहीं पश्चिम बंगाल प्रवासी कामगार संघ ने ओडिशा के बालासोर जिले में बहानागा रेलवे स्टेशन के पास शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतर जाने की घटना की न्यायिक जांच की मांग की है। संघ के राज्य प्रमुख और सीपीएम के पूर्व विधायक एस.एम. सादी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक रहते हैं। जैसा कि इस ट्रेन दुर्घटना में हताहत हुए लोगों की पहचान की गई है, ज्यादा संख्या पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों की है। हमारी मांग है कि मारे गए प्रत्येक प्रवासी श्रमिक के परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए।
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सादी ने कहा, अक्सर पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों की मौत दूसरे राज्यों में हादसों में हो जाती है, लेकिन दुर्भाग्य से उनके परिवार को उचित मुआवजा नहीं मिलता। हम नहीं चाहते कि इस मामले में भी वही बात दोहराई जाए। इसलिए, हम इस मामले की न्यायिक जांच की भी मांग कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर होता अगर राज्य सरकार हताहतों के परिवारों के लिए बेहतर मुआवजे के पैकेज की घोषणा करती। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुआवजा और नौकरी की पेशकश सिर्फ वादे नहीं रहें, बल्कि सही लोगों तक राहत पहुंचे भी।
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बता दें कि 2 जून की शाम को ओडिशा के बालासोर जिले में बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन के पास हावड़ा के शालीमार से चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस, हावड़ा जाने वाली एसएमवीपी-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के बीच हुई भीषण टक्कर में अब तक 288 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। वहीं इस हादसे में 1,100 से अधिक लोग घायल हुए हैं। रेलवे की सिफारिश पर इस हादसे की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है।
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