पेगासस प्रोजेक्ट के खुलासे न सिर्फ चौंकाने वाले हैं बल्कि इससे एक पैटर्न का अनुमान लगता है कि जिन लोगों को नंबरों की जासूसी हुई या करने की कोशिश की गई वे या तो सरकार के आलोचक थे या फिर विपक्षी नेता। हालांकि इसमें सरकार के मंत्रियों और कुछ समर्थकों के भी नाम हैं। ऐसे में लोगों में मन में इस पूरे मामले को लेकर कुछ सवाल हैं, जिनके जवाब देने की हमने कोशिश की है।
यह हैं वह 10 सवाल जिनसे आप समझ जाएंगे क्या है पूरा पेगासस मामला:
सवाल नंबर 1 – किस तरह हुआ यह पूरा खुलासा?
जवाब – एक ऑनलाइन वेबसाइट फॉर्बिडेन स्टोरीज़ और एमनेस्टी इंटरनेशनल को एनएसओ के क्लाइंट्स से लीक वह नंबर मिले जिन्हें जासूसी के लिए चुना गया था। एनएसओ इज़रायल की कंपनी है और पेगासस सॉफ्टवेयर बनाती है
सवाल नंबर 2 – क्या पेगासस का इंवेस्टिगेशन भारत को ध्यान में रखकर किया गया है?
जवाब – नहीं, यह इंवेस्टिगेशन दुनिया के 17 मीडिया संस्थानों/एजेंसियों द्वारा किया गया है और इसके दायरे में भारत समेत 45 देश हैं।
सवाल नंबर 3 – क्या कोई भी पेगासस सॉफ्टवेयर खरीद सकता है?
जवाब – नहीं। सिर्फ संप्रभु सरकारें ही इस सॉफ्टवेयर को खरीद सकती हैं। ऐसा सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ का ही कहना है। कोई भी निजी व्यक्ति या एजेंसी इस सॉफ्टवेयर को नहीं खरीद सकतीं।
सवाल नंबर 4 – क्या भारत सरकार ने इस बात की पुष्टि की है कि उसने यह सॉफ्टवेयर खरीदा है?
जवाब – नहीं। भारत ने इसकी कोई पुष्टि नहीं की है। रोचक बात यह है कि भारत सरकार ने इसका खंडन भी नहीं किया है कि उसने यह सॉफ्टवेयर खरीदा है। इस बारे में सरकार से स्पष्ट सवाल भी पूछे गए हैं
सवाल नंबर 5 – क्या भारत सरकार ने ऐसे किसी जासूसी की पुष्टि की है?
जवाब – भारत सरकार ने कहा है कि देश में कोई भी ‘गैर अधिकृत’ निगरानी (जासूसी) नहीं हो रही है। ऐसे में माना जा सकता है कि अधिकृत तौर पर कुछ तो सर्विलांस यानी जासूसी हो रही है
सवाल नंबर 6 – कुल कितने पत्रकार को नंबर इस सर्विलांस के निशाने पर थे?
जवाब – कुल 180 पत्रकार इस निगरानी के निशाने पर थे, इनमें से 49 भारत के हैं
सवाल नंबर 7 – किन-किन देशों में इस सॉफ्टवेयर को पत्रकारों, एक्टिविस्ट और विपक्षी नेताओं के खिलाफ इस्तेमाल करते हुए पाया गया है?
जवाब – ये देश हैं . अज़रबैजान, बहरीन, कजाकस्तान, मेक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब, हंगरी, यूएई और भारत
सवाल नंबर 8 – भारत में किन लोगों को निशाना बनाया गया?
जवाब – 49 पत्रकार, 3 विपक्षी नेता, 2 केंद्रीय मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा जज के अलावा अन्य लोग जिनमें कारोबारी, उद्योगपति और आम व्यक्ति और विपक्षी नेताओं के मित्र शामिल हैं।
सवाल नंबर 9 – इसकी क्या पुष्टि हुई है कि इन लोगों के नंबरों की जासूसी हुई है?
जवाब – फॉर्बिडेन स्टोरीज के साथ मिलकर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इन लोगों में से 67 फोन की फॉरेंसिक जांच की। इनमें एक दर्जन से ज्यादा पत्रकार भी शामिल थे। जांच से सामने आया कि इन फोन में सॉफ्टवेयर पाया गया है। इसके बाद इन फोन की जांच कनाडा की एक टेक कंपनी ने भी। इस टेक कंपनी को पेगासस के मामलों में महारत है। उसने भी पुष्टि की कि इन फोन में पेगासस सॉफ्टवेयर की मौजूदगी पाई गई है।
सवाल नंबर 10 – क्या यह संभव है कि भारत सरकार ने इस सॉफ्टवेयर को न खरीदा हो और किसी अन्य संगठन ने भारत में इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया हो?
जवाब – नहीं इसकी संभावना नहीं है क्योंकि सिर्फ सरकारें ही इस सॉफ्टवेयर को खरीद सकती हैं। इसके अलावा जिन लोगों के फोन नंबर निशाने पर थे उसमें एक तरह का पैटर्न नजर आता है।
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