सबसे लंबे समय तक किसी भी भारतीय राज्य के मुख्यमंत्री होने का रिकॉर्ड अपने नाम रखने वाले सिक्किम के पूर्व सीएम पवन कुमार चामलिंग को बड़ा झटका लगा है। मंगलवार चामलिंग की पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के 15 विधायकों में से 10 ने बीजेपी का दामन थाम लिया। पवन चामलिंग और अन्य 4 विधायकों को छोड़कर एसडीएफ के बाकी सभी 10 विधायकों ने मंगलवार को दिल्ली आकर बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव राम माधव की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ले ली।
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इसी के साथ इसी साल मई में हुए राज्य विधानसभा के चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाने वाली बीजेपी राज्य में एक ही झटके में जीरो से 10 विधायकों वाली पार्टी बन गई। इन 10 विधायकों के पार्टी में आने से अब सिक्किम में बीजेपी की ताकत बढ़ गई है और चामलिंग की पार्टी अब काफी कमजोर हो गई है। फिलहाल पवन चामलिंग विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी हैं, लेकिन नए समीकरणों में यह पद जाना लगभग तय है, क्योंकि 32 सीटों वाले सिक्किम विधानसभा में अब बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी हो गई है।
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गौरतलब है कि पवन कुमार चामलिंग की पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ने राज्य में 25 सालों तक शासन किया। चामलिंग की पार्टी लगातार पांच चुनावों से जीतती आ रही थी। लेकिन इसी साल मई में हुए 32 सीटों वाले सिक्किम विधानसभा को चुनाव में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को 17 सीटों पर जबकि एसडीएफ को 15 पर जीत मिली थी, जबकि जीत दर्ज की थी। वहीं, पूरे पूर्वोत्तर में अपनी सरकार बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने वाली बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।
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सियासी गलियारों में जारी चर्चा के अनुसार एसडीएफ विधायकों की बीजेपी नेता राम माधव के साथ बातचीत में यह डील फाइनल हुई थी। खबर ये भी है कि पूर्व सीएम पवन चामलिंग को भी पार्टी का बीजेपी में विलय करने का विकल्प दिया गया था लेकिन उन्होंने इसके लिए मना कर दिया था। पूर्वोत्तर के असम-त्रिपुरा-अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में सरकार बना चुकी बीजेपी अब सिक्किम में भी मजबूत हो गई है।
पवन कुमार चामलिंग ने 1933 में एसडीएफ का गठन किया था। उसके बाद एसडीएफ ने राज्य में 1994, 1999, 2004, 2009, 2014 के विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई। लेकिन 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में एसडीएफ को हार का सामना करना पड़ा।
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