पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में एक तरह से क्लीन स्वीप करने वाली बीजेपी के लिए इस बार हवा ठीक नहीं बह रही है। बात करें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तो यहां जमीन पर पूरा माहौल बीजेपी के खिलाफ है। पिछले चुनाव में मोदी मैजिक से सबको चौंकाने वाली बीजेपी इस बार यहां लोगों की भारी नाराजगी का सामना कर रही है।
इसकी बानगी हाल में बिजनौर के रामराज में हुई सीएम योगी आदित्यनाथ की रैली में देखने को मिली। दिल्ली-पौड़ी राजमार्ग पर मेरठ से 45 किमी की दूरी पर 10 हजार की आबादी वाला रामराज सिख बहुल कस्बा है। यहां के ज्यादातर लोग विदेश में रहते हैं। मेरठ, बिजनौर और मुजफ्फरनगर जनपद से सटा रामराज बिजनौर लोकसभा का हिस्सा है।
इसी भौगालिक स्थिति की वजह से उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनावी कार्यक्रम के लिए इसका चयन किया गया था। बुधवार को योगी आदित्यनाथ यहां के मॉडर्न इंटर कॉलेज के मैदान में सभा के लिए पहुंचे जरूर, लेकिन सभा मे भीड़ इकट्ठा करने में आयोजकों के पसीने छूट गए। पूरी ताकत झोंकने के बाद भी पांच हजार लोग नहीं जुट पाए।
इस रैली तक लोगों को पहुंचाने के लिए बीजेपी नेताओं को काफी जतन करने पड़े। योगी ने यहां 45 मिनट भाषण दिया, लेकिन उन्होंने क्या कहा, वह भारी शोर में किसी की समझ मे नहीं आया। हालांकि, मैदान में भीड़ अच्छी दिखाने के लिए कुर्सी गणित भिड़ाया गया था। लेकिन अव्यस्था और कम भीड़ से गुस्साए योगी अपना भाषण खत्म कर बिना किसी से बात किये वहां से वापस चले गए।
इसकी वजह बताते हुए रामराज के सरदार गुरप्रीत सिंह कहते हैं, “बीजेपी के पैरों के नीचे से जमीन खिसक चुकी है। लोग इनकी सभाओं में नहीं आना चाहते। योगी की सभा मे बमुश्किल 5 हजार लोग होंगे, जिसमे स्थानीय लोग आधे भी नहीं थे। समाज इनके जुमलों और घृणा की राजनीति से तंग आ चुका है।”
हालांकि यहां के स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता सोमपाल के मुताबिक “बीजेपी का प्रत्याशी बेहद नकारा और निष्क्रिय है। लोगों मे उसे लेकर बहुत नाराजगी है। सांसद रहते हुए वो पांच साल गायब रहा। हम तो पार्टी से मजबूर है, लेकिन जनता समझ रही है।”
यहीं से 10 किमी आगे चलकर इसी मार्ग पर बिजनौर लोकसभा की महत्वपूर्ण विधानसभा मीरापुर है। यहां के कांग्रेस प्रत्याशी नसीमुद्दीन सिद्दीकी के कार्यालय में उनके पुत्र अफजल सिद्दीकी एक तख्त के किनारे बैठे एक कांग्रेस कार्यकर्ता से बात कर रहे हैं। इसी तख्त पर एक डायरी हाथ मे लिए एक नौजवान सलमान सईद लगातार फोन पर बात कर नुक्कड़ सभा की व्यवस्था में लगे हैं। सलमान प्रदेश के पूर्व मंत्री सईदुज्जमां के बेटे हैं।
यहीं पर मिले 67 साल के जन्मजात कांग्रेसी कार्यकर्ता ओमपाल सिंह कहते हैं, “अब युवाओं में जोश दिखाई देता है। पिछले कुछ समय से यह कांग्रेस में नहीं दिखता था। जमीन पर काम भी हो रहा है। कांग्रेस के कार्यकर्ता जमीन पर जुटते दिख रहे हैं।”
पास में ही मौजूद एसपी-बीएसपी गठबंधन के कार्यालय पर भारी संख्या में दलित और गुर्जर इकट्ठा हैं। गठबंधन प्रत्याशी मलूक नागर के भाई और पिछली बीएसपी सरकार में मंत्री रहे लखीराम नागर कहते हैं, ”लोगों में उत्साह है और वे हर हाल में मोदी को हटाना चाहते हैं। मोदी के झूठ से लोग तंग हैं, अब उनकी जुमलेबाजी की पोल खुल चुकी है। बीजेपी सरकार सिर्फ पूंजीपतियों की सरकार साबित हुई है। इन्होंने देश का भाईचारा खत्म किया है। आज यहां मोदी के खिलाफ हवा है।”
इस लोकसभा क्षेत्र के गांव जड़वड़ कटिया के रहने वाले 76 साल के बुजुर्ग श्योराज गुर्जर भी पीएम मोदी पर काफी भड़के नजर आए। कारण पूछने पर उन्होंने कहा, “मैंने गैस सिलेंडर मांगा तो नहीं दिया! मुझे कह दिया कि तुम्हारी पत्नी नहीं है , इसलिए नहीं मिलेगा, क्योंकि योजना में सिर्फ महिला को ही मिलेगा। अब ये मोदी जी बताएं कि जिनके पत्नी नहीं है वो भूखे रहते हैं क्या! बात ये है कि ये प्रधानमंत्री झूठा है।”
दिल्ली पौड़ी मार्ग पर ही बलीपुरे गांव के एक युवा आजाद चौधरी खिलौनों के व्यापार से जुड़े हैं। वह कहते हैं, “मोदी सरकार ने छोटे और युवा व्यापारियों के लिए स्थिति बहुत मुश्किल कर दी है। व्यापार शुरू करना ही बहुत कठिन हो गया है। इस सरकार ने सबसे चैन सुकून छीना, अब रोजगार भी छीन लिया है।”
स्थानीय लोगों में पीएम मोदी को लेकर काफी नाराजगी है। इस बार उनकी लहर नहीं दिखाई देती। आम लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं। कृषि बहुल इस इलाके में किसानों में गहरी नाराजगी है। हालांकि यहां बीजेपी कार्यालय पर बैठे पंकज संगल ने कहा कि तमाम कमियों को दरकिनार कर वो देशभक्त मोदी को वोट देंगे।
खास बात ये है कि इस इलाके में इस बार बीजेपी नेताओं के निशाने पर आरएलडी है। मेरठ और सहारनपुर की अपनी रैली में प्रधानमंत्री मोदी जमकर आरएलडी पर बरसे थे। इस बार आरएलडी नेता चौधरी अजित सिंह मुजफ्फरनगर और उनके बेटे जयंत चौधरी बागपत से चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए जाटों का झुकाव इस बार आरएलडी की तरफ है।
यहां जाटों को हाथ से निकलता देख बीजेपी अब गुर्जरों को मनाने की कवायद में जुटी है। लेकिन इसी मार्ग पर स्थित बहसूमा के बड़े गुर्जर नेता कुंवर देवेंद्र सिंह कहते हैं कि गुर्जरों का सारा ध्यान अपना सांसद बनाने पर है और पश्चिम यूपी के पहले चरण के चुनाव में तीन गुर्जर मुख्य मुकाबले में हैं। जाहिर है यह मुकाबला बीजेपी से है तो फिर गुर्जर बीजेपी को वोट क्यों करेगा उन्होंने कहा कि गुर्जरों को सदन में अपना प्रतिनिधित्व चाहिए। गुर्जर समाज अब जागरूक है और वो मोदी के जुमलों में फंसने वाला नहीं है।
बिजनौर लोकसभा में भी पहले चरण में चुनाव होना है। यहां बीजेपी ने अपने सांसद कुंवर भारतेंदु सिंह को फिर से प्रत्याशी बनाया है। हालांकि पांच साल जनता के बीच दिखाई नहीं देने के कारण उन्हें लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले दिनों बिजनौर में किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। अब इसके प्रतिकूल परिणाम सामने आ रहे हैं। गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर यहां मलूक नागर को टिकट दिया गया है, जबकि कांग्रेस ने यहां से नसीमुद्दीन सिद्दीकी को मैदान में उतारा है।
पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुंवर भारतेंदु सिंह ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी शाहनवाज राणा को हराकर जीत हासिल की थी। मलूक नगर उस समय तीसरे स्थान पर रहे थे। इस सीट में 15 लाख से ज्यादा वोटर हैं, जिनमें 5 लाख से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं, जबकि 3 लाख दलित हैं। 2014 में यहां से आरएलडी की टिकट पर जया प्रदा भी चुनाव लड़ी थीं। उन्हें 24 हजार 348 वोट मिले थे।
इस बार गठबंधन प्रत्याशी की जीत की उम्मीद गुर्जर वोटरों पर टिकी है। दो बार लोकसभा चुनाव हार चुके मलूक नागर को इस बार गुर्जरों की सहानभूति मिल रही है। बिजनौर लोकसभा मे एक लाख से ज्यादा गुर्जर हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी के कुंवर भारतेंदु सिंह को 486943, एसपी के शाहनवाज राणा को 281136 और बीएसपी के मलूक नगर को 230124 वोट मिले थे।
पिछले चुनाव में मोदी लहर का भी असर था जो इस बार कहीं दिखाई नहीं दे रही। एसपी और बीएसपी के वोट को अगर जोड़ दिया जाए तो वो बीजेपी उम्मीदवार को मिले वोटों से 24317 ज्यादा है। बिजनौर लोकसभा में पांच विधानसभा सीटे- बिजनौर, पुरकाजी, मीरापुर, चांदपुर और हस्तिनापुर आती हैं।
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