लोकसभा चुनाव 2019

पश्चिमी यूपीः दूसरे चरण में भी मुश्किल में बीजेपी, लग सकता है एक और झटका

पहले चरण के मतदान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर बुरी तरह से पिछड़ने की तमाम संभावनाओं के बीच दूसरे चरण के मतदान में भी इलाके की सीटों पर बीजेपी मुश्किल में नजर आ रही है। इलाके में बीजेपी सरकार के खिलाफ लोगों में गहरी नाराजगी है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की सीटों पर प्रचार खत्म हो चुका है और 18 अप्रैल को मतदान होना है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिन लोकसभा सीटों पर इस दिन मतदान होना है वहां बीजेपी सरकार के विरोध में माहौल है और लोगो मे बीजेपी को लेकर गहरी नाराजगी है।

दूसरे चरण में पश्चिमी यूपी की आठ लोकसभा सीट- नगीना, अमरोहा, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा और फतेहपुर सीकरी में चुनाव है। इसे सुरक्षित सीटों का संग्राम भी कह सकते हैं क्योंकि इनमे से चार सीटें आरक्षित हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर बीजेपी के सांसद चुने गए थे, लेकिन इस बार इसकी संभावना क्षीण है।

स्थानीय लोगों की मानें तो इसकी वजह बीजेपी सरकार के झूठे वादे और समाज को बांटने की नीति है। जहां पहले चरण चे चुनाव में बीजेपी सरकार के कई मंत्रियों पर हार का खतरा मंडरा रहा है, वहीं दूसरे चरण की सीटों पर भी बदले माहौल में कई बीजेपी सांसद सदन से दूर रह सकते हैं।

दूसरे चरण में कुल आठ सीटों पर चुनाव है। इनमें नगीना से डॉ यशवंत सिंह, बुलंदशहर से भोला सिंह, मथुरा से हेमा मालिनी और अलीगढ़ से सतीश गौतम को कुर्सी चले जाने का सबसे ज्यादा खतरा है। हालात ये हैं कि तीन लाख वोट से आगरा से जीतने वाले बीजीपी सांसद रामशंकर कठेरिया का जनविरोध के की वजह से टिकट काटना पड़ा है।

नगीना में बीएसपी के गिरीशचंद्र, बीजेपी के डॉ यशवंत सिंह और कांग्रेस की ओमवती देवी में त्रिकोणीय लड़ाई है। बुलंदशहर में भी बीजेपी सांसद भोला सिंह बीएसपी के योगेश वर्मा और कांग्रेस के बंशी पहाड़िया के जाल में फंस गए हैं। अलीगढ़ में कांग्रेस के बिजेंद्र सिंह ने बीजेपी के सतीश गौतम की नाक में दम कर दिया है। वहां, बीएसपी के अजित बालियान भी दोनों को कड़ा मुकाबला दे रहे हैं।

वहीं, आगरा में बीजेपी एसपी बघेल को भेजकर पहले ही बैकफुट पर आ गई है। 2014 में यहां तीन लाख वोट से चुनाव जीतने वाले रामशंकर कठेरिया का टिकट कटने से वो पहले ही हार मान चुकी है। जबकि फतेहपुर सीकरी से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर चुनाव लड़ रहे हैं और वो बीजेपी के राजकुमार चाहर के साथ सीधे मुकाबले में हैं। यहां गठबंधन असरहीन दिखाई देता है। गौरतलब है कि यहां से राज बब्बर पहले भी सांसद रहे हैं।

नगीना लोकसभा क्षेत्र के खुर्शीद मंसूरी के मुताबिक पहले चरण के मतदान के बाद बीजेपी की जमीन उखड़ चुकी है। दूसरे चरण में भी वो अपनी सभी सीटों पर संघर्ष कर रही है। इस बार भी आठ सीटों पर मुकाबला है। जनता में बीजेपी सांसदों के प्रति आक्रोश है। नगीना के ही महेंद्र जाटव के अनुसार इस बार बीजेपी सभी सुरक्षित सीटों पर चुनाव हारने जा रही है, क्योंकि समाज ने एकजुट होकर बीजेपी के विरोध में मतदान करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को इस बात पर भरोसा नहीं, वे पहले चरण के मतदान का ट्रेंड समझ लें।

मथुरा में भी दूसरे चरण में ही मतदान होना है। यहां बीजेपी की प्रत्याशी हेमा मालिनी की जमीन भी खिसकती नजर आ रही है। ब्राह्मण वोटों के कांग्रेस प्रत्याशी महेश पाठक की और झुकाव के चलते यहां भी लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है। यहां हेमा मालिनी को भारी विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। गठबंधन की ओर से यहां आरएलडी के कुंवर नरेंद्र सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।

आगरा के ऑटो चालक इंद्रजीत के मुताबिक इस बार लोगों में बीजेपी की सरकार के खिलाफ गुस्सा है। इंद्रजीत कहते हैं, “यहां बीजेपी नेता ने टूरिस्ट पार्क बनाने का वादा किया था। पेठे वाले से लेकर जूते वाले सब परेशान हैं। सबको अच्छी जिंदगी की तलाश है, लेकिन बीजेपी सरकार अपने वादे पर खरी नहीं उतरी। सांसद पूरे पांच साल यहां दिखाई नहीं दिए। उनका टिकट काट दिया है, लेकिन बीजेपी की बात तब भी बनती दिखाई नहीं दे रही है।”

दूसरे चरण में बुलंदशहर में भी चुनाव है। बुलंदशहर से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के करीबी भोला सिंह सांसद हैं। बुलंदशहर में पिछले साल गौकशी के शक में हुई हिंसा में एक इंस्पेक्टर की हत्या कर दी गई थी, जिसमें बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज समेत कई हिन्दू संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओ के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया है।

स्याना के अरविंद शर्मा कहते हैं कि इस बार बीजेपी के भोला सिंह आसानी से नहीं जीत पाएंगे। 2014 में वो चार लाख वोटों से जीते थे, लेकिन इस बार उनकी हार तय है। शर्मा कहते हैं, “बीजेपी विरोधी वोटर बेहद समझदारी से वोट कर रहा है। पहले चरण में सब यह देख चुके हैं। भोला सिंह ने हर मामले को सांप्रदायिक रंग देने के अलावा कुछ नहीं किया है। गांव-गांव पहुंचने पर उनका विरोध हो रहा है। बीजेपी की सरकार की कथनी और करनी में भारी अंतर है।”

दूसरे चरण के मतदान वाली सभी 8 सीटों पर जमीनी हकीकत बीजेपी के लिए आसान नहीं है। लाके के लोगों की बातों से और स्पष्ट हो जाता है कि इस बार बीजेपी के लिए राह आसान तो नहीं ही है, बल्कि नामुमकिन है।

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