इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार की भारी किरकिरी हुई है। देश की सबसे बड़ी अदलात ने आज (बृहस्पतिवार) कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए काले धन पर काबू नहीं पाया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि मोदी सरकार की काले धन पर लगाम लगाने की कोशिश के रूप में इलेक्टोरल बॉन्ड्स की कवायद पूरी तरह से बेकार है।
उच्चतम न्यायालय ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर सवाल उठाते हुए इसे काले धन को सफेद करने का तरीका करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से इलेक्टोरल बॉन्ड्स की बिक्री को लेकर बैंकों को कोई जानकारी नहीं दी जा रही है, इससे लगता है कि ब्लैक मनी को सफेद करने में इसका इस्तेमाल हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट कल इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा।
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ कर रही है। चीफ जस्टिस गोगोई ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा, क्या इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदने वाले की जानकारी बैंक के पास है ? इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा, हां, केवाईसी के कारण ऐसा है। हालांकि, खरीदार की पहचान गोपनीय रखी जाती है और महीने के अंत में इसकी जानकारी केंद्रीय कोष को दी जाती है।
इस पर सीजेआई ने पूछा, ‘हम यह जानना चाहते हैं, जब बैंक एक इलेक्टोरल बॉन्ड्स ‘एक्स’ या ‘वाई’ को जारी करता है तो बैंक के पास इस बात का विवरण होता है कि कौन सा बॉन्ड ‘एक्स’ को और कौन सा बॉन्ड ‘वाई’ को जारी किया जा रहा है।’इसका ऑटर्नी जनरल के पास कोई जवाब नहीं था। इस पर सीजीआई ने कहा कि यदि ऐसा है तो काले धन के खिलाफ लड़ाई की ये कोशिश पूरी तरह से बेकार है।
इस पर संजीव खन्ना का कहना था कि जिस केवाईसी की आप बात कर रहे हैं वह सिर्फ खरीददार की पहचान है। यह पैसे की वास्तविकता का सर्टिफिकेट नहीं है कि यह धन काला है या सफेद।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम में काले धन पर अंकुश लगाने के लिए कुछ भी नहीं है। राजनीतिक दलों को गुमनाम रूप से पैसे देने का यह एक नया चैनल है। प्रशांत भूषण ने कहा कि अब कैश में भी राजनीतिक दलों को चंदा दिया जा सकता है। इलेक्टोरल बॉन्ड्स से सबसे ज्यादा पैसा सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को मिला है। प्रशांत भूषण ने इस पर भी सवाल उठाए, उन्होंने कहा कि 220 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड में 210 करोड़ रुपये सत्ताधारी पार्टी को मिले हैं।
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