प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के फायर ब्रांड मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वी यूपी में ‘मुनिया‘ से घिरे हुए हैं। ‘मुनिया’, यानी मुस्लिम, निषाद और यादव बिरादरी का नया समीकरण। इस इलाके की 20 से अधिक सीटों पर बीजेपी की मुश्किलें इसी नये समीकरण की वजह से बढ़ी हुई हैं।
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद की रोज पाला बदलने की सियासत ने उन्हें ही घाटा पहुंचाया है। दरअसल, उनकी छवि सौदेबाज की बन चुकी है। इसकी वजह भी है। पूर्व मंत्री जमुना निषाद की मौत के बाद साल 2013 में होम्योपैथिक डाॅक्टर संजय निषाद ने निषाद जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने को लेकर बड़ा आंदोलन किया था।
Published: undefined
गोरखपुर के कसरवल में रेल लाइन पर आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में एक युवक की मौत के बाद संजय ने सुर्खियां बटोरीं। बिरादरी में एकाएक बनी पहुंच का ही नतीजा था कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने 100 से अधिक सीटों पर निषाद पार्टी के सिंबल पर प्रत्याशी उतारे। उन पर टिकट बेचने के आरोप तक लगे। लेकिन भदोही के ज्ञानपुर से बाहुबली विजय मिश्रा की जीत से उन्हें मजबूती भी मिली।
इसी बीच योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनने पर अपनी गोरखपुर लोकसभा सीट छोड़नी पड़ी, जहां 2018 में उपचुनाव हुआ। इसमें लगभग पूरे विपक्ष ने संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को समर्थन दिया और वह एसपी के टिकट पर जीत गए। इस चुनाव परिणाम से योगी आदित्यनाथ के वर्चस्व को तगड़ा झटका लगा।
Published: undefined
इस बार भी प्रवीण निषाद का दोबारा लड़ना तय माना जा रहा था। लेकिन उनके पिता संजय निषाद खुद महराजगंज, बेटे को गोरखपुर और जौनपुर से बाहुबली धनंजय सिंह के लिए टिकट मांग रहे थे। ब्लैकमेलिंग की इंतेहा देख एसपी-बीएसपी गठबंधन ने निषाद पार्टी को बाहर का रास्ता दिखा दिया। पार्टी ने पाला बदला और एनडीए गठबंधन का हिस्सा बन गई।
प्रवीण निषाद संतकबीर नगर सीट से बतौर बीजेपी प्रत्याशी मैदान में हैं। यहां 2 लाख से अधिक निषाद वोटर हैं, लेकिन प्रवीण को झंडा ढोने वाले नहीं मिल रहे हैं। बीजेपी संगठन ‘जूता कांड’ से चर्चित हुए निवृत्तमान सांसद शरद त्रिपाठी या फिर मेहदावल विधायक राकेश सिंह बघेल की खेमेबंदी में फंसी है। ऐसे में यहां कांग्रेस प्रत्याशी भालचंद यादव और गठबंधन प्रत्याशी भीष्म शंकर तिवारी की हालत मजबूत है। दरअसल, निषाद बिरादरी अपना विकल्प देख रही है और मुस्लिम वोटरों के साथ जाने को सोच रही है।
Published: undefined
गंगा और उसकी सहायक नदियों के अगल-बगल की करीब 20 सीटों पर निषाद बिरादरी के वोटर निर्णायक स्थिति में हैं। इनमें गोरखपुर, महराजगंज, बांसगांव, कुशीनगर, अंबेडकर नगर, भदोही, जौनपुर, बस्ती, मिर्जापुर, मऊ, बलरामपुर, बाराबंकी, मिर्जापुर, मछलीशहर और आजमगढ़ की सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर निषाद वोटरों की संख्या डेढ़ लाख से लेकर चार लाख तक है। इन सीटों पर मुस्लिम-यादव वोटरों की संख्या भी निर्णायक हैं।
वाराणसी सीट पर भी मुनिया समीकरण बीजेपी को परेशान कर सकता है। करीब 18 लाख वोटरों में से 5 लाख वोटर इसी समीकरण के दिख रहे हैं। इन सभी सीटों पर 12 और 19 मई को वोटिंग हैं। निषाद वोटरों को साधने के लिए गठबंधन ने पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद को गोरखपुर से टिकट दिया है। वहीं टिकट के भरोसे पर पूर्व मंत्री जमुना निषाद के बेटे अमरेंद्र निषाद और पूर्व विधायक मां राजमति निषाद बीजेपी में गए लेकिन 43 दिनों के अंदर ही एसपी में वापसी कर चुके हैं। मछलीशहर से बीजेपी सांसद रामचरित्र निषाद भी पिछले 19 अप्रैल को एसपी में शामिल हो चुके हैं।
Published: undefined
गोरखपुर यूनिवर्सिटी में इतिहास विभाग के प्रोफेसर चंद्रभूषण अंकुर कहते हैं कि ‘पूर्वांचल में एसपी एमवाई समीकरण के साथ पिछड़े वोटों के भरोसे जीतती रही है। निषादों के प्रति बीजेपी की गुणा-भाग वाली नीति के बाद निषाद वोटों का भी लाभ गठबंधन उम्मीदवारों को मिलता दिख रहा है।
राजनीति पर नजर रखने वाले महराजगंज के साहित्यकार डाॅ घनश्याम पांडे कहते हैं कि ‘पूर्वांचल में निषाद वोटर निर्णायक साबित होते रहे हैं। इसीलिए निषादों की रहनुमाई करने वाले स्थानीय क्षत्रपों की सियासत में खूब पूछ रही है। निषाद वोटरों को अपनी तरफ खींचने के लिए एसपी ने दस्यु सुंदरी फूलन देवी को न सिर्फ 1996 में मिर्जापुर से टिकट दिया बल्कि जीत भी दिला दी।
गोरखपुर में निषाद वोटों के भरोसे ही एसपी प्रत्याशी जमुना निषाद योगी आदित्यनाथ के समक्ष चुनौतियां पेश करते रहे थे। साल 1999 के लोकसभा चुनाव में निषाद वोटों के भरोसे जमुना निषाद ने योगी आदित्यनाथ को कड़ी टक्कर दी थी। तब योगी को सिर्फ 7,339 वोटों से किसी तरह जीत मिली थी।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined