तो क्या मोदी सरकार स्कूलों में क्विज कराने के बहाने चुनाव प्रचार कर रही है? यह सवाल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा सम्बद्धता प्राप्त 20 हजार से ज्यादा स्कूलों के भेजे गए एक निर्देश की वजह से उठ रहा है। दरअसल सीबीएसई ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुरोध पर स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वो अपने छात्र-छात्राओं को क्लीन गंगा मिशन पर एक ऑनलाइन क्विज में हिस्सा लेने को कहें। मंत्रालय के मुताबिक यह क्विज गंगा और नदियों के बारे में छात्रों की जानकारी और उनके ज्ञान को आंकने और उन्हें जागरूक करने की एक पहल है। यह क्विज 1 से 15 अप्रैल तक चलेगी।
वैसे तो मोदी सरकार गंगा सफाई के नाम पर कई अभियान चला रही है। लेकिन इसका कोई सकरात्मक परिणाम नहीं दिख रहा है। वहीं कुछ एक्टिविस्ट्स सरकार पर गंगा को प्रभावित करने वाले ‘मूल’ कारकों की अनदेखी का आरोप लगाया है। उन एक्टिविस्टों ने क्विज पर संदेह भी जताया है। उन्हें लगता है कि क्विज सरकार के गंगा साफ करने के प्रयासों का चुनाव से पहले प्रचार का तरीका भी हो सकता है।
अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने मंत्रालय के हवाले से खबर छापी है जिसमें लिखा है कि यह क्विज 15 अप्रैल से 15 मई तक चलेगी, जिसके नतीजे 5 जून को पर्यावरण दिवस के दिन जारी किए जाएंगे।
अखबार ने इस मुद्दे पर रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरणविद राजेन्द्र सिंह से बात की है। राजेन्द्र सिंह ने कहा है कि, यह क्विज मूर्ख दिवस के चुटकुले जैसा है, क्योंकि यह 1 अप्रैल से शुरू हो रही है। श्री सिंह ने सरकार पर गंगा की सफाई के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं करने के भी आरोप लगाए हैं। हालांकि मोदी सरकार गंगा सफाई के लिए अलग अलग पोजेक्ट्स पर 24,672 करोड़ रुपए खर्च करने का दावा करती है। लेकिन राजेंद्र सिंह का कहना है कि, यह सिर्फ छलावा है, गंगा की हालत में कोई सुधार नहीं हुई है।
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