लोकसभा चुनाव 2019

लोकतंत्र के पन्ने: 1996 लोकसभा चुनाव, जब पहली बार बीजेपी का कोई नेता बना पीएम, सिर्फ 13 दिन चली सरकार

बीजेपी पहली बार कांग्रेस से ज्यादा सीटें लाने में कामयाब रही। 161 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी 13 दिन तक प्रधानमंत्री रहे, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

ग्यारवीं लोकसभा के चुनाव अप्रैल-मई 1996 में हुए। लोकसभा की 543 सीटों के लिए कराए गए इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। बीजेपी पहली बार कांग्रेस से ज्यादा सीटें लाने में कामयाब रही। 161 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी 13 दिन तक प्रधानमंत्री रहे, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

1996 के लोकसभा चुनावों में 8 राष्ट्रीय दल, 30 राज्य स्तरीय दल सहित 171 रजिस्टर्ड पार्टियां चुनाव लड़ीं। कुल 13,952 प्रत्याशी मैदान में थे। पहली बार उम्मीदवारों की संख्या 10 हजार के पार पहुंची थी। लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों के दबदबे की शुरुआत भी 1996 से हुई। इस बार क्षेत्रीय पार्टियों को 543 में से 129 सीटें मिलीं।

दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को 140 सीटें मिलीं, लेकिन उसने सरकार न बनाने का निर्णय लिया। चुनाव से पूर्व कई नेताओं ने कांग्रेस से अलग होकर पार्टियां बनाईं। इनमें एनडी तिवारी की ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी), माधवराव सिंधिया की मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस, जीके मूपनार की तमिल मनीला कांग्रेस शामिल थीं।

कांग्रेस से अलग होकर कांग्रेस (तिवारी) पार्टी बनाने वाले दिग्गज नेता एनडी तिवारी और अर्जुन सिंह दोनों चुनाव हार गए। तिवारी झांसी से लड़े और पांचवें स्थान पर रहे। वहीं अर्जुन सिंह सतना से हार गए। अर्जुन सिंह को बीएसपी के सुखलाल कुश्वाह ने हराया। अर्जुन सिंह तीसरे स्थान पर रहे। चुनाव में तिवारी कांग्रेस के सिर्फ दो सांसद सतपाल महाराज और शीशराम ओला ही जीते।

इस लोकसभा चुनाव में कोई भी पार्टी बहुमत के पास भी नहीं पहुंच पाई थी। बीजेपी 161 सीेटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी जरूर बन गई थी लेकिन बहुत साबित करने के लायक नंबर उसके पास नहीं थे। राष्ट्रपति ने अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया, क्योंकि वे संसद में सबसे बड़ी पार्टी के मुखिया थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई को प्रधानमंत्री का पद संभाला और संसद में क्षेत्रीय दलों से समर्थन पाने की कोशिश की। लेकिन अपने इस कार्य में वे विफल रहे और केवल 13 दिनों के बाद ही उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। जनता दल के नेता एच. डी. देवेगौडा ने 1 जून को एक संयुक्त मोर्चा गठबंधन सरकार का गठन किया। लेकिन उनकी सरकार भी 18 महीने ही चली। देवेगौड़ा के कार्यकाल में ही विदेश मंत्री रहे इन्द्र कुमार गुजराल ने अगले प्रधानमंत्री के रूप में अप्रैल, 1997 में पदभार संभाला। कांग्रेस ने उनकी सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी। 1998 में मध्यावधि चुनाव कराए गए।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined

  • छत्तीसगढ़: मेहनत हमने की और पीठ ये थपथपा रहे हैं, पूर्व सीएम भूपेश बघेल का सरकार पर निशाना

  • ,
  • महाकुम्भ में टेंट में हीटर, ब्लोवर और इमर्सन रॉड के उपयोग पर लगा पूर्ण प्रतिबंध, सुरक्षित बनाने के लिए फैसला

  • ,
  • बड़ी खबर LIVE: राहुल गांधी ने मोदी-अडानी संबंध पर फिर हमला किया, कहा- यह भ्रष्टाचार का बेहद खतरनाक खेल

  • ,
  • विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले कांग्रेस ने महाराष्ट्र और झारखंड में नियुक्त किए पर्यवेक्षक, किसको मिली जिम्मेदारी?

  • ,
  • दुनियाः लेबनान में इजरायली हवाई हमलों में 47 की मौत, 22 घायल और ट्रंप ने पाम बॉन्डी को अटॉर्नी जनरल नामित किया