शाम होने को है, और सूरज की तपिश कुछ कम हुई है। यह वह समय होता है जब चुनावी उम्मीदवार इलाकों में घूम-घूमकर वोटरों से अपील करते हैं। झारखंड में धनबाद से कांग्रेस उम्मीदवार कीर्ति आज़ाद अभी थोड़ा आराम कर रहे हैं। वैसे बोकारो के अग्रसेन भवन में काफी चहल पहल है। इस मौके पर हमने कीर्ति आज़ाद से चुनावी माहौल के बारे में बातचीत की।
बता दें कि कीर्ति आज़ाद पहले बीजेपी में थे, लेकिन फरवरी 2019 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। कीर्ति आज़ाद 2014 में बिहार के दरभंगा से बीजेपी के टिकट पर जीते थे, लेकिन इस बार वे झारखंड के धनबाद से मैदान में हैं। लेकिन यहां से मौजूदा सांसद पी एन सिंह को लेकर लोगों की नाराज़गी उनके पक्ष में काम कर रही है। वैसे भी वे महागठबंधन के उम्मीदवार हैं, इसका फायदा भी कीर्ति आज़ाद को मिल सकता है।
हमने कीर्ति आज़ाद सवालों का सिलसिला शुरु किया।
आपने तो अपना राजनीतिक सफर बीजेपी शुरु किया था, फिर आखिर उससे मुंह क्यों मोड़ लिया?
मैंने दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन में भ्रष्टाचार का भांडा फोड़ा था। मैंने 20 साल तक क्रिकेट खेला है। वहं करीब 400 करोड़ का घोटाला हुआ था। और यह सिर्फ मैं नहीं कह रहा हूं। सरकारी रिकॉर्ड भी बताते हैं यह सब। मैंने वित्त मंत्री अरुण जेटली को इस भ्रष्टाचार के बारे में चेताया था, लेकिन उन्होंने सुना नहीं। आखिर मुझे संसद में सवाल पूछना पड़ा और मंत्री ने आश्वासन दिया की जांच होगी। जांच में पता चला कि खातों में कम से कम 62 जगह हेराफेरी की गई थी। नरेंद्र मोदी कहते हैं कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा, इसलिए मैं सारे कागज लेकर उनके पास गया, लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने इस पर एक्शन लेने के बजाए मुझे ही पार्टी से निलंबित कर दिया।
जाहिर है कि चुनाव से पहले वे जो भी कहते थे, वह सब जुमला था। जैसे दो करोड़ नौकरी, 15 लाख रुपे और कालेधन के साथ ही भ्रष्टाचार पर दिए बयान भी जुमला ही थे।
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आपको लगता है कि धनबाद के लोग आपको कांग्रेस नेता के तौर पर स्वीकार कर लेंगे?
देखिए, मेरे पिता अविभाजित बिहार के मुख्यमंत्री रहे और मैं कांग्रेस के माहौल में ही पला बढ़ा हूं। मैं 1993 में बीजेपी में शामिल हुआ। मैं सिर्फ 34 साल का था। उस समय तक मैं अपने पिता के चार चुनाव देख चुका था। उनके लिए प्रचार भी किया करता था। असल में आपका काम ही बोलता है, आप साफ सुथरे होने चाहिए, लोग आपको स्वीकार करेंगे।
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बहुत से लोगों को लगता है कि वे आपको वोट तो दे देंगे, लेकिन आप फिर से बीजेपी में चले जाएंगे। इसकी कोई संभावना है।
मेरे बीजेपी में जाने की शून्य संभावना है। बीजेपी जुमलों की पार्टी है और मैं नरेंद्र मोदी से तो बेहद निराश हुआ हूं। मुझे लगता था कि वे बहुत कुछ करेंगे, काफी वादे किए थे। लेकिन क्या कुछ नहीं। इसीलिए 5 साल की उपलब्धियों के बजाए वह सिर्फ राष्ट्रवाद का रोना रोते रहते हैं।
राष्ट्रवाद का बखान तो हिटलर भी करता था, क्योंकि वह लोगों को यहूदियों के खिलाफ भड़काना चाहता था। दुनिया जानती है कि इसके बाद क्या हुआ।
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मोदी और आरएसएस से देश को क्या खतरा है?
दोनों ही देश को बांटना चाहते हैं। देखिए, देश में रहने वाले हर भारतीय को महत्व देना होगा, जो कि कांग्रेस हमेशा देती है। कांग्रेस देश की एकता में विश्वास करती है, जबकि बीजेपी बांटने में। मैंने 26 साल तक इस बात को उनके बीच रहकर देखा है।
और आरएसएस, भले ही यह संगठन कई क्षेत्रों में काम करता हो, लेकिन वे देश को सांप्रदायिक रंग में रंगने का काम करते हैं। वे कहते तो सबका साथ सबका विकास हैं, लेकिन इस पर अमल नहीं करते।
लेकिन वे तो हमेशा मुसलमानों को गाली देते रहे हैं। जाति प्रथा में विश्वास करते हैं। चाहते हैं कि दलित गरीब ही रहें और उनकी चाकरी करता रहे....
मैं यही कह रहा हूं। वे पूरे देश को सांप्रदायिक बनाना चाहते हैं। बीजेपी सरकारों में दलितों पर अत्याचार के मामले देखिए। आदिवासियों को कैसे लूटा जा रहा है, कैसे गरीबों को हाशिए पर धकेला जा रहा है। ओबीसी को उनका हक नहीं मिल रहा है। 2014 के बाद से सिर्फ उद्योगपतियों को फायदा दिया जा रहा है।
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धनबाद के लिए आपका मेनिफेस्टो क्या है?
देखिए यहां बहुत सारे मुद्दे हैं। कई चुनौतियां हैं। दो काम तुरंत होने चाहिए, एक तो एयरपोर्ट का काम होना चाहिए। यहां एयरपोर्ट बनने वाला था, लेकिन स्थानीय सांसद ने इसे संसद में मजबूती से नहीं उठाया। दूसरा यहां एम्स बनना चाहिए। मुझे नहीं पता कि दूसरा एम्स खुलेगा या नहीं, लेकिन अगर एम्स खुलता है तो मैं उसे धनबाद लाने की कोशिश करूंगा। इसके अलावा कई ट्रेनों के यहां से रूट बदल दिए गए हैं।
इसके अलावा बीसीसीएल में काम करने वाले मजदूरों के मुद्दे हैं। उनकी हालत खराब है। देखिए लोग मौजूदा केंद्र सरकार से बेहद नाराज हैं, क्योंकि कथित डबल इंजिन सरकार काम नहीं कर रही है। बाकी सबतो छोड़िए, यहां तो पीने का पानी तक लोगों को नहीं मिल रहा है।
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झारखंड से कैसे नतीजे मिलने की उम्मीद है?
सर्वे बताते हैं कि मोदी जी बुरी तरह हार रहे हैं। 2014 में बीजेपी ने जितनी सीटें जीती थीं, उसकी आधी सीटें भी नहीं जीत पाएंगे इस बार। उनकी सत्ता में वापसी बेहद मुश्किल है।
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