लोकसभा चुनाव 2019

झारखंड में कांग्रेस-बीजेपी के बीच आमने-सामने की लड़ाई, लेकिन चतरा में त्रिकोणीय मुकाबला

झारखंड में इस साल के लोकसभा चुनाव के लिए पहली बार वोटिंग सोमवार यानी चौथे चरण में 29 अप्रैल को होनी है। इस दौर में झारखंड की 14 में से तीन सीटों चतरा, लोहरदगा और पलामू में मतदान होगा।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

झारखंड की जमीन पर कदम रखते ही लोगों का गुस्सा नजर आता है। जिन तीन सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होना है, 2014 के चुनाव में ये तीनों सीटें बीजेपी ने जीती थीं। इन तीनों सीटों के लोगों से बात करते वक्त एक बात सामने आती है, वह यह कि लोग बीजेपी के खिलाफ बोलते हुए डरते हैं। बहुत से लोग पहले आश्वस्त होते हैं कि वे किससे बात कर रहे हैं उसके बाद ही कुछ बोलते हैं। लेकिन अगर उन्हें लगता है कि सामने वाला व्यक्ति बीजेपी समर्थक है तो वे अपनी बात रोक लेते हैं।

Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

इन तीनों ही सीटों पर मौजूदा बीजेपी सांसदों को लेकर लोगों की नाराजगी साफ दिखती है। सांसदों से शुरु होकर नाराजगी पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री रघुबर दास तक पहुंचती है। यही वजह है कि स्थानीय बीजेपी नेताओं के साथ ही बीजेपी के स्टार प्रचारक यहां पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन रोचक यह है कि कांग्रेस-झामुमो और विकास मोर्चा के साथ ही आरजेडी के महागठबंधन की सरगर्मी यहां इतनी नजर नहीं आती।

Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

मौजूदा तीनों सांसदों को फिर से टिकट मिला है और वे मोदी के नाम पर चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं। पीएम मोदी यहां प्रचार कर चुके हैं, शनिवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी रैली की। शनिवार को ही यहां प्रचार का आखिरी दिन है। हर रैली, हर भाषण में मोदी एक ही बात कहते हैं कि जब तक वह पीएम हैं, आदिवासयों से उनकी जमीन कोई नहीं छीन सकता।

मोदी को जमीनी हकीकत का शायद एहसास है, इसीलिए मुख्यमंत्री रघुबर दास ने ऐलान किया है कि सरना धार्मिक कोड को 2021 तक लागू कर दिया जाएगा।

Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

दरअसल झारखंड का आदिवासी समुदाय लंबे अर्से से सर्ना कोड की मांग करता रहा है। इसके लागू होने से आदिवासियों के धर्म को अलग पहचान मिल जाएगी। हालांकि आदिवासी अलग-अलग धार्मिक परंपराएं मानते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें हिंदू ही माना जाता रहा है, क्योंकि उनके धर्म के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है।

Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

लोहरदगा सीट के आदिवासियों के लिए यह सबसे बड़ा मुद्दा और चिंता है। बीजेपी इस कोड को लागू करने में हिचकिचाती रही है क्योंकि आरएसएस की नजर में सारे आदिवासी हिंदू ही हैं।

लोहरदगा सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है, और कांग्रेस ने यहां से सुखदेव भगत को उतारा है जिनका मुकाबला मौजूदा सांसद बीजेपी के सुदर्शन भगत से है। कांग्रेस ने 2004 में इस सीट से जीत हासिल की थी। सुखदेव भगत फिलहाल लोहरदगा विधानसभा सीट से विधायक हैं और उनकी पत्नी पंचायत अध्यक्ष।

Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

संयोग से इस बार के चुनाव में इस सीट से कोई भी निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में नहीं है, जो 2014 की तरह कांग्रेस के वोट काट ले। इलाके में एक एसी की दुकान चलाने वाले शमसुल हक कहते हैं कि, “पिछली कांग्रेस करीब 6000 वोट से हारी थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। ज्यादातर आदिवासियों को समझ आ गया है कि बीजेपी उनका भला नहीं करने वाली।” लोहरदगा में 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता है, जबकि 51 फीसदी आदिवासी और 4 फीसदी ईसाई वोटर हैं।

Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

लोहरदगा की बाहरी सीमा पर मिट्टी के मकान में रहने वाले सुखनाथ ओरांव कहते हैं कि, “इस बार हम कांग्रेस को वोट देंगे। कम से कम वह हमारी बात तो सुनते हैं। चुनाव के मौके पर लोग तो तरह तरह की बातें करते हैं, लेकिन हमें पता है कि कौन क्या कर रहा है।”

Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

थोड़ा आगे बढ़ने पर विनीता ओरांव मिलती है, जो सड़क किनारे पकोड़े बेचकर गुजारा करती हैं। वे कहती हैं, “यह सड़क पिछले कुछ सालों में बनी है, जिससे हमारी जिंदगी कुछ बेहतर हुई है, लेकिन सिर्फ इसके लिए हम सरकार नहीं चुनेंगे। ”

इलाके में रहने वाले कमल केसरी का कहना है कि, “बाईपास बनाने का वादा कहां गया? छोटानागपुर किराएदारी कानून का क्या हुआ? गुमला तक रेल लाइन का क्या हुआ? अगर हम बीजेपी को चुनेंगे तो वे तो ओबीसी आरक्षण भी छीन लेंगे।”

Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

परेसर गांव में बहुत से ऐसे लोग मिले जो बहुत आक्रामक तरीके से बीजेपी का समर्थन करते दिखे। ये सारे के सारे इलाके की एकमात्र बैंक के पास जमा हैं। इनकी मौजूदगी के चलते बहुत से गांव वालों ने अपनी न रखना ही मुनासिब समझा।

Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

लेकिन पलामू में मामला थोड़ा आसान दिखा। यहां से आरजेडी के घुरम राम चुनाव लड़ रहे हैं और उनका सीधा मुकाबला बीजेपी के विशु दयाल राम से है। बीएसपी के दुलाल भुइयां भी यहां से मैदान में हैं, लेकिन उनके होने न होने से कोई फर्क दिखाई नहीं देता।

पलामू के मुद्दे कुछ अलग हैं। इनमें सूखा, पानी की कमी, पेंशन और आधार से होने वाली तकलीफें मुख्य हैं। आधार के कारण यहां के मजदूरों को मनरेगा का पैसा नहीं मिल पा रहा है। राज्य की बीजेपी सरकार के दौर में इन सारी तकलीफों में इजाफा ही हुआ है।

Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता जेम्स हेरेंज समझाते हैं कि, “यहां लड़ाई पैसे और सिद्धांतों की है। बीजेपी के पास पैसे की कोई कमी नहीं है और बेशुमार पोस्टर बैनर, तमाम प्रचार गाड़ियां देखकर इसका अंदाज़ा भी लग जाता है।” वे बताते हैं कि, “यहां के चर्च ने ईसाइयों से कह दिया है कि अगर कांग्रेस का उम्मीदवार नहीं है तो ऐसे उम्मीदवार को वोट दें जो बीजेपी को हरा सके। इससे इस सीट पर लड़ाई कुछ आसान सी दिखने लगी है।“ जेम्स का मानना है कि, ‘सरना वोट भी शायद आरजेडी को ही जाएगा। अगर शराब और पैसे का खेल नहीं हुआ तो घुरन राम का जीतना लगभग तय है।‘

Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

उधर चतरा में चुनाव काफी नाटकीय है। यहां मुकाबला त्रिकोणीय दिखता है जो कांग्रेस, बीजेपी और आरजेडी के बीच है। इस सीट पर कांग्रेस का आरजेडी के साथ गठबंधन नहीं है। वैसे यहां के मौजूदा सांसद सुनील सिंह को लेकर जबरदस्त गुस्सा है। स्थानीय लोग इसलिए नाराज हैं क्योंकि वह लोगों से मिलते-जुलते नहीं हैं। इसीलिए वे अब रैलियों में माफी मांगते फिर रहे हैं। कांग्रेस ने इस सीट से मनोज यादव को उतारा है जिनका मुकाबला आरजेडी के संजय यादव से है। संजय यादव रेत व्यापारी है और लालू परिवार का उन्हें नजदीकी माना जाता है।

Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

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Published: 27 Apr 2019, 6:30 PM IST

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