जनादेश आ चुका है, और स्पष्ट है कि देश पर अगले पांच साल तक बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए का शासन होगा, जिसकी बागडोर नरेंद्र मोदी के हाथों में होगी। अब तक के रुझानों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के हिस्से में करीब 340 सीटें आती दिख रही हैं।
दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय वंदे मातरम् और हर-हर मोदी के नारों से गुंजायमान है। पटाखों की आवाज और कार्यकर्ताओं के उत्साह के बीच बीजेपी जीत का जश्न मना रही है। अब तक मिले रुझानों और नतीजों से स्पष्ट हो चुका है कि 2019 के चुनावों में देश ने एक बार फिर बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को स्पष्ट जनादेश दिया है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट संदेश में जीत पर खुशी जाहिर करते हुए इसे देश की जीत करार दिया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि “सबका साथ + सबका विकास + सबका विश्वास = विजयी भारत”।
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पीएम मोदी ने एक और ट्वीट में कहा कि, “शुक्रिया भारत, हमारे गठबंधन पर विश्वास जताने के लिए हम आपके आभारी हैं, आपके विश्वास से ही हमें और अधिक परिश्रम के साथ काम करने की शक्ति मिलेगी ताकि हम देशवासियों की अपेक्षाओं को पूरा कर सकें।” प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी बधाई दी कि उनके अथक परिश्रम और हमारे विकास एजेंडा का नतीजा है ये।
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शाम 6 बजे तक के रुझानों और नतीजों के आधार पर देखें बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को करीब 350 सीटें मिलती दिख रही हैं। वहीं कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए को लगभग 90 सीटों पर बढ़त मिली हुई थी। इसके अलावा 100 के आसपास सीटें अन्य पार्टियों के खाते में जाती दिख रही थीं।
चुनावी नतीजे स्पष्ट होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नाम के आगे लिखा चौकीदार शब्द हटा दिया है। उन्होंने इस बारे में ट्वीट करते हुए लिखा कि, “अब समय आ गया है कि चौकीदार की भावना को अगले स्तर पर ले जाया जाए। इस भावना को हर क्षण जिंदा रखना है और भारत की प्रगति के लिए काम करते रहने है। भले ही मैं अपने ट्विटर नाम से इसे हटा रहा हूं, लेकिन यह मेरी जिंदगी का अभिन्न अंग रहेगा। मैं आपसे भी ऐसी ही अपेक्षा रखता हूं।”
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राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में इन चुनावों के नतीजों का सबसे बड़ा संदेश यह है कि मतदाता देश की बागडोर एक मजबूत नेता के हाथ में देखना चाहते हैं। साथ ही चुनावी विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि देश में अब जातिगत राजनीति के दिन लद चुके हैं।
तो क्या माना जाए कि पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए बालाकोट में किया गया एयरस्ट्राइक नरेंद्र मोदी को फिर से सत्ता में लाने में मददगार साबित हुआ है? क्या देश के मतदाता को बिगड़ते आर्थिक हालात, बेरोजगारी और किसानी के संकट आदि से कोई फर्क नहीं पड़ता?
लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि स्पष्ट बहुमत वाली सरकारों के लिए दूसरे सत्र में चुनौतियां ज्यादा होती हैं क्योंकि उनके पास यह कहने का मौका नहीं होता कि पिछली सरकार ने कुछ नहीं किया। यहीं चुनौती अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्वीकार करनी होगी।
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नरेंद्र मोदी का पहला कार्यकाल तो शोर-शराबे और साफ-सफाई के हवाले रहा जिसमें शासन से ज्यादा राजनीति छाई रही, लेकिन दूसरे कार्यकाल में उन्हें वादों को पूरा करने और देश की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती का सामना करना है।
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूरी विनम्रता से जनादेश का स्वागत और सम्मान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हुई प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, “मैंने प्रचार के दौरान भी कहा था कि जनता मालिक होती है। और जनता ने आदेश दे दिया है, उसका सम्मान होना चाहिए।”
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