फिजां में एक बार फिर युद्ध के काले बादल मंडरा रहे थे। नाजी अपनी मुहिम पर निकल चुके थे। हम कितनी जल्दी पहले विश्व युद्ध की विभीषिका और चार वर्ष के मृत्यु के तांडव को भूल गए? कितनी जल्दी हम आदमियों के लाशों के ढेरों को, लाशों से भरी पेटियों को, हाथ कटे, पांव कटे, अंधे हो गए, टूटे जबड़ों वाले और अंग-भंग हो गए विकृत लूले लंगड़े लोगों को भूल गए? और जो मारे नहीं गए थे या घायल नहीं हुए थे, वे भी कहां बच पाए थे? कितने ही लोगों के दिमाग चल गए थे। ग्रीक लोक कथाओं में आने वाले उस काल्पनिक मानवभक्षी मिनोटॉर की तरह युद्ध युवा पीढ़ी को निगल गया था और बूढ़े, सनकी लोग जीवन जीने के लिए अभिशप्त बाकी रह गए थे। लेकिन हमारी स्मृति बहुत कमजोर होती है और हम युद्ध का गुणगान लोकप्रिय टिन पैन ऐले के गीतों के साथ करने लगते हैं:
आप उन्हें कैसे उलझाये रखेंगे खेतों में/ जब देख ली हों उन्होंने पारी
और इसी तरह की बातें। कुछ लोगों का यह कहना था कि युद्ध कई मायनों में अच्छा होता है। इससे उद्योग धंधे फैलते हैं, उन्नत तकनीकें सामने आती हैं और लोगों को रोजगार मिलता है। जब हम स्टॉक एक्सचेंज में लाखों डॉलर कमाने की बात सोच रहे होंगे तो हम उन लाखों लोगों के बारे में कैसे सोचेंगे जो मारे जा रहे हैं। जब बाजार एक दम ऊपर जा रहा था तो हर्स्ट के ‘एग्जामिनर’ अखबार के आर्थर ब्रिसबेन ने कहा था, 'युनाइटेड स्टेटस् में स्टील के भाव में पांच सौ डॉलर प्रति शेयर का उछाल आयेगा।' जबकि हुआ ये कि सट्टेबाजों ने ही खिड़कियों से छलांगें लगाईं। और अब एक और युद्ध की सुगबुगाहट हो रही थी और मैं पॉलेट के लिए एक कहानी लिखने की कोशिश कर रहा था; लेकिन मैं आगे नहीं बढ़ पा रहा था। ऐसे वक्त में मैं इस तरह की चोंचलेबाजियों में अपने आपको झोंक ही कैसे सकता था या रोमांस और प्रेम की समस्याओं के बारे में सोच ही कैसे सकता था जब सबसे खतरनाक विषम आदमी - एडोल्फ हिटलर पूरे माहौल में पागलपन आतंक मचाए हुए हो?
Published: 23 Aug 2017, 1:59 PM IST
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Published: 23 Aug 2017, 1:59 PM IST