कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) ने मंगलवार को कहा कि बेंगलुरु में जल संकट का असर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के शुरूआती चरण के तीन मैचों पर नहीं पड़ेगा क्योंकि चिन्नास्वामी स्टेडियम के सीवेज संयंत्र का पानी मैदान के आउटफील्ड और पिच के लिए उपयोग किया जायेगा।
बेंगलुरु पिछले चार दशक के सबसे गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। इस दौरान आगामी आईपीएल में इस शहर में होने वाले मैचों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की मांग उठ रही है।
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रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर को आईपीएल के पहले चरण में यहां 25 मार्च, 29 मार्च और दो अप्रैल को क्रमश:पंजाब किंग्स, कोलकाता नाइट राइडर्स और लखनऊ सुपरजायंट्स के खिलाफ खेलना है।
केएससीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शुभेंदु घोष ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘फिलहाल हम किसी संकट का सामना नहीं कर रहे हैं। हमें पानी के उपयोग के संबंध में राज्य सरकार से जानकारी मिल गई है और हम (केएससीए पदाधिकारी) दिशानिर्देशों का पालन करने के बारे में लगातार बैठक कर रहे हैं।’’
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बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) ने एक नोटिस जारी किया था, जिसमें बागवानी या वाहन धोने जैसे किसी अन्य उद्देश्य के लिए पीने योग्य पानी के उपयोग पर रोक लगा दी गई थी।
घोष ने उम्मीद जतायी कि एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के अंदर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का पानी आउटफील्ड और पिच को पानी देने जैसे उद्देश्यों के लिए पर्याप्त होगा।
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उन्होंने कहा, ‘‘हम पहले से ही एसटीपी संयंत्र से पानी का उपयोग आउटफील्ड, पिच और स्टेडियम के अन्य प्रयोजनों के लिए कर रहे हैं। हमें मैच के आयोजन लिए 10000-15000 लीटर पानी की आवश्यकता हो सकती है, और हमें यकीन है कि इसे एसटीपी संयंत्र से हासिल कर सकते हैं।’’
घोष ने कहा, ‘‘ हमें इन कामों के लिए भूजल का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है। हां, हम पानी के उपयोग पर सरकार की नई नीति पर करीब से नजर रख रहे हैं, लेकिन हम आदेश में सभी बिंदुओं को पूरा करने के लिए आश्वस्त हैं।’’
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शहर की झीलों को पुनर्जीवित करने जैसी हरित पहल में अग्रणी भूमिका निभाने वाले रॉयल चैलेंजर्स के अधिकारी भी शहर में पानी की कमी के बावजूद मैच आयोजित करने को लेकर आश्वस्त दिखे।
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टीम के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘‘हम स्थिति से अवगत हैं और केएससीए पदाधिकारियों के संपर्क में हैं। लेकिन यहां शुरुआती मैच से पहले हमारे पास दो सप्ताह का समय है। इसलिए, हम मैचों के सुचारू संचालन को लेकर आश्वस्त हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह स्थल राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के मानदंडों का भी अनुपालन करता है, इसलिए ऐसे परिदृश्यों से निपटने के लिए यहां पहले से ही एक प्रणाली मौजूद है।’’
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