बांग्लादेश में चक्रवात सितरंग का सितम देखने को मिला है। जानकारी के मुताबिक सितरंम ने कम से कम 35 लोगों की जान ले ली है। बताया जा रहा है कि लगभग 80 लाख लोगों के घरों में बिजली चली गई। उधर, बांग्लादेश सरकार का कहना है कि लगभग 10,000 घर इस चक्रवात के कारण क्षतिग्रस्त हो गए और 6,000 हेक्टेयर (15,000 एकड़) से अधिक फसल नष्ट हो गई। इतना ही नहीं मछली पकड़ने की हजारों परियोजनाएं भी बह गईं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चक्रवात ने घरों और अन्य बुनियादी ढांचों को नष्ट कर दिया। साथ ही कई पेड़ उखड़ गए और सड़कों का संचार व बिजली आपूर्ति को बाधित करने के साथ-साथ 35 लोगों की जान ले ली। मंगलवार को तटों से लगे जिलों में करीब एक करोड़ लोग बिना बिजली के रहने को मजूबर थे।
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चक्रवात सितरंग के कारण असम में स्थिति गंभीर बनी रही। चक्रवात की वजह से आई बाढ़ से 83 गांवों के करीब 1100 लोग प्रभावित हुए हैं। चक्रवात सितरंग के कारण राज्य में भारी बारिश और तूफान आया, जिससे कई घर क्षतिग्रस्त हो गए।
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक तूफान से 1146 लोग प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों के अनुसार, सितरंग ने 325.501 हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचाया है। सोमवार चक्रवाती तूफान के कारण राज्य के नगांव जिले के विभिन्न हिस्सों में कई पेड़ और बिजली के खंभे भी उखड़ गए।
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बता दें कि सितरंग जो 56 किमी प्रति घंटे की गति से बंगाल की उत्तरी खाड़ी से बांग्लादेश की ओर बढ़ा, उसने पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर में मध्यम से भारी बारिश और खराब मौसम का कारण बना।
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1953 से मायामी नेशनल हरीकेन सेंटर और वर्ल्ड मीटरियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) तूफ़ानों और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखता रहा है। लेकिन उत्तरी हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों का कोई नाम नहीं रखा गया था। ऐसे में, भारत की पहल पर 2004 में हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने तूफानों के नामकरण की व्यवस्था शुरू की गई। बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका इनमें शामिल हैं। भारत ने अब तक 32 तूफानों में से चार को नाम दिया है - लहर, मेघ, सागर और वायु। वहीं, पाकिस्तान की तरफ से फानूस और नर्गिस तूफानों के नाम रखे गए।
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चक्रवातों के नाम एक समझौते के तहत रखे जाते हैं। अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार सदस्य देशों के नाम के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया गया है जैसे सबसे पहले बांग्लादेश फिर भारत मालदीव और म्यांमार का नाम आता है। सभी देश पहले चक्रवातों के नाम WMO को भेज देता हैं। तूफान की गति उसके प्रभाव को देखते हुए देशों द्वारा दिए गए नामों में से एक नाम उस तूफान का रख दिया जाता है।
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चक्रवात तूफान का नामकरण इसलिए किया जाता है ताकि लोगों को इसके बारे में आसानी से चेतावनी दी जा सके। इससे होने वाले खतरे के बारे में भी लोगों को जल्द से जल्द सतर्क किया जा सके। लोग अगर तूफान से वाकिफ होंगे तो सरकार के साथ तालमेल बनाकर बेहतर प्रबंधन और तैयारियां कर सकेंगे। साथ ही लोग इन तूफानों के नाम याद रख सकें इसलिए तूफानों का नाम छोटा रखा जाता है।
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