श्रीलंकाई नौसेना ने मंगलवार तड़के तमिलनाडु के आठ मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया। मछुआरों को अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) पार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। मछली पकड़ने वाली नाव को भी जब्त कर लिया गया है। सभी मछुआरों को श्रीलंका के मन्नार नौसेना शिविर ले जाया गया है। गिरफ्तार किए गए सभी आठ मछुआरे तमिलनाडु के रामेश्वरम क्षेत्र के हैं।
मछुआरा संघ के नेता आर. राजेंद्रन ने गिरफ्तार मछुआरों की रिहाई के लिए राज्य और केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने कहा, "श्रीलंकाई नौसेना द्वारा हमारे मछुआरों की गिरफ्तारी बेहद निंदनीय है और हम इस अमानवीय व्यवहार के खिलाफ अपना विरोध जताते हैं।" श्रीलंकाई नौसेना ने एक दिन पहले ही नागापट्टिनम और रामेश्वरम से 11 तमिल मछुआरों को गिरफ्तार किया था।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि 2024 की शुरुआत से अब तक तमिलनाडु के कुल 324 मछुआरों को अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा पार करने के आरोप में श्रीलंकाई नौसेना ने गिरफ्तार किया है। तमिलनाडु के रामेश्वरम, पुदुकोट्टई और नागपट्टिनम के मछुआरे श्रीलंकाई नौसेना के डर से समुद्र में जाना नहीं चाहते। श्रीलंकाई नौसेना के हमले में गहरे समुद्र में घायल हुए मछुआरे रामलिंगम की पत्नी के. श्रीमती ने कहा, "अब हम अपने लोगों के समुद्र में जाने से डरते हैं। उन्हें श्रीलंकाई नौसेना के हमलों का सामना करना पड़ता है। पता नहीं कौन कब गिरफ्तार कर ले। जब तक भारत सरकार और तमिलनाडु सरकार हस्तक्षेप नहीं करती और इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकालती, तब तक हम भूखे मर जाएंगे।"
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फिलिस्तीन के उत्तर पश्चिम इलाके तुल्कर्म में इजरायली बमबारी में पांच फिलिस्तीनियों की मौत हो गई। फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने तुलकर्म इलाके के नूर शम्स कैंप पर हुए इस हमले की जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि इजरायल के इस भीषण हमले के बाद मृतकों के शव को सोमवार को तुल्कर्म के सरकारी अस्पताल में लाया गया। शिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, इजरायली आर्मी के प्रवक्ता अविचाय आद्राई ने इजरायली हवाई हमले में नूर शम्स इलाके के एक ऑपरेशन रूम को निशाना बनाए जाने की पुष्टि की है।
गाजा पट्टी में लगातार हो रहे इजरायली हमलों और उसका फिलिस्तीन की तरफ से विरोध की वजह से पश्चिमी तट पर इजरायली सेना और फिलिस्तीनियों के बीच हमले और बढ़ गए हैं। बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय ने दावा किया कि वेस्ट बैंक में हो रहे इजरायली हवाई हमले में औसतन हर दिन एक फिलिस्तीनी की मौत हो रही है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष की शुरुआत के बाद इजरायली हवाई हमलों में अब तक 26 बच्चों सहित करीब 128 फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। साथ ही इजरायली अधिकारियों के मुताबिक इस संघर्ष में करीब 19 इजरायलियों की भी मौत हुई है।
बता दें कि फिलिस्तीन के तुल्कर्म इलाके में स्थित नूर शम्स कैप को इजरायली डिफेंस फोर्सेज कई बार अपना निशाना बना चुकी है। फिलिस्तीन के रेड क्रिसेंट अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों की सेवा और आपातकालीन चिकित्सा सहायता मुहैया कराने वाली सोसायटी रेड क्रिसेंट के मुताबिक, इससे पहले अप्रैल महीने में एक इजरायली हमले में भी करीब 14 फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हुई थी। इसके अलावा जुलाई महीने में, इजरायली सेना ने नूर शम्स इलाके की मुख्य सड़क को 15 घंटे तक चले छापे के दौरान बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया था।
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तालिबान के नए नैतिकता कानून से यूरोपीय संघ स्तब्ध है। उसने अफगानिस्तान में महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों की निंदा की है। तालिबान के नेतृत्व वाली अफगान सरकार ने पिछले सप्ताह 'सदाचार के संवर्धन और दुराचार की रोकथाम कानून' के समर्थन की घोषणा की। इसके तहत अफगान महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। इस कानून में ड्रेस कोड लागू किया गया है। सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं को अपने शरीर और चेहरे को ढकने का आदेश दिया गया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की आवाज नहीं सुनी जानी चाहिए।
यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा, "यह कानून कानूनी दायित्वों और संधियों का उल्लंघन करता है। इस कानून में अफगान लोगों के अधिकारों को कमजोर किया गया है।" यूरोपीय संघ ने कहा कि वह अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों समेत सभी अफगानियों के लिए खड़ा है। बोरेल ने कहा, "यह निर्णय अफगान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को कमजोर करता है, हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। हम तालिबान से अफगान महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ इन दुर्व्यवहारों को समाप्त करने का आग्रह करते हैं। यह कानून मानवता के खिलाफ है।"
यूरोपीय संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश से तालिबान की अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मान्यता की आकांक्षा को भी धक्का लगा है। यूरोपीय संघ ने कहा है कि तालिबान को अफगानिस्तान के नागरिकों व अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति अपने दायित्वों का सम्मान करने की आवश्यकता है।" बता दें कि रविवार को अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) ने भी इस नैतिकता कानून की आलोचना की थी।
महासचिव की विशेष प्रतिनिधि और यूएनएएमए की प्रमुख रोजा ओटुनबायेवा ने कहा, "यह अफगानिस्तान के भविष्य के लिए एक चिंताजनक दृश्य है, जहां नैतिक निरीक्षकों के पास किसी को भी धमकाने और हिरासत में लेने का मनमाना अधिकार है।" उन्होंने कहा, "इससे अफगान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर दबाव और बढ़ गया है।" यूएनएएमए ने कहा कि वह नए कानून और अफगान लोगों पर इसके प्रभाव और संयुक्त राष्ट्र व अन्य महत्वपूर्ण मानवीय सहायता पर इसके संभावित प्रभाव का भी अध्ययन कर रहा है। मामले में अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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चीन की जन मुक्ति सेना (पीएलए) की ‘ग्राउंड फोर्सेज’ के कमांडर जनरल ली कियाओमिंग को मंगलवार को पाकिस्तान के शीर्ष सम्मानों में से एक ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें दोनों मित्र देशों की सेनाओं के बीच घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देने में उनकी “अटूट प्रतिबद्धता” के लिए दिया गया। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष अलंकरण समारोह में भाग लिया तथा इसमें सेना प्रमुखों और सांसदों ने भी भाग लिया।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान’ (एपीपी) ने कहा, “समारोह में जनरल ली कियाओमिंग के चार दशक के करियर पर प्रकाश डाला गया, जिसमें चीनी सेना में उनके महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाया गया। उनकी बुद्धिमत्ता, प्रशासनिक कौशल और समर्पण ने उन्हें एक साहसी और सक्षम अधिकारी के रूप में प्रतिष्ठा दिलाई है, जो चीन और उसके बाहर शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है।” उसने कहा, “जनरल ली चीन में शांति और स्थिरता बनाए रखने में अपने असाधारण पेशेवर रुख और कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं। पाकिस्तान के मित्र के रूप में, उन्होंने अटूट प्रतिबद्धता के साथ पाक-चीन सैन्य संबंधों को बहुत मजबूत किया।”
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इंडोनेशिया में एक बार फिर मंकीपॉक्स के मामलों में वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य मंत्री बुदी गुनादी सादिकिन के अनुसार, इंडोनेशिया में 2022 से अबतक मंकीपॉक्स के 88 मामले दर्ज किए गए हैं। इंडोनेशिया में अगस्त 2022 में पहली बार मंकीपॉक्स का केस मिला था। इसके बाद से अब तक 88 मामले दर्ज किए गए हैं। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में ही सिर्फ मंकीपॉक्स के 14 मामले मिले हैं। सादिकिन ने जकार्ता में सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया, "इंडोनेशिया में मंकीपॉक्स के मामले अभी भी नियंत्रण में हैं। इसकी मृत्यु दर कम है। जो लोग बीमार थे, वे सभी ठीक हो गए हैं।"
जकार्ता में मंकीपॉक्स के सबसे अधिक 59 केस दर्ज किए गए। इसके बाद पश्चिम जावा में 13, बेंटन में नौ, पूर्वी जावा और योग्याकार्ता में तीन-तीन और रियायू में एक केस मिला है। इस बीच इंडोनेशिया सरकार 2,225 व्यक्तियों के लिए 4,450 वैक्सीन की खुराक तैयार कर रही है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति को इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दो खुराक दी जाएंगी। 2023 में 495 लोगों को टीका लगाया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय में रोग नियंत्रण और रोकथाम के अंतरिम महानिदेशक युधि प्रमोनो ने कहा, “अधिकतर मंकीपॉक्स के मामले 2022 और 2024 के बीच मिले हैं। इनमें मंकीपॉक्स के केसों की सबसे अधिक संख्या अक्टूबर 2023 में दर्ज की गई है।” युधि प्रमोनो ने सोमवार को राज्य मीडिया के हवाले से कहा, "2022 और आज के बीच मृत्यु दर कम रही है और अधिकतर संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से हुआ है।" पिछले सप्ताह, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मध्य अफ्रीका में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता व्यक्त की और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषणा का ऐलान किया।
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