नॉर्वे सरकार ने गुरुवार को कहा कि वह अगले हफ्ते से रूसी पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा देगा। ओस्लो अपने पड़ोसी के साथ 198 किमी लंबी आर्कटिक भूमि सीमा को सख्त करना जारी रखे हुए है। यूक्रेन पर रूस के चौतरफा आक्रमण के मद्देनजर नॉर्वे सरकार ने मई 2022 में रूसियों के लिए गैर-जरूरी उद्देश्यों के लिए प्रवेश वीजा प्राप्त करना कठिन कर दिया। नॉर्वे ने अवैध क्रॉसिंग को रोकने के लिए सीमा क्षेत्र में चौकसी बढ़ा दी है।
दरअसल, रूस के नागरिकों को डर है कि उन्हें सेना में भर्ती करके युद्ध में धकेल दिया जाएगा। या रूस अपने नागरिकों के बाहर निकलने पर पर प्रतिबंध लगा सकता है। इसके चलते नॉर्वे ने सीमा पर चौकसी बढ़ाई है। अगले बुधवार से नॉर्वे की पुलिस के पास उन रूसियों को निष्कासित करने की शक्ति होगी, जो मई 2022 से पहले जारी किए गए पर्यटक वीजा पर देश में हैं। ऐसे वीजा यूरोप के पासपोर्ट-मुक्त शेंगेन यात्रा क्षेत्र तक पहुंच की इजाजत देते हैं। नए उपाय नॉर्वे में उन रूसियों पर भी लागू होते हैं, जिनके पास अन्य शेंगेन सदस्य देशों से जारी वीजा है।
हालांकि, नए नियमों में कुछ अपवाद होंगे, जिनमें नॉर्वे में रहने वाले परिवार के सदस्यों से मिलने वाले लोग भी शामिल हैं। नॉर्वे में काम करने वाले या पढ़ने वाले रूसी प्रभावित नहीं होंगे। न्याय और सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री एमिली एंगर मेहल ने एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "प्रवेश नियमों को कड़ा करने का फैसला यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध के खिलाफ प्रतिक्रियाओं में सहयोगियों और भागीदारों के साथ खड़े होने के नॉर्वेजियन दृष्टिकोण के अनुरूप है।" एकमात्र कानूनी क्रॉसिंग प्वाइंट स्टोर्सकोग सीमा स्टेशन है। सरकार के अनुसार, नॉर्वेजियन अधिकारी वहां सीमा यातायात की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और जरूरी उपाय कर रहे हैं। फिनलैंड ने अप्रैल में रूस के साथ अपनी पूरी सीमा अनिश्चित काल के लिए बंद कर दी।
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ट्यूनीशिया की एक अदालत ने बुधवार को दो टीवी और रेडियो पत्रकारों को उनके कार्यक्रमों और सोशल नेटवर्क पर सरकार की आलोचना करने के लिए एक साल की जेल की सजा सुनाई। ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति कैस सईद के संदर्भ में अदालत के प्रवक्ता मोहम्मद जितूना ने कहा कि बोरहाने बैस और मुराद जेगिदी को फर्जी खबरें फैलाने के लिए छह महीने की जेल और दूसरों को बदनाम करने के उद्देश्य से गलत बयान देने के लिए छह महीने की अतिरिक्त सजा दी गई है।
बैस और जेगिदी पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और वकीलों के एक व्यापक समूह में से हैं, जिन पर डिक्री 54 के तहत आरोप लगाए गए हैं। डिक्री 54 एक कानून है जो सार्वजनिक सुरक्षा या राष्ट्रीय रक्षा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से 'फर्जी खबरों' के प्रसार को अपराध के रूप में वर्गीकृत करता है। बैस और जेगिदी ने अपने खिलाफ लगाये गये आरोपों से इंकार किया है। दोनों ने कहा कि वे ट्यूनीशिया के राजनीतिक और आर्थिक विकास पर विश्लेषण प्रस्तुत कर अपना काम कर रहे थे। दोनों पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई। मुकदमे की ट्यूनीशिया में भी आलोचना हुई और दोनों के समर्थन में कई पत्रकार अदालत के बाहर एकत्र हुए।
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हंगरी ने कहा है कि वह अपने क्षेत्र में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की गिरफ्तारी के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) का वारंट लागू नहीं करेगा। सरकार के मंत्री गेर्गेली गुलियास ने गुरुवार को बुडापेस्ट में संवाददाताओं से कहा कि अगर नेतन्याहू हंगरी का दौरा करेंगे तो उन्हें हिरासत में नहीं लिया जाएगा। हंगरी रोम संविधि का हस्ताक्षरकर्ता है, जिसने आईसीसी की स्थापना की, लेकिन गुलियास ने कहा कि अदालत के फैसलों को लागू करने के प्रावधान अभी तक मध्य यूरोपीय देश में पूरी तरह से लागू नहीं हैं। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन को नेतन्याहू के सहयोगी के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने आईसीसी के कदम को "अपमानजनक" बताया।
आईसीसी के मुख्य अभियोजक करीम खान ने सोमवार को कहा कि वह 7 अक्टूबर के हमलों के बाद से इजरायल और गाजा पट्टी में युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों पर नेतन्याहू, उनके रक्षा मंत्री योव गैलेंट और फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के तीन नेताओं के लिए गिरफ्तारी वारंट की मांग कर रहे हैं। आईसीसी के प्री-ट्रायल चैंबर के न्यायाधीश अब तय करेंगे कि अनुरोधित गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा या नहीं, जिसका अर्थ है कि आरोपी के खिलाफ औपचारिक कार्यवाही शुरू की जा सकती है। बुडापेस्ट ने पिछले साल कहा था कि वह यूक्रेन में युद्ध अपराधों के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ आईसीसी गिरफ्तारी वारंट लागू नहीं करेगा।
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पाकिस्तान में शहबाज शरीफ सरकार के लिए कठिन समय आने वाला है। देश में एक बड़ा विपक्षी गठबंधन बन रहा है। यह बड़े पैमाने पर रैलियां, विरोध प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की गठबंधन सरकार को 'गिराने' की योजना बना रहा है। 8 फरवरी के चुनाव के बाद बनी मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार मुश्किल में है। देश में राजनीतिक अस्थिरता लगातार नुकसानदेह बनी हुई है। सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) के तहत नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के शीर्ष नेतृत्व और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के बीच महत्वपूर्ण बैठकें शुरू हो चुकी हैं।
विपक्ष देश में जल्द चुनाव कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की योजना बना रहा है। दिलचस्प बात यह है कि जेयूआई-एफ नेता मौलाना फजल-उर-रहमान राजनीतिक दलों के विपक्षी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के अध्यक्ष थे, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की तत्कालीन सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ हाथ मिलाया और बाद में संसद में अविश्वास मत के माध्यम से उनका निष्कासन सुनिश्चित किया। फजल-उर-रहमान ने पीटीआई और इमरान खान पर भारत एवं इजरायल से फंडिंग का आरोप लगाया था। इसके अलावा उन्होंने पार्टी नेताओं पर विदेशी एजेंट होने का आरोप लगाया जो पाकिस्तान में अराजकता और अस्थिरता फैलाने के लिए काम कर रहे थे।
दूसरी तरफ इमरान खान ने अतीत में विभिन्न राजनीतिक रैलियों और अभियानों के दौरान फजल-उर-रहमान को 'डीजल' और 'मौलाना डीजल' करार दिया। हालांकि, अब दोनों पक्ष विपक्ष में बैठे हैं। ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने मतभेदों को भुला दिया है और सत्तारूढ़ सरकार को गिराने के लिए हाथ मिला लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि एक मजबूत विपक्षी गठबंधन शरीफ सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। सरकार पहले से ही फरवरी के चुनाव के दौरान हेरफेर और जानबूझकर धांधली के आरोपों के कारण बड़े पैमाने पर आलोचना का सामना कर रही है। सूत्रों ने कहा, "पीटीआई और जेयूआई-एफ समेत विपक्षी दल इस्लामाबाद की ओर रैलियां, विरोध प्रदर्शन और कई लंबे मार्च आयोजित कर सरकार विरोधी अभियान शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।
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पश्चिम बंगाल पुलिस की आपराधिक जांच (सीआईडी) एजेंसी ने कोलकाता के न्यू टाउन के पॉश आवासीय परिसर में किराए के फ्लैट में रहने वाले बांग्लादेश के सांसद अनवारुल अजीम की रहस्यमय मौत के मामले में गुरुवार को एक कैब ड्राइवर को हिरासत में लिया है। बांग्लादेश में तीन बार सांसद रहे अजीम आठ दिनों से लापता थे। वह 12 मई को इलाज के लिए कोलकाता आए थे और शहर के बारानगर में अपने मित्र गोपाल विश्वास के घर पर रुके थे। लेकिन, 14 मई को वह बिस्वास को यह बताकर बाहर गए कि वह उसी दिन लौट आएंगे। लेकिन वह नहीं लौटे और उनका मोबाइल फोन भी बंद रहा।
सूत्रों ने बताया कि मामले की जांच कर रहे सीआईडी अधिकारियों को जानकारी मिली कि 14 मई को बांग्लादेशी सांसद एक कैब से बारानगर से न्यू टाउन के पॉश आवासीय परिसर में पहुंचे। सूत्रों ने बताया कि कैब और उसके ड्राइवर दोनों की पहचान न्यू टाउन आवासीय परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से कर ली गई है। कैब ड्राइवर को हिरासत में लेकर सीआईडी पूछताछ कर रही है। सीआईडी अधिकारियों को उसी कैब से आवासीय परिसर से बाहर निकलते कुछ लोगों के सीसीटीवी फुटेज भी मिले हैं। सूत्रों ने बताया कि ड्राइवर से पूछताछ की जा रही है कि किस मोबाइल नंबर से कैब बुक की गई थी और उन लोगों को कहां छोड़ा गया था।
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