हमास की मांगों को मानने से इजराइल के इनकार पर कतर की राजधानी दोहा में चल रही शांति वार्ता बाधित हो गई है। इज़राइली रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया के नेतृत्व में इज़राइली प्रतिनिधिमंडल ने कतर और मिस्र सहित अन्य मध्यस्थों से कहा कि वे उन फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा नहीं करेंगे, जिन पर हत्या सहित अन्य गभीर आरोप हैं।हमास ने हत्या सहित गंभीर अपराधों के लिए इज़राइल की जेलों में बंद 350 फ़िलिस्तीनी कैदियों की रिहाई की मांग की थी।
उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, इजराइली पक्ष ने यह भी कहा है कि वह दो चरणों में अपने बंधकों की रिहाई चाहता है, जबकि हमास ने कहा था कि वह तीन चरणों में इजराइली बंधकों को रिहा करेगा। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि इजराइली वार्ताकार चाहते हैं कि हमास की हिरासत में मौजूद सभी पुरुष और महिला सैनिकों को दूसरे चरण में रिहा कर दिया जाए।इजराइल की सख्ती के कारण वार्ता के पहले दिन ही संकट पैदा हो गया है।
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पाकिस्तान की एक भ्रष्टाचार निरोधक अदालत ने मंगलवार को कथित भ्रष्टाचार के तीन मामलों में पीएमएल-एन प्रमुख नवाज शरीफ के दो बेटों को बरी कर दिया। इसी के साथ पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार के सामने आने वाली कानूनी परेशानियां लगभग समाप्त हो गई हैं। हसन और हुसैन नवाज को 2018 में पनामा पेपर्स लीक से संबंधित एवेनफील्ड, फ्लैगशिप और अल-अजीजिया भ्रष्टाचार मामलों में आरोपी बनाया गया था।
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा 2018 में दायर एवेनफील्ड अपार्टमेंट, अल-अजीजिया और फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट मामलों की जांच में शामिल होने में विफल होने के कारण दोनों भाइयों को अपराधी घोषित कर दिया गया था। हालांकि, उनके विदेश में होने की वजह से मामले की सुनवाई नहीं हो पाई। मामले में मुख्य आरोपी उनके पिता नवाज शरीफ को एवेनफिल्ड और अल-अजीजिया भ्रष्टाचार मामलों में दोषी ठहराया गया था, लेकिन फ्लैगशिप मामले में बरी कर दिया गया था।
तीन बार के प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष नवाज शरीफ लगभग चार साल के स्व-निर्वासन के बाद पिछले साल अक्टूबर में लंदन से पाकिस्तान लौटे । उन्होंने दो मामलों में अपनी दोषसिद्धि को चुनौती दी और इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया। इससे उनके बेटों को आरोपों का सामना करने के लिए लंदन से लौटने का साहस मिला।
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उष्णकटिबंधीय चक्रवात मेगन के कारण सुदूर उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं।समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, चक्रवात मेगन ने सोमवार दोपहर ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र के उत्तर-पूर्व में दस्तक दी। इससे 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं और भारी बारिश हुई। इससे पहले सोमवार को मौसम की बिगड़ती स्थिति के कारण आसपास के शहरों से हवाई सेवा को निलंबित कर दिया गया। इससे लोग वहां से निकल नहीं सके।
चक्रवात के कारण करीब 700 लोग फंस गए। इलाके की बिजली काट दी गई है। सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य के मुख्यमंत्री ईवा लॉलर ने कहा कि बोरोलूला में हम लोगों को सुरक्षित रखने के लिए काम कर हैं। मौसम विज्ञान ब्यूरो (बीओएम) ने देश के उत्तरी क्षेत्र के के उत्तर-पूर्व में 300 मिमी तक बारिश की आशंका के साथ बाढ़ की भी चेतावनी जारी की है।
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इजराइली सेना ने कहा है कि गाजा शहर में अल-शिफा अस्पताल में छापेमारी के दौरान उसके एक सैनिक की मौत हो गई। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने इजराइली सार्वजनिक रेडियो के हवाले से बताया कि सैनिक हनाहल ब्रिगेड का हवलदार था। उसकी मौत के साथ पिछले साल संघर्ष की शुरुआत के बाद से अब तक 593 इजराइली सैनिकों की मौत हो चुकी है।
इससे पहले सोमवार को हमास की सशस्त्र शाखा, अल-कसम ब्रिगेड ने कहा था कि अल-शिफा परिसर के पास घुसपैठ कर रहे दुश्मन (इजराइली) सेना के साथ उसकी भीषण झड़प हो रही है। अल-क़सम ब्रिगेड ने एक प्रेस बयान में कहा कि उसने कई सैन्य वाहनों को निशाना बनाया।
इज़राइली रक्षा बलों के प्रवक्ता डैनियल हगारी ने कहा कि आईडीएफ सैनिक खुफिया जानकारी के आधार पर अल-शिफा अस्पताल में एक अभियान चला रहे थे। फ़िलिस्तीनी और इज़राइली सूत्रों के अनुसार, छापेमारी के दौरान कई फ़िलिस्तीनी मारे गए व घायल हुए और 80 लोगों को गिरफ़्तार किया गया। मारे गए लोगों में हमास के आंतरिक सुरक्षा तंत्र के संचालन निदेशालय के प्रमुख फ़ाइक अल-मबौह भी शामिल हैं।
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अमेरिका के एक सीनेटर ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू करने के वास्ते भारत सरकार द्वारा नियमों को अधिसूचित किये जाने पर चिंता जताते हुए कहा है कि जैसे-जैसे अमेरिका-भारत संबंध गहराते जा रहे हैं, यह अहम है कि सहयोग धर्म से परे सभी के मानवाधिकारों की रक्षा के साझा मूल्यों पर आधारित हो। भारत सरकार ने पिछले हफ्ते नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 का लागू कर दिया था जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के ऐसे गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है जिनके पास दस्तावेज़ नहीं हैं और वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए थे।
भारत सरकार ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि इससे भारतीय मुस्लिमों को चिंतित होने की जरूरत नहीं, क्योंकि सीएए उनकी नागरिकता प्रभावित नहीं करता है और समुदाय का इससे कुछ लेना-देना नहीं जिनके पास हिंदुओं के समान ही अधिकार हैं। सीनेट की शक्तिशाली विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष सीनेटर बेन कार्डिन ने कहा, “मैं विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम को अधिसूचित करने के भारत सरकार के फैसले से, खासकर भारत के मुस्लिम समुदाय पर इस कानून के संभावित प्रभाव से बहुत चिंतित हूं। मामले को बदतर बनाने वाली बात यह है कि इसे रमज़ान के पवित्र महीने के दौरान लागू किया जा रहा है।” उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे अमेरिका-भारत संबंध गहराते जा रहे हैं, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हमारा सहयोग धर्म से परे सभी व्यक्तियों के मानवाधिकारों की रक्षा के हमारे साझा मूल्यों पर आधारित हो।”
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