इजरायली सेना की ओर से बीते दिनों ईरान पर किए कई हवाई हमलों के बाद अब इराक ने इजरायल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज कराई है। इराक सरकार के प्रवक्ता बसीम अल-अवदी ने सोमवार को कहा कि इराक ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव और सुरक्षा परिषद को एक विरोध पत्र सौंपा है, जिसमें इराक के हवाई क्षेत्र और संप्रभुता के उल्लंघन की निंदा की गई है। अल-अवदी ने एक बयान में कहा, "इराक अपने हवाई क्षेत्र या जमीन का इस्तेमाल अन्य देशों, विशेष रूप से पड़ोसी देशों पर हमलों के लिए नहीं होने देगा, जिनके साथ इराक पारस्परिक सम्मान और हित साझा करता है।" उन्होंने कहा कि इराकी सरकार ने देश की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता का हवाला दिया है। बयान में कहा गया है कि यह रुख क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति इराक की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हमारा देश बातचीत और आपसी समझ के माध्यम से शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान को बढ़ावा देने का समर्थन करता है।
इजराइल के रक्षा बलों ने शनिवार को कहा कि उसने ईरान की ओर से हाल के महीनों में किए गए हमले के जवाब में ईरान के कई क्षेत्रों में हवाई हमले किए। इससे पहले इजरायल ने एक बयान में कहा है कि उसने ईरान में सैन्य ठिकानों पर कई हवाई हमले किए हैं। ईरान ने दावा किया है कि उसने इस हमले का सफलतापूर्वक मुकाबला किया है। इजरायल के सरकारी चैनल कान टीवी न्यूज ने कहा कि एफ-35, एफ-16 और एफ-15 सहित दर्जनों जेट विमानों ने ईरान में 20 सैन्य ठिकानों पर हमले किए। ईरान के चश्मदीदों ने बताया कि शनिवार सुबह देश की राजधानी तेहरान के आसपास तेज धमाकों की आवाजें सुनी गईं। इसके तुरंत बाद, ईरानी मीडिया ने बताया कि ईरान की हवाई सुरक्षा ने इजरायल के हमले का मुकाबला किया।
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रूस के हस्तक्षेप की चर्चा के बाद जार्जिया संसदीय चुनाव नतीजों पर बवाल हो गया है। हालांकि, रूस ने सोमवार को जॉर्जिया में संसदीय चुनावों में हस्तक्षेप के आरोपों को 'निराधार' बताया। वहीं दूसरी तरफ उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने कथित 'चुनाव संबंधी उल्लंघनों' की जांच की अपील की। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, "हम इस तरह के आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। ये कई देशों के लिए मानक बन गया है कि छोटी सी बात पर वे तुरंत रूस पर हस्तक्षेप का आरोप लगा देते हैं। नहीं, यह सच नहीं है, कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ था और आरोप पूरी तरह से निराधार हैं।"
जॉर्जिया में शनिवार को हुए संसदीय चुनावों में 18 पार्टियों ने हिस्सा लिया, जिसमें सत्तारूढ़ जॉर्जियाई ड्रीम भी शामिल है, जिसे 52.99 प्रतिशत वोट मिले। यह पहली बार था कि देश में चुनाव पूरी तरह से आनुपातिक प्रणाली के तहत आयोजित किए गए, जिसमें लगभग 90 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल किया। जॉर्जियाई राष्ट्रपति सलोमी जौराबिचविली ने चुनाव परिणाम को खारिज कर दिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अवैध सरकार की जगह लोगों के साथ खड़े होकर देश की रक्षा करने अपील की। उन्होंने एक्स पर लिखा, "ये चुनाव अवैध हैं।' उन्होंने चुनाव प्रक्रिया को 'एक रूसी विशेष अभियान' और 'हाइब्रिड युद्ध का एक नया रूप' बताया।
इस बीच अमेरिका और यूरोपीय संघ के बाद, नाटो ने भी सोमवार को जांच की मांग करते हुए कहा कि इंटरनेशनल ऑबर्जवेशन मिशन ने पाया है कि चुनाव असमान परिस्थितियों में हुए, जिससे नतीजों पर जनता का भरोसा कम होता है। नाटो प्रवक्ता फराह दखलल्लाह ने कहा, "चुनाव संबंधी उल्लंघनों की रिपोर्ट की पूरी तरह से जांच होनी चाहिए।" केंद्रीय चुनाव आयोग के शुरुआती नतीजों से संकेत मिलता है कि सत्तारूढ़ जॉर्जियाई ड्रीम पार्टी 52.99 प्रतिशत से अधिक वोटों के साथ आगे चल रही है।
केंद्रीय चुनाव आयोग के अध्यक्ष जियोर्जी कलंदरिशविली ने कहा कि शुरुआती आंकड़ों के आधार पर, जॉर्जियाई ड्रीम को 935,004 वोट मिले। विपक्षी दलों में, गठबंधन फॉर चेंज को 11.2 प्रतिशत वोट मिले, उसके बाद यूनाइटेड नेशनल मूवमेंट को 9.8 प्रतिशत, स्ट्रॉन्ग जॉर्जिया को 9.0 प्रतिशत और गखारिया फॉर जॉर्जिया को 8.2 प्रतिशत वोट मिले। यह चुनाव देश के लिए बेहद अहमियत रखता है। इसके नतीजे तय करेंगे कि कोकेशियान राष्ट्र यूरोपीय संघ की सदस्यता के करीब पहुंचता है या मॉस्को की ओर मुड़ता है। सत्तारूढ़ 'जॉर्जियन ड्रीम' पार्टी रूस समर्थक मानी जाती है। दिलचस्प बात यह है कि यह पार्टी अपने 12 वर्षों के शासन के दौरान पश्चिम समर्थक समूह से हाल के वर्षों में स्पष्ट रूप से रूस समर्थक बन गई है। वहीं विपक्षी पार्टियों को आमौतर पर पश्चिम का समर्थक माना जाता है।
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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान, को यूनाइटेड किंगडम के सांसदों का समर्थन मिला है। ब्रिटिश सांसदों ने खान की रिहाई के लिए यूके सरकार से पाकिस्तानी सरकार से बातचीत करने की अपील की। बता दें खान भ्रष्टाचार और देशद्रोह के कई मामलों में एक साल से अधिक समय से जेल में हैं। ब्रिटिश सांसदों ने उनकी गिरफ्तारी को सरकार के विपक्षी आंदोलनों को दबाने के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बताया है। ब्रिटेन के 20 से अधिक सांसदों ने लिवरपूल रिवरसाइड के सांसद किम जॉनसन के पत्र के माध्यम से एक अपील पर हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में विदेश सचिव डेविड लैमी से पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता इमरान खान की तत्काल रिहाई के लिए शहबाज शरीफ सरकार से बातचीत करने की अपील की गई।
सांसद किम जॉनसन के माध्यम से यह अपील पत्र इमरान खान के अंतरराष्ट्रीय मामलों के सलाहकार जुल्फी बुखारी के अनुरोध पर लिखा गया। इस पर हाउस ऑफ कॉमन्स और ऑवर ऑफ लॉर्ड्स दोनों के सदस्यों ने हस्ताक्षर किए। ब्रिटेन के सांसदों ने पूर्व पाक पीएम की हिरासत और उनके साथ किए गए व्यवहार पर गंभीर चिंता व्यक्त की और खान की कैद को राजनीति से प्रेरित कदम बताया जिसका मकसद उन्हें सलाखों के पीछे रखना और चुनावी दौड़ में शामिल होने से अयोग्य घोषित करना है। पत्र में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि इमरान खान को कम से कम तीन मुकदमों में बचाव के उनके मूल अधिकार से वंचित किया गया।
ब्रिटिश सांसदों के पत्र के मुताबिक, "इमरान खान के खिलाफ बढ़ते मामले अब पाकिस्तान में न्याय प्रणाली के गलत इस्तेमाल के पैटर्न के मुताबिक हैं, जिसमें राजनीतिक विपक्षी नेताओं को डराना, परेशान करना और निशाना बनाना शामिल है।" पत्र में इस बात पर भी गंभीर चिंता जताई गई कि इमरान खान के मामलों का फैसला सैन्य अदालत के जरिए हो सकता है। सांसदों ने चेतावनी दी कि ऐसा कदम केवल अवैधानिक होगा। पत्र में इमरान खान की राजनीतिक पार्टी पीटीआई के सदस्यों, नेताओं और राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ जारी दमन का भी उल्लेख किया गया, जो संबंधित सरकारी अधिकारियों से पूर्व अनुमति प्राप्त करने के बावजूद सार्वजनिक रैलियां आयोजित नहीं कर रहे हैं। पत्र में लिखा है, "ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने पीटीआई समर्थकों को हिरासत में लेने के लिए अनुचित तरीके से एक नया सार्वजनिक आदेश अधिनियम लागू किया है।"
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जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने सोमवार को कहा कि वह सरकार का नेतृत्व करने, बढ़ती आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री के पद पर बने रहेंगे। इससे एक दिन पहले हुए आम चुनाव में उनके सत्तारूढ़ गुट को करारी हार का सामना करना पड़ा। लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के प्रमुख इशिबा ने चुनाव परिणाम को 'कठोर' बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 'हम राजनीतिक गतिरोध बर्दाश्त नहीं कर सकते।'
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को एलडीपी मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, इशिबा ने सत्तारूढ़ गठबंधन की संरचना को बदलने के विचार को फिलहाल खारिज कर दिया, लेकिन विपक्षी खेमे से नीतिगत विचारों को शामिल करने की इच्छा व्यक्त की। एलडीपी और कोमिटो को संसद के शक्तिशाली सदन में 465 सीटों में से कुल 215 सीटें मिलीं, जो बहुमत के लिए जरूरी 233 सीटों से कम है।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, एलडीपी ने अकेले 191 सीटें जीतीं जो कि चुनाव से पहले उसकी 247 सीटों से बहुत कम है। इसके विपरीत, मुख्य विपक्षी संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी 148 सीटों पर पहुंच गई जो चुनाव से पहले 98 सीटों तक सीमित थी। यह चुनाव 'स्लश फंड घोटाले' के बाद पहला राष्ट्रव्यापी मतदान है, जिसने सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को हिलाकर रख दिया था। इसकी वजह से जनता का पार्टी में विश्वास कम हुआ और इसी के चलते फुमियो किशिदा को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा। एलडीपी के चुनाव प्रमुख शिंजिरो कोइजुमी ने पार्टी के निराशाजनक चुनाव प्रदर्शन के के बाद प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
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कनाडा के ओंटेरियो प्रांत में सड़क दुर्घटना में चार भारतीय नागरिकों की मौत हो गई जबकि एक व्यक्ति घायल हो गया। पुलिस ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि दुर्घटना पिछले बृहस्पतिवार को टोरंटो शहर के लेक शोर बुलिवर्ड ईस्ट एंड चेरी स्ट्रीट इलाके में हुई। विज्ञप्ति में कहा गया है कि टेस्ला कार में 25 से 32 साल के पांच लोग सवार थे। विज्ञप्ति के मुताबिक चालक ने वाहन पर से नियंत्रण खो दिया, जिसके बाद वह गार्ड रेल और फिर कंक्रीट के खंभे से टकराई और उसमें आग लग गई।
‘टोरंटो सन’ समाचार पत्र ने अपनी खबर में टोरंटो के पुलिस उपनिरीक्षक फिलिप सिंक्लेयर के हवाले से कहा, “अब तक हमने कुछ साक्ष्य जुटाए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि (तेज) गति दुर्घटना की एक वजह थी।” प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दुर्घटना की सूचना मिलने के बाद घटनास्थल पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने कार में सवार चार लोगों को मृत घोषित कर दिया जबकि 25 वर्षीय महिला को अस्पताल ले जाया गया, जिसकी हालत खतरे से बाहर है।
खबर के अनुसार, महिला को एक गुजरते हुए वाहन चालक ने बचाया। टोरंटो में भारतीय वाणिज्य दूतावास के आधिकारिक हैंडल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा गया, “टोरंटो में हुई कार दुर्घटना में भारतीय नागरिकों की मृत्यु पर हार्दिक संवेदना।" पोस्ट में यह भी कहा गया है कि वाणिज्य दूतावास कनाडा और भारत में स्थानीय अधिकारियों और पीड़ितों के परिजन के साथ नियमित संपर्क में है।
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