बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना, उनकी बहन शेख रेहाना और 69 अन्य पर पांच अगस्त को ढाका के कफरुल इलाके में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के दौरान एक कपड़ा श्रमिक की मौत के सिलसिले में सोमवार को मामला दर्ज किया गया। अखबार 'द डेली स्टार' की खबर के मुताबिक, पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद देश छोड़कर भागने वाली हसीना अब देश में कुल 194 मामलों का सामना कर रही हैं, जिनमें 173 मामले हत्या, 11 मानवता के खिलाफ अपराध एवं नरसंहार, छह हत्या के प्रयास, तीन अपहरण और एक बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के जुलूस पर हमले से संबंधित है।
खबर के अनुसार, मृतक की पत्नी ने ढाका मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एमडी सैफुल इस्लाम की अदालत में हसीना और अन्य के खिलाफ मामला दायर किया था। इसमें कहा गया है कि सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट ने पुलिस जांच ब्यूरो को तफ्तीश के बाद एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। खबर के मुताबिक, शिकायत में मृतक की पत्नी ने कहा कि उसके पति एमडी फजलू को पांच अगस्त की सुबह मीरपुर-14 में पुलिस लाइन के सामने गोली मार दी गई थी, जिसके बाद उसे मैक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।गत 18 जुलाई को जतराबारी में 14 वर्षीय मदरसा छात्र और 19 जुलाई को मोहम्मदपुर में 12 वर्षीय रकीब हसन की मौत को लेकर हसीना और कई अन्य लोगों के खिलाफ रविवार को दो मामले दर्ज किए गए थे।
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लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आसिम मलिक को पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी - इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का नया महानिदेशक नियुक्त किया गया है। सरकारी टेलीविजन ने सोमवार को यह घोषणा की। लेफ्टिनेंट जनरल मलिक वर्तमान में रावलपिंडी स्थित सैन्य मुख्यालय में एक सहायक जनरल के रूप में कार्यरत हैं। वह 30 सितंबर को अपना नया कार्यभार संभालेंगे और मौजूदा महानिदेशक (डीजी) लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम की जगह लेंगे। आईएसआई प्रमुख की नियुक्ति प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है, लेकिन परंपरा के अनुसार वह सेना प्रमुख के परामर्श से इस शक्ति का प्रयोग करते हैं।
आईएसआई प्रमुख का पद पाकिस्तानी सेना में सबसे महत्वपूर्ण पदों में से एक माना जाता है, जिसने देश के 77 से अधिक वर्षों के अस्तित्व में आधे से अधिक समय तक शासन किया है तथा सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में अब तक काफी शक्ति का प्रयोग किया है। लेफ्टिनेंट जनरल मलिक ने पूर्व में बलूचिस्तान में इन्फैंट्री डिवीजन और वजीरिस्तान में इन्फैंट्री ब्रिगेड की कमान संभाली थी। उन्हें अपने पाठ्यक्रम में ‘स्वोर्ड ऑफ ऑनर’ भी मिला है और उन्होंने नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी (एनडीयू) में मुख्य प्रशिक्षक के साथ-साथ कमांड एंड स्टाफ कॉलेज क्वेटा में प्रशिक्षक के रूप में भी सेवा दी है।
उनकी नियुक्ति पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी के लिए एक महत्वपूर्ण समय पर हुई है जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा अभियानों, दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 2021 में डीजी आईएसआई के रूप में नियुक्त किया था।
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ईरान के दक्षिण खोरासान प्रांत में एक खदान विस्फोट में मरने वालों की संख्या सोमवार को 38 तक पहुंच गई। 14 लोग अभी भी खदान में फंसे हैं जिन्हें बचाने की कोशिश जारी है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने समाचार एजेंसी इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान (आईआरएनए) के हवाले से बताया कि शनिवार रात तबास में कोयला खदान में विस्फोट हुआ। यह जगह राजधानी तेहरान से लगभग 540 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित है। खदान के 'बी' क्षेत्र में कुल 47 मज़दूर फंसे हुए थे। इनमें 30 लोगों की मौत हो गई और 17 अन्य घायल हो गए।
दक्षिण खोरासन प्रांत के गवर्नर ने सोमवार को बताया कि खदान के 'सी' क्षेत्र में कुल 22 मजदूर फंसे हुए थे, जिनमें से आठ की मौत हो गई और 14 अन्य अभी भी फंसे हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि बचाव कार्य अभी भी जारी है, लेकिन 'सी' क्षेत्र की सुरंग में गैस का घनत्व अधिक होने के कारण काम धीमा हो गया है। दक्षिण खोरासन प्रांत ने रविवार को तीन दिवसीय शोक की घोषणा की।
इससे पहले ईरानी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रांतीय संकट प्रबंधन मुख्यालय के महानिदेशक मोहम्मद अली अखौंदी ने रविवार सुबह बताया कि तबास काउंटी में मदनजू कंपनी की खदान में शनिवार को स्थानीय समयानुसार रात करीब 9 बजे विस्फोट हुआ। एक सुरंग में मीथेन गैस की मात्रा बढ़ने की वजह से धमाका हुआ। ईरान के खनन उद्योग में यह पहला हादसा नहीं है। पिछले साल, उत्तरी शहर दमघन में एक कोयला खदान में हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी। स्थानीय मीडिया के अनुसार, यह धमाका भी संभवतः मीथेन गैस की वजह से हुआ था। मई 2021 में, उसी साइट पर दो खनिकों की मौत हो गई थी। 2017 में उत्तरी ईरान के आजाद शहर में हुए विस्फोट में 43 खनिकों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद अधिकारियों के प्रति लोगों में गुस्सा भड़क उठा था।
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पाकिस्तान के फैसलाबाद के एक अस्पताल के कर्मचारी ने अस्पताल में भर्ती एक किशोरी के साथ बलात्कार किया। इसकी जानकारी पाकिस्तानी मीडिया ने सोमवार को दी। प्रमुख पाकिस्तानी दैनिक डॉन ने सोमवार को बताया, "फैसलाबाद के एलाइड अस्पताल के एक कर्मचारी ने रविवार को अस्पताल परिसर में भर्ती एक किशोरी के साथ बलात्कार किया। किशोरी की मां ने पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 376 के तहत सिविल लाइंस पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई। उसने शिकायत में कहा कि वह अपनी बीमार बेटी को मेडिकल जांच कराने के लिए अस्पताल लेकर आई थी और इसी दौरान उसके साथ अस्पताल के एक कर्मचारी ने बलात्कार किया।" समाचार पत्र के अनुसार, संदिग्ध व्यक्ति लड़की को प्रसव कक्ष में ले गया और उसे तीन घंटे तक अपने पास रखा, उसे बेहोशी की दवा दी और बेहोशी की हालत में उसके साथ बलात्कार किया।
बता दें कि पाकिस्तान महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देशों में से एक बना हुआ है, जहां लाहौर और फैसलाबाद में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के अधिकतम मामले सामने आए हैं। इस्लामाबाद स्थित सतत सामाजिक विकास संगठन (एसएसडीओ) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, फैसलाबाद महिलाओं के खिलाफ हिंसा में तेज वृद्धि का केंद्र बनकर उभरा है, जहां 2023 में 728 मामले दर्ज किए गए। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मार्च में जारी रिपोर्ट में पाकिस्तान, विशेषकर पंजाब और सिंध प्रांतों में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, बलात्कार, अपहरण और ऑनर किलिंग की बढ़ती घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि सिंध में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कुल दर्ज मामलों की संख्या 2023 में 10,201 तक पहुंच जाएगी, जो 2022 में दर्ज 8,787 मामलों की तुलना में 16 प्रतिशत की चिंताजनक वृद्धि को दर्शाता है।
इसी तरह पंजाब में भी स्थिति गंभीर है, जहां महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 10,201 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं पंजाब के सभी जिलों में फैली हुई हैं। लाहौर में 1,464 मामले दर्ज किए गए। शेखपुरा में 1,198 मामले और कसूर में 877 मामले दर्ज किए गए। इसके साथ ही, पूरे प्रांत में बलात्कार की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि देखी गई। 2023 में कुल 6,624 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 में दर्ज किए गए 5,890 मामलों से 12 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। फैसलाबाद से सबसे अधिक इस तरह के अपराध के मामले सामने आए हैं। यहां 728 मामले दर्ज किए गए, उसके बाद लाहौर (721) और सरगोधा (398) मामले दर्ज किए गए हैं।
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मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने सोमवार को श्रीलंका के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और कहा कि वह अपने देश में ‘‘पुनजार्गरण’’ की शुरुआत करेंगे। दिसानायके (56) ने सोमवार को श्रीलंका के नौंवे राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने राष्ट्रपति सचिवालय में उन्हें शपथ दिलायी। दिसानायके ने चुनाव जीतने के बाद पहली बार देश को संबोधित करते हुए जनादेश का सम्मान करने और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के लिए पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे का आभार जताया।
उन्होंने शपथ ग्रहण करने के बाद दिए संबोधन में कहा, ‘‘मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि मैं लोकतंत्र को बचाने और नेताओं का सम्मान बहाल करने की दिशा में काम करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा क्योंकि लोगों के बीच नेताओं के आचरण को लेकर संदेह है।’’ दिसानायके ने कहा कि श्रीलंका अलग-थलग नहीं रह सकता और उसे अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि वह कोई जादूगर नहीं हैं बल्कि उनका उद्देश्य आर्थिक संकट से जूझ रहे देश को ऊपर उठाने की सामूहिक जिम्मेदारी का हिस्सा बनना है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं कोई जादूगर नहीं हूं। मैं इस देश में जन्मा आम नागरिक हूं। मुझमें क्षमताएं और अक्षमताएं हैं। मैं कुछ चीजें जानता हूं और कुछ नहीं जानता। मेरा पहला काम लोगों की प्रतिभाओं का इस्तेमाल करना और इस देश का नेतृत्व करने के लिए बेहतर निर्णय लेना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं सामूहिक जिम्मेदारी में एक योगदानकर्ता बनना चाहता हूं।’’
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