अफगानिस्तान की सीमा से लगे पाकिस्तान के अशांत उत्तर-पश्चिमी कुर्रम जिले में पिछले छह दिन में एक जमीन के टुकड़े को लेकर दो जनजातियों के बीच संघर्ष में कम से कम 36 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 80 लोग घायल हुए हैं। पुलिस के अनुसार, सरकार और आदिवासी बुजुर्गों द्वारा स्थिति को शांत करने के प्रयासों के बावजूद जमीन विवाद को लेकर झड़पें शुरू हो गईं। पुलिस ने कहा, "पिछले छह दिन में हुई झड़पों में अब तक 36 लोग मारे गए हैं जबकि 80 अन्य घायल हुए हैं।" हालांकि, स्थानीय लोगों ने इस संघर्ष में इससे कहीं ज्यादा लोगों के हताहत होने का दावा किया है।
यह लड़ाई जिले के बालिशखेल, सद्दा, खार कल्ले, पीवर और मकबल जैसे इलाकों में फैल गई। ये इलाके अफगानिस्तान के खोस्त, पक्तिया, लोगर और नांगरहार प्रांतों की सीमा से सटे हैं, जिन्हें आईएसआईएस और तालिबान का गढ़ माना जाता है। जुलाई में इसी क्षेत्र में बोशेरा और मालीखेल जनजातियों के बीच सप्ताह भर चली झड़पों में कम से कम 50 लोग मारे गए और 225 से अधिक घायल हो गए।
दोनों पक्षों के बुजुर्गों के संयुक्त संघ जिरगा (आदिवासी परिषद) ने झड़पों को रोकने के लिए पुलिस उप महानिरीक्षक और कोहाट आयुक्त से मुलाकात की, लेकिन उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। गुरुवार को हिंसक झड़पें लगातार छठे दिन भी जारी रहीं, जिसमें ऊपरी, निचली और मध्य तहसीलों में भारी गोलीबारी हुई, जिसके परिणामस्वरूप छह और लोगों की मौत हो गई तथा दस लोग घायल हो गए।
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बेरूत स्थित भारतीय दूतावास ने एक एडवाइजरी जारी कर भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द लेबनान छोड़ने की सलाह दी है। वहीं उन लोगों को 'अत्यधिक सावधानी' बरतने और दूतावास के संपर्क में रहने की सलाह दी गई है, जिन्हें गंभीर हालात के बीच लेबनान में ही रहना है। इसके अलावा भारतीय नागरिकों से अगली सूचना तक लेबनान की यात्रा न करने की अपील की गई है। लेबनान पर जारी इजरायली हमले के बीच भारतीय दूतावास ने यह एडवाइजरी जारी की है। अल जजीरा की गुरुवार की एक रिपोर्ट के अनुसार, लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इजरायली हमलों में अब तक 620 लोग मारे जा चुके हैं।
दूतावास ने बुधवार को अपने नोटिस में कहा, "1 अगस्त, 2024 को जारी की गई सलाह के अनुसार और क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों और तनाव को देखते हुए, भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक लेबनान की यात्रा न करने की सलाह दी जाती है।" दूतावास ने कहा, 'लेबनान में पहले से मौजूद सभी भारतीय नागरिकों को यहां से जाने की सलाह दी जाती है। जो लोग किसी भी कारण से वहां रह जाते हैं, उन्हें अत्यधिक सावधानी बरतने, अपनी गतिविधियों को सीमित रखने और बेरूत में भारतीय दूतावास से हमारी ईमेल आईडी: cons.beirut@mea.gov.in या इमरजेंसी फोन नंबर +96176860128 के माध्यम से संपर्क में रहने की सलाह दी जाती है।"
इस बीच इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमला जारी रखा है। ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने इजरायल में रॉकेट दागकर पलटवार किया है। इजरायली रक्षा बलों ने कहा कि एयर फोर्स ने दक्षिणी लेबनान और बेका घाटी में 1,600 से अधिक टारगेट्स को निशाना बनाया है। इनमें मिसाइल लांचर, कमांड पोस्ट और नागरिक घरों के अंदर स्थित अन्य आतंकवादी बुनियादी ढांचे शामिल थे। इजरायली टैंकों ने बॉर्डर के पास आयता अश शब और रामयेह के इलाकों में हिजबुल्लाह के अन्य ठिकानों पर हमला किया। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच दुश्मनी बढ़ने का कारण पिछले सप्ताह लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी को निशाना बनाकर किए गए रहस्यमय विस्फोट हैं। इनमें कई लोग मारे गए और हजारों की संख्या में लोग घायल हो गए। हिजबुल्लाह ने इन विस्फोटों के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि इजरायल ने धमाकों की जिम्मेदारी नहीं ली।
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भारतीय पर्वतारोहियों की ओर से अरुणाचल प्रदेश की एक अनाम चोटी का नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रखने पर चीन ने बृहस्पतिवार को नाराजगी जतायी और उसने इस क्षेत्र पर एक बार फिर अपना दावा किया। राष्ट्रीय पर्वतारोहण एवं साहसिक खेल संस्थान (एनआईएमएस) की एक टीम ने अरुणाचल प्रदेश की 20,942 फुट अनाम चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की जिस पर अभी तक कोई नहीं चढ़ा था। इसके बाद टीम ने इस चोटी का नाम छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखने का फैसला किया जिनका जन्म 1682 में मोन तवांग क्षेत्र में हुआ था।
एनआईएमएएस अरुणाचल प्रदेश के दिरांग में स्थित है जो रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। रक्षा मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि चोटी का नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रखना उनकी बुद्धिमत्ता और उनके योगदान के प्रति एक श्रद्धांजलि है। इस बाबत प्रतिक्रिया पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘आपने जो कहा, उसकी मुझे जानकारी नहीं है। मुझे व्यापक रूप से यह कहना चाहिए कि जांगनान का क्षेत्र चीनी क्षेत्र है, और भारत के लिए चीनी क्षेत्र में तथाकथित ‘अरुणाचल प्रदेश’ स्थापित करना अवैध और अमान्य है। चीन का लगातार यही रुख रहा है।’’ चीन अरुणाचल प्रदेश को जांगनान कहता है। भारत यह कहते हुए चीन के दावों को खारिज करता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अटूट हिस्सा है।
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पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में पोलियो का एक और मामला सामने आया है, जिससे इस बीमारी के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है जो इसे समाप्त करने के सरकार के प्रयासों के लिए झटका है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि पोलियोग्रस्त हालिया पीड़ित बलूचिस्तान के पिशिन का रहने वाला है, और उसकी उम्र ढाई साल है।
अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान में पोलियो उन्मूलन के लिए क्षेत्रीय संदर्भ प्रयोगशाला ने बुधवार को बच्चे में वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप एक (डब्ल्यूपीवी 1) की उपस्थिति की पुष्टि की, जिससे इस वर्ष अब तक रिपोर्ट किए गए मामलों की कुल संख्या 22 हो गई है। इनमें अकेले बलूचिस्तान से 15 मामले सामने आये हैं।
प्रयोगशाला के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सिंध में चार मामले सामने आये हैं जबकि खैबर-पख्तूनख्वा, पंजाब और इस्लामाबाद में एक-एक मामले सामने आए हैं।’’ पाकिस्तान में पोलियो के बढ़ते मामलों पर गहरी चिंता जताते हुए पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम का जिम्मा संभाल रहीं ‘प्राइम मिनिस्टर्स फोकल पर्सन फॉर पोलियो इरेडिकेशन’ आयशा रजा फारुक ने जोर देकर कहा कि अपने बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा में माता पिता की भूमिका अहम होती है।
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इजरायल ने गुरुवार को इस बात से इनकार किया कि वह लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह और लेबनानी राजनीतिक दलों के साथ युद्धविराम पर सहमत हो गया है। एक बयान में इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के ऑफिस ने कहा कि "युद्धविराम संबंधी रिपोर्ट असत्य है।" पीएम ऑफिस ने कहा कि नेतन्याहू ने उस युद्ध विराम प्रस्ताव पर 'कोई प्रतिक्रिया नहीं दी", जिसकी मध्यस्थता संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस ने की थी। शिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक गुरुवार को इजरायल के विदेश मंत्री इजरायल कैट्ज ने कहा कि उनका देश युद्ध विराम पर विचार नहीं करेगा। उन्होंने एक्स पर लिखा, 'युद्ध विराम नहीं होगा।' उन्होंने कहा कि देश हिजबुल्लाह के खिलाफ अपनी लड़ाई 'जीत तक और जब तक निवासी उत्तर में अपने घरों में वापस नहीं लौट सकते, तब तक जारी रखेगा।'
इससे पहले इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच अमेरिका और सहयोगी देशों ने 21 दिनों के युद्धविराम की अपील की। इजरायली हमलों की वजह से लेबनान में 600 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। यह अपील बुधवार को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और कतर की ओर से की गई। संयुक्त बयान के अनुसार, "8 अक्टूबर 2023 से लेबनान और इजरायल के बीच हालात बर्दाशत से बाहर हैं और इनकी वजह से व्यापक क्षेत्रीय तनाव का जोखिम पैदा हो गया है। यह किसी के हित में नहीं, न ही इजरायल के लोगों के और न ही लेबनान के।"
संयुक्त बयान में कूटनीतिक वार्ता के लिए 21 दिवसीय युद्ध विराम की अपील की गई। यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव (यूएनएससीआर) 1701 के अनुरूप है, जिसने 2006 के इजरायल-हिजबुल्लाह युद्ध को समाप्त किया था। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच हालिया संघर्ष का कारण पिछले दिनों लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी को निशाना बनाकर किए गए रहस्यमय विस्फोट हैं। इनमें कई लोग मारे गए और हजारों की संख्या में लोग घायल हो गए। हिजबुल्लाह ने इन विस्फोटों के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि इजरायल ने धमाकों की जिम्मेदारी नहीं ली।
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