पाकिस्तान सरकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से फंडिंग को लेकर अपने संघर्ष में यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि सब ठीक है, लेकिन अधिकारियों के साथ चर्चा से पता चलता है कि प्रशासन काफी नर्वस है। ऋण की किस्त जारी करने के लिए आईएमएफ को राजी करना लगातार कठिन होता जा रहा है। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, बेहद जरूरी आर्थिक बेलआउट पर कर्मचारी स्तर के समझौते (एसएलए) पर पहुंचने से पहले आईएमएफ ने कम से कम चार पूर्व कार्रवाइयों की व्याख्या बदल दी है।
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सूत्रों का कहना है कि अधिकारी इससे बेहद नाराज हैं और इसे 'दुर्व्यवहार' बता रहे हैं।
एक असंतुष्ट वरिष्ठ अधिकारी ने टिप्पणी की, "हम आईएमएफ के सदस्य हैं, भिखारी नहीं हैं। मर्जी हो तो हमारी सदस्यता खत्म कर दो।"
एक अन्य अधिकारी ने स्थिति की तुलना 1998 से की, जब परमाणु परीक्षणों के मद्देनजर पाकिस्तान की आर्थिक कठिनाइयां और भी बदतर हो गईं और डिफॉल्ट होने वाला था।
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डॉन ने बताया कि अधिकारियों ने यह भी कहा है कि आईएमएफ सार्वजनिक रूप से तो गरीबों की मदद करना चाहता है, लेकिन कुछ उपाय ऐसे बता रहा है जो कम आय वाले लोगों को प्रभावित करेगा।
सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों ने चीनी बैंकों से तीन किस्तों में 1.3 अरब डॉलर का ऋण प्राप्त किया है। चीन पहले ही 700 मिलियन डॉलर से अधिक दे चुका है।
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यह 500 मिलियन डॉलर की दो समान किस्तों में और फिर कुछ दिनों के अंतराल के साथ 300 मिलियन डॉलर में प्रवाहित होगा। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को भी 3 अरब डॉलर से अधिक की राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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