अमेरिका में वर्ष 2018 के दौरान लगातार चले विवादों और विभाजनकारी घटनाक्रमों का पटापेक्ष साल के अंत में अराजकता के तूफान के साथ हुआ। साल खत्म होने तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट्स के बीच के विवादों के चलते सरकारी कामकाज ठप हो गया, वरिष्ठ अधिकारियों ने पद त्याग दिए, विदेश और सामरिक नीतियां नाकाम हो गईं और शेयर बाजार धराशाई हो गए।
अमेरिकी चीफ ऑफ स्टाफ, जॉन केली और रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने इस्तीफा दे दिया और इसी तरह संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत और अमेरिकी कैबिनेट में स्थान पाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला निकी हेली और कई अन्य अधिकारियों ने भी इस्तीफे दे दिए।
नवंबर के मध्यावधि चुनाव में, अकेले पड़ चुके ट्रंप के हाथ से निचला सदन, प्रतिनिधिसभा चला गया, जिसमें डेमोक्रेट्स बहुमत में आ गए (हालांकि सीनेट पर अब भी रिपब्लिकन पार्टी का कब्जा बना हुआ है)। ट्रंप ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर अपने अलग पड़ने की तस्वीर ट्वीट करते हुए कहा, "(बेचारा मैं) व्हाइट हाउस में पूरी तरह से अकेला हूं और सीमा सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी समझौते के लिए डेमोक्रेटे्स का इंतजार कर रहा हूं।"
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उन्हें अवैध आव्रजन रोकने के लिए मेक्सिको की सीमा से सटी दीवार के निर्माण के लिए 5.6 अरब डॉलर की अपनी मांग संबंधी बजट विधेयक पारित करने के लिए बहुमत हासिल नहीं हुआ, जो कि उनके मुख्य चुनावी वादों में से एक था। वह दीवार निर्माण के लिए फंडिंग के बिना व्यय बजट को मंजूरी न देने पर अड़े रहे और वहीं डेमोक्रेट्स भी इसके लिए सहमति न देने पर अडिग रहे, जिसके कारण धन की कमी के चलते सरकार का कामकाज ठप पड़ गया।
अवैध आव्रजन इस साल एक मुख्य मुद्दा रहा, जब ट्रंप शरणार्थियों के प्रवाह को रोकने के लिए कदम उठाते रहे। इसी बीच, नवंबर में एक काफिले में 10,000 से भी अधिक मध्य अमेरिकी मेक्सिको की सीमा पर जुट आए, इस उम्मीद में कि वे इतने बड़े संख्या बल के कारण अमेरिका में प्रवेश कर पाएंगे।
ट्रंप ने उन्हें रोकने के लिए सीमा गश्ती बल के साथ सेना को भी तैनात कर दिया। उनमें से कुछ लोगों ने सीमा गश्ती बल पर हमला करने और सीमा में प्रवेश करने का असफल प्रयास किया और अब वे सभी मेक्सिको के बाहर डेरा जमाए हुए शरण के लिए आवेदन करने के लिए अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। यह स्थिति दोनों ही देशों के लिए समस्या बनी हुई है।
मेक्सिको की सीमा पर दीवार के निर्माण का उनका चुनावी वादा भले ही अबतक नाकाम रहा हो, लेकिन उन्होंने मध्य पूर्व से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने के अपने वादे को लेकर कुछ हद तक प्रगति हासिल की है। उन्होंने सीरिया से सभी सैनिकों को वापस बुलाने और अफगानिस्तान से लगभग आधे यानी करीब 7,000 को बुलाने का आदेश जारी किया है।
वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या के बाद सऊदी अरब के खिलाफ कदम उठाने को लेकर अमेरिका में अंदरूनी और पश्चिम के दबाव के साथ ही सीरिया और अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुलाने के कदम ने अमेरिका की मध्य पूर्व की रणनीति को भी बेपटरी कर दिया।
इससे इजरायल और सऊदी अरब के कट्टर दुश्मनों - तुर्की, ईरान और सीरिया- को क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में अपना प्रभाव बढ़ाने का मौका मिलेगा। यह अमेरिकी नीति की बुनियाद को ही खत्म कर देगा, जो रियाद और जेरूशलम पर निर्भर है।
वहीं, अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का दक्षिण एशिया और भारत पर भी प्रभाव पड़ेगा। सैनिकों को वापस बुलाने के ट्रंप के कदम के कारण मैटिस ने इस्तीफा दे दिया, जो सीरिया से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने के खिलाफ थे और इस कदम के लिए ट्रंप को कई रिपब्लिकनों और कंजर्वेटिव्स की भी आलोचना झेलनी पड़ी।
साल 2018 में एक सकारात्मक पहल हुई और वह है ट्रंप की उत्तर कोरियाई कूटनीति, जिसके चलते ट्रंप की चिर-परिचित धमकियों और अपमानजनक बयानों के बाद उनके और किम जोंग-उन के बीच शिखर सम्मेलन हुआ। हालांकि, इस पर भी अनिश्चितता के बादल छाए हैं।
आर्थिक मोर्चे पर, ट्रंप, जिन्होंने व्यापार घाटे से निपटने और विनिर्माण नौकरियां वापस लाने का वादा किया था, उन्होंने मेक्सिको और कनाडा के साथ नए व्यापार समझौते किए। व्यापार घाटे को कम करने के प्रयास में जहां उनकी निगाह भारत और अन्य देशों पर रही, वहीं चीन के खिलाफ उन्होंने आयात शुल्क को लेकर पूरी तरह व्यापार युद्ध छेड़ दिया, जिसका चीन ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया। इसने बजट युद्ध और अमेरिका के केंद्रीय बैंक की नीतियों से उपजी अनिश्चितता में इजाफा कर दिया और इस साल शेयर बाजारों में हुए लाभ को पूरी तरह सफाचट कर दिया।
2018 में वॉल स्ट्रीट लाल निशान पर बंद हुआ, जबकि अधिकांश कदमों, खासतौर पर कम बेरोजगारी के चलते अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रही। निचले सदन पर नियंत्रण हासिल करने के बाद ेडेमोक्रेट्स 2016 के चुनाव में रूसी हस्तक्षेप की जांच और ट्रंप व उनके परिवार के खिलाफ विभिन्न आरोपों की जांच को और सख्त कर देंगे।
देश में राजनीतिक विभाजन का एक स्पष्ट संकेत बंदूक नियंत्रण कानून है, जिसका डेमोक्रेट्स पूर्ण समर्थन करते हैं और रिपब्लिकन इसका विरोध करते हैं। देश जब 2020 के चुनाव की तैयारी कर रहा है, ऐसे में यह एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरेगा।
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