अमेरिका में संघीय सरकार को आर्थिक मंजूरी प्रदान करने वाले विधेयक को पारित करवाने में सत्तारूढ़ रिपब्लिकन पार्टी नाकाम रही है और इसके बाद देश में एक बार फिर शटडाउन शुरू हो गया है। अपने कार्यकाल का एक साल पूरा कर रहे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए यह बड़ा झटका है। शटडाउन के चलते अब अमेरिका में सरकारी कामकाज पूरी तरह से ठप्प हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर देश में नौकरियों का संकट पैदा होगा। इससे पहले साल 2013 के अक्टूबर में इस तरह के हालात हुए थे, उस वक्त बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति थे। इसका असर 8 लाख कर्मचारियों पर हुआ था।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया है कि टैक्स कटौती और अमेरिका की बढ़ती अर्थव्यवस्था के खिलाफ डेमोक्रेट सीनेटर शटडाउन चाहते हैं। ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था शायद अब तक की सबसे अच्छी स्थिति में है और देश बेहतरीन काम कर रहा है।
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संघीय सरकार को आर्थिक मंजूरी प्रदान करने वाले विधेयक को रिपब्लिकन पार्टी के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने तो 18 जनवरी की रात पारित कर दिया, लेकिन सीनेट में इस पर चर्चा के दौरान ही रात के 12 बज गए और इस कारण यह बिल अटक गया। राष्ट्रपति ट्रंप के ऑफिस ने इसे लेकर जारी बयान में डेमोक्रेक्ट्स सांसदों को इस संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
अमेरिका में इस बार शटडाउन की वजह से इसका सीधा-सीधा असर 8 लाख 50 हजार सरकारी कर्मचारियों पर पड़ेगा। इससे कम से कम 35 लाख कर्मचारी प्रभावित होंगे।
अमेरिका में 'एंटीडेफिशिएंसी एक्ट' लागू है। इस एक्ट के तहत, पैसे की कमी होने पर फेडरल एजेंसियां (संघीय एजेंसी) को अपना कामकाज रोकना पड़ता है। बजट न होने के कारण कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया जाता है और उन्हें सैलरी भी नहीं दी जाती। ऐसे हालात में सरकार एक फेडरल बजट लाती है, जिसे प्रतिनिधि सभा और सीनेट यानी दोनों सदनों में पास होना जरूरी होता है।
इससे पहले अमेरिकी सरकार में 1981 में ऐसे हालात पैदा हुए थे और इसके बाद 1984, 1990 और 1995-1996 में भी ऐसा हो चुका है।
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