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संयुक्त राष्ट्र की अमेरिका को चेतावनी, जेरूसलम को इजरायल की राजधानी के रूप में न दे मान्यता

संयुक्त राष्ट्र ने अमेरिका को चेताया है कि जेरूसलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता न दे। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि ऐसा करने से उस इलाके में तनाव बढ़ेगा।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अंदर की तस्वीर

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जेरूसलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के अमेरिका के फैसले की आलोचना की है। साथ ही अमेरिका को ये चेतावनी दी है कि ऐसा न करे क्योंकि ऐसा करने से उस क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा। हालांकि अमेरिका अपने इस फैसले का मजबूती से बचाव कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थाई प्रतिनिधि निकी हेली ने शांति प्रक्रिया और द्वी-राष्ट्र समाधान के लिए ट्रंप प्रशासन की प्रतिबद्धता दोहराई। हेली ने कहा, "अमेरिका ने सीमाओं को लेकर कोई रुख अख्तियार नहीं किया है। जेरूसलम की संप्रभुता के आयाम अभी भी इजरायल और फिलीस्तीन की जनता आपसी विचार विमर्श से निर्धारित करेंगे।" हेली ने कहा कि इजरायल में अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से जेरूसलम ले जाने का फैसला एक सामान्य फैसला था क्योंकि विश्व के हर देश में अमेरिका के दूतावास उनकी राजधानियों में स्थित हैं।

फ्रांस के स्थाई प्रतिनिधि फ्रांस्वा डेलाट्रे ने 8 दिसंबर को आपात बैठक में बताया कि जेरूसलम पर राजनीतिक टकराव धार्मिक टकराव में तब्दील हो सकता है। उन्होंने सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों का हवाला देते हुए कहा कि जेरूसल के दर्जे में किसी तरह का एकतरफा बदलाव अमान्य होगा। फ्रांस्वा डेलाट्रे ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय सिर्फ दोनों पक्षों की ओर से स्वीकार किए गए 1967 सीमा समझौते में बदलाव को ही मान्यता देगा।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1980 के एक प्रस्ताव में सदस्य देशों से अपने राजनयिक मिशन जेरूसलम में नहीं खोलने को कहा गया था। संयुक्त राष्ट्र के रुख से विपरीत 1995 में कांग्रेस में पारित विधेयक के अनुरूप दूतावास को जेरूसलम स्थानांतरित करने को लेकर अमेरिका में व्यापक सहमति है। वहीं जेरूसलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के अमेरिका के फैसले के विरोध में 8 दिसंबर को न्यूयॉर्क टाइम्स स्क्वायर पर फिलीस्तीन के करीब 1,000 समर्थकों ने प्रदर्शन भी किया।

संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के स्थाई प्रतिनिधि मैथ्यू रायक्रॉफ्ट ने कहा कि जेरूसलम इजरायल और फिलीस्तीन दोनों की संयुक्त राजधानी होनी चाहिए और अमेरिका के फैसले से इसमें मदद नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे के समाधान में इजरायली बस्तियों का विस्तार विशेष रूप से पूर्वी जेरूसलम में, आतंकवाद और हिंसा बाधक हैं।

संयुक्त राष्ट्र में चीन के उपस्थाई प्रतिनिधि वु हेताओ ने कहा कि जेरूसलम के दर्जे पर किसी तरह की एकपक्षीय कार्रवाई नए विवाद पैदा कर सकती है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के मध्यपूर्व शांति प्रक्रिया के विशेष समन्वयक निकोले म्लाडेनोव ने बताया कि ट्रंप ने कहा था कि सीमाओं सहित जेरूसलम के अंतिम दर्जे के मुद्दे को निर्धारित किया जाना है।

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