संयुक्त राष्ट्र अध्यक्ष एंटोनियो गुटरेस ने जम्मू-कश्मीर के बाद अब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर सवाल उठाए हैं। गुटरेस ने कहा कि इस कानून की वजह से करीब बीस लाख लोगों को देश से बाहर निकाला जा सकता है। उनके देश विहनी होने का खतरा है, जिसमें ज्यादातर मुस्लिम हैं। संयुक्त राष्ट्र अध्यक्ष ने इस बात को लेकर चिंता भी जताई है। उन्होंने ये बातें पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ को दिए एक इंटरव्यू में कही है। बता दें कि गुटरेस इन दिनों पाकिस्तान के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने पाकिस्तान अखबार को एक इंटरव्यू दिया। जिसमें उनसे पूछा गया कि क्या भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ रहे भेदभाव को लेकर वे चिंतिंत हैं? इसके जवाब में एंटोनियो गुटरेस ने कहा, “जब भी नागरिकता संबंधी कानूनों में बदलाव किया जाता है, इस तरह के प्रयास किए जाते हैं कि देशविहीनता की स्थिति पैदा न हो, और यह सुनिश्चित किया जा सके कि दुनिया का हर नागरिक किसी न किसी देश का नागरिक भी हो...”
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बता दें कि संयुक्त राष्ट्र के अध्यक्ष एंटोनियो गुटरेस ने जम्मू-कश्मीर को लेकर भी टिप्पणी की थी। जिसके जवाब में भारत ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा। भारत ने कहा था कि पाकिस्तान ने भारत का हिस्सा अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है और समस्या पर ध्यान देने की सबसे ज्यादा जरूरत है। भारत ने गुटरेस द्वारा जम्मू-कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश को भी ठुकरा दिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई भूमिका नहीं है।
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रवीश की यह टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटरेस की उस टिप्पणी के बाद आई थी, जिसमें उन्होंने जम्मू कश्मीर की स्थिति पर चिंता जताई थी। पाकिस्तान के दौरे पर आये गुटरेस ने कहा था कि अगर दोनों देश सहमत हों तो वह मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था, ‘भारत की स्थिति बदली नहीं है। जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा । जिस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है, वह पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से और जबरन कब्जा किए गए क्षेत्र का समधान करना।’ कुमार ने कहा, ‘‘इसके आगे अगर कोई मसला है तो उस पर द्विपक्षीय चर्चा होगी। तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए कोई भूमिका या गुंजाइश नहीं है।’
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