रूस और पश्चिमी देशों के बीच गंभीर राजनयिक संकट खड़ा हो गया है। रूस के ख़िलाफ़ ब्रिटेन के साथ अमेरिका और 14 यूरोपीय देश साथ आ गए हैं। अमेरिका ने अपने यहां से रूस के 60 राजनयिकों को निकाल दिया है और सिएटल में वाणिज्य दूतावास को बंद कर दिया है। अमेरिका ने इन राजनयिकों पर जासूस होने का आरोप लगाया है। ब्रिटेन इस मामले में पहले ही 23 रूसी राजनयिकों को देश से निकाल चुका है।
अमेरिका ने रूस के 60 राजनयिकों को जासूस होने के शक में अपने यहां से निकाल दिया है। ट्रंप सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि, "अमेरिका में राजनयिक के तौर पर काम कर रहे ये लोग असल में जासूस थे।" अमेरिका की इस कार्रवाई को ब्रिटेन में रूसी राजदूत और उनकी बेटी को जहर दिए जाने के नतीजे के तौर पर देखा जा रहा है।
अमेरिका ने ये कदम तब उठाया है, जब सप्ताह भर पहले ही डॉनल्ड ट्रंप ने व्लादिमीर पुतिन को चौथी बार राष्ट्रपति चुने जाने पर फोन पर बधाई दी थी। हालांकि, उन्होंने इस बातचीत में जासूस को जहर दिए जाने का मामला नहीं उठाया था। ट्रंप के फोन के बाद कहा जा रहा था कि ट्रंप सरकार रूस को लेकर कोई सख्त कदम नहीं उठाने वाली। लेकिन सोमवार को रूसी राजनयिकों को एक सप्ताह के भीतर अमेरिका छोड़ने का फरमान सुना दिया गया।
उधर जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने भी चार रूसी राजनयिकों को निष्कासित करने की बात की पुष्टि की है। जर्मनी के अलावा दूसरे यूरोपीय देशों ने भी रूसी राजनयिकों पर कार्रवाई की बात कही है। जिन देशों ने रूसी राजनयिकों को निकालने का ऐलान किया है उनमें यूक्रेन से 13, पोलैंड से 4, फ्रांस से 4, जर्मनी और कनाडा से 4-4, चेक रिपब्लिक, लिथुआनिया से 3-3, नीदरलैंड, इटली, डेनमार्क से 2-2 और एस्टोनिया, लातविया, क्रोएशिया, रोमानिया, फिनलैंड से 1-1 राजनयिक शामिल है।
इस कार्रवाई को शीत युद्ध और सोवियत संघ से टकराव के दौर के बाद रूस के ख़िलाफ़ अमरीका की सबसे बड़ी कार्रवाई कहा जा रहा है। रूसी विदेश मंत्रालय ने इस कार्रवाई पर पलटवार की बात कही है।
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दरअसल 2010 से इंग्लैंड में रह रहे रूस के पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया चार मार्च को सेल्सबरी सिटी सेंटर के बाहर बेहोश मिले थे। जांच में सामने आया था कि इन दोनों पर किसी खतरनाक नर्व एजेंट (जहरीले रसायन) का इस्तेमाल किया है। इस घटना के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया गया था।
इसी घटना के बाद अमेरिका और ब्रिटेन के साथ यूरोपीय देश एक साथ आ गए हैं। रूस के खिलाफ इस एकता को एक बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि एक तरफ तो ब्रेक्जिट को लेकर ब्रिटेन की भूमिका पर यूरोप में तनावपूर्ण माहौल है, वहीं अमेरिका भी रूस के साथ नर्म रुख अपना रहा था।
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