माना जाता है कि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनाने में पाकिस्तान की बहुत बड़ी भूमिका रही है। लेकिन सत्ता में आने के बाद से तालिबान अब पाकिस्तान की भी नहीं सुन रहा है। दरअसल पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में समावेशी सरकार बनाने की मांग की थी, जिसपर तालिबान भड़क गया है। आजतक की खबर के मुताबिक तालिबान के एक प्रवक्ता ने कहा है कि दूसरे देशों को तालिबान को समावेशी सरकार बनाने की नसीहत देने का कोई अधिकार नहीं है।
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कई देशों ने तालिबान से अपील की है कि अफगानिस्तान में सबको साथ लेकर चलने वाली एक समावेशी सरकार बनाई जाए। पाकिस्तान ने भी यही मांग की है। जिसको लेकर तालिबान के प्रवक्ता और उप-सूचना मंत्री जबीहुल्ला मुजाहिद ने ये बयान दिया है। जबीहुल्ला मुजाहिद ने डेली टाइम्स के साथ बातचीत में कहा कि पाकिस्तान या किसी अन्य देश को तालिबान से ऐसी बातें कहने का कोई अधिकार नहीं है।
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बता दें कि पाकिस्तान और तालिबान के बीच अफगानिस्तान में समावेशी सरकार के निर्माण को लेकर बातचीत चल ही है। पीएम इमरान खान ने भी कुथ दिनों पहले स्वीकार किया था कि इस्लामाबाद ने अफगानिस्तान में तालिबान के साथ बातचीत शुरू कर दी है कि उनकी सरकार समावेशी होनी चाहिए और उन्हें अल्पसंख्यकों को भी सरकार में शामिल करना चाहिए।
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बता दें कि तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से कहा जा रहा हा था कि ये नया तालिबान है। इसमें सबको हक दिया जाएगा। महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया जाएगा। लेकिन जब सरकार बनी तो उसमें एक भी महिला प्रतिनिधि को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया था। वहीं अफगानिस्तान के दूसरे समुदायों को भी सरकार में शामिल करने की बात कही जा रही थी। पर ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा। तालिबान अपने पुराने पद चिन्हों पर चलता नजर आ रहा है। महिलाओं को घर के अंदर रहने का फरमान सुना दिया गया है। उन्हें नौकरी से भी निकाल दिया गया है।
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