अफगािनस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण करने वाली डूरंड लाइन पर लगाई गई कंटीले तारों की बाड़ को तालिबान ने तोड़ दिया है। अफगानिस्तानी पत्रकार बिलाल सरवरी ने एक वीडियो क्लिप डाली है जिसमें तालिबान के पूर्वी नांगरहार प्रांत के खुफिया प्रमुख बशीर डूरंड लाइन पर पाकिस्तानी सैनिकों को यह चेतावनी देता दिख रहा है" अगर तुमने इस रेखा का उल्लंघन किया तो हमारे साथ युद्ध के लिए तैयार रहो, हम यहूदियों से लड़ाई की तुलना में तुम लोगों से लड़ना पसंद करते हैं और अभी हमें बहुत काम करना बाकी है।"
Published: 21 Dec 2021, 9:02 PM IST
यही हाल पाकिस्तानी सीमा की तरफ भी दिखाई दे रहा है और इसमें एक वीडियो में प्रतिबंधित तहरीके तालिबान(टीटीपी)के आतंकवादी वजीरिस्तान प्रांत में कंटीले तारों को काटते दिखाई पड़ रहे हैं। यही वह क्षेत्र है जहां पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा के कुछ हिस्से में पाकिस्तानी सेना ने पिछले सप्ताह इसके प्रमुख को एक ड्रोन हमले में मार गिराने का प्रयास किया था लेकिन ड्रोन से दागी गई मिसाइलें नहीं फटी थीं।
अफगानिस्तान की खम्मा न्यूज के अनुसार नांगरहार प्रांत के गुश्ता जिले में सीमा पर तारबंदी हटाए जाने के बाद पाकिस्तानी सेना ने सोमवार को तोप से गोले दागे थे। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच डूरंड लाइन की लंबाई 2600 किलोमीटर है और इस पर लगभग पूरी तरीके से तारंबदी कर ली गई है।
Published: 21 Dec 2021, 9:02 PM IST
अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद तालिबान ने तारबंदी की इस मुहिम का जोरदार विरोध किया है और यह भी कह दिया है कि वह इसे मान्यता नहीं देता है। इस वर्ष सितंबर माह में तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने भी यही बात कही थी।
प्रवक्ता ने कहा था"हम सीमा पर सुरक्षित और शांत माहौल बनाना चाहते हैं ताकि इस पर किसी तरह के अवरोध नहीं होने चाहिए। इसमें यही संदेश दिया गया था कि तालिबान पाकिस्तान की ओर से की जा रही तारंबदी को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं है और यह निर्णय पाकिस्तान को उल्टा ही पड़ेगा।
Published: 21 Dec 2021, 9:02 PM IST
पूर्व सरकार में आर्थिक सलाहकार रहे जारिफ अमनियार ने कहा कि तालिबान के अधिकतर नेता पाकिस्तान की कठपुतली हैं लेकिन कुछ देशभक्त तालिबान भी हैं और कोई भी सच्चा अफगानी नागरिक इस तरह डूरंड लाइन पर कोई जबर्दस्ती का प्रतिबंध नहीं सहेगा।
पिछली सरकारों और मौजूदा तालिबान शासन ने कभी भी डूरंड लाइन को मान्यता नहीं दी है। लेकिन इसे लेकर एक ज्वलंत राष्ट्रवाद का मसला भी है क्योंकि यह लाइन पश्तूनों को विभाजित करती है और कभी भी अफगानिस्तान में लोकप्रिय नहीं रही है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
Published: 21 Dec 2021, 9:02 PM IST
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Published: 21 Dec 2021, 9:02 PM IST